आरक्षण की राजनीति फिर शुरू, मुख्यमंत्री की परेशानी बढ़ी
डिजिटल डेस्क, बेंगलुरु। कर्नाटक में आरक्षण की राजनीति फिर से शुरू हो गई है, जिसने 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले कैबिनेट विस्तार को लेकर तनाव झेल रहे मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई की परेशानी बढ़ा दी है।
बोम्मई को पंचमसाली उपसंप्रदाय के एक प्रमुख लिंगायत ऋषि जयमृत्युंजय स्वामीजी ने चुनौती दी है कि अगर 14 अप्रैल से पहले 2ए श्रेणी के तहत उपसंप्रदाय को आरक्षण नहीं दिया जाता है, तो राज्यव्यापी आंदोलन शुरू किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने राज्य भाजपा अध्यक्ष नलिन कुमार कतील की इस घोषणा के बाद राहत की सांस ली थी कि मंत्रिमंडल का विस्तार होगा और पार्टी के नेतृत्व में कोई बदलाव नहीं होगा, मगर आरक्षण की मांग के कारण वह फिर से दबाव में आ गए हैं, क्योंकि आरक्षण मुद्दे का भाजपा की चुनावी रणनीति पर सीधा असर पड़ेगा।
पंचमसाली स्वामीजी की मांग से आरक्षण के संबंध में भानुमती का पिटारा खुलने की संभावना है। कुरुबा समुदाय उन्हें एसटी श्रेणी में शामिल करने की मांग कर रहा है। हालांकि, पिछड़े समुदाय के नेताओं ने इसका विरोध किया है और कुरुबा समुदाय को समायोजित करने के लिए उनके कोटे में कटौती होने पर बड़े पैमाने पर विरोध की चेतावनी दी है।
पंचमसाली उपसंप्रदाय के लिए आरक्षण मुश्किल है, क्योंकि इससे भाजपा का लिंगायत वोट आधार खिसकजाएगा। पूर्व मुख्यमंत्री बी.एस. येदियुरप्पा ने 15 मार्च, 2021 को आश्वासन दिया था कि वह अगले 6 महीनों में आरक्षण की घोषणा करेंगे।
सीएम बोम्मई ने अक्टूबर, 2021 में एक बैठक की थी, जिसमें आश्वासन दिया था कि वह बजट सत्र के अंत तक वादा पूरा करेंगे। हालांकि इस मुद्दे पर अभी कोई चर्चा नहीं हुई है।
पार्टी के सूत्रों का कहना है कि सत्तारूढ़ भाजपा इस मुद्दे को उठाने की स्थिति में नहीं है, क्योंकि इससे समुदायों के बीच शत्रुता पैदा होगी और इसका फायदा विपक्षी कांग्रेस को मिलने की संभावना है।
राज्य में एक समानांतर पंचमासली पीठ की स्थापना कर पंचमसाली उपसंप्रदाय के भीतर आरक्षण आंदोलनों के प्रभाव को कम करने का प्रयास किया गया है। इस बीच, जयमृत्युंजय स्वामीजी द्वारा एक नई समय सीमा निर्धारित कर दिए जाने से भाजपा के लिए इस उपसंप्रदाय को आत्मसात करना मुश्किल हो गया है।
(आईएएनएस)
Created On :   16 March 2022 7:00 PM IST