मणिपुर में वनों की कटाई, नशीली दवाओं के खतरे के लिए म्यांमार के अप्रवासी जिम्मेदार : मुख्यमंत्री
डिजिटल डेस्क, इंफाल। मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने मंगलवार को दावा किया कि म्यांमार के अप्रवासी राज्य में वनों की कटाई, अफीम की खेती और नशीली दवाओं के खतरे के लिए जिम्मेदार हैं। सोशल मीडिया पोस्ट की सीरीज में, मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार मणिपुर और इसके संपूर्ण स्वदेशी लोगों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देना जारी रखेगी।
सिंह ने कहा, राज्य की रक्षा के लिए, सरकार ने हरित मणिपुर अभियान शुरू किया है, कब्जे वाली आरक्षित वन भूमि की पहचान की है, फलों और सब्जियों की खेती को बढ़ावा दिया है और सभी अफीम के खेतों को नष्ट कर दिया है। नशीले पदार्थों के खिलाफ अभियान अब जोरों पर है।
मुख्यमंत्री का यह बयान महत्वपूर्ण है चूंकि पिछले हफ्ते आदिवासियों ने अफीम की अवैध खेती के खिलाफ राज्य सरकार की कार्रवाई के खिलाफ नए सिरे से विरोध प्रदर्शन शुरू किया था, जिसके बाद विशेष रूप से पहाड़ी क्षेत्रों में आरक्षित और संरक्षित जंगलों में सरकारी संपत्तियों की आगजनी और तोड़फोड़ सहित हिंसा की घटनाएं शुरू हो गई थीं।
गिरफ्तार किए गए दो ड्रग पेडलर्स की तस्वीरें संलग्न करते हुए मुख्यमंत्री ने ट्वीट किया, ये वह लोग हैं जो हमारी पीढ़ी को नष्ट कर रहे हैं। वह अफीम लगाने के लिए हमारे प्राकृतिक जंगलों को नष्ट कर रहे हैं, और अपने मादक पदार्थों की तस्करी के धंधे को अंजाम देने के लिए सांप्रदायिक मुद्दों को और भड़का रहे हैं।
एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि सिंहहाट पुलिस थाने की एक टीम ने जौपी कैंप में चीनी केनबो बाइक पर यात्रा कर रहे दो व्यक्तियों को गिरफ्तार किया और उनके कब्जे से एक बोरे में छिपाकर रखी गई 16 किलो अफीम बरामद की। अधिकारी ने कहा कि गिरफ्तार किए गए लोगों थंगबिआक्लुन गुइते (40) और नंगखेनमांग मुनलुआह (42) से पुलिस पूछताछ कर रही है।
इस बीच, मणिपुर के चुराचांदपुर जिले में मंगलवार को लगातार चौथे दिन रात का कर्फ्यू जारी है, हालांकि पिछले 72 घंटों में पहाड़ी जिले से हिंसा की कोई ताजा घटना नहीं हुई है। एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि एहतियात के तौर पर जिला प्रशासन ने अगले आदेश तक रात का कर्फ्यू जारी रखने का फैसला किया है।
एक अन्य घटनाक्रम में, ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ मणिपुर (एटीएसयूएम) ने भारतीय संविधान की अनुसूचित जनजाति सूची में बहुसंख्यक मेइती समुदाय को शामिल करने की मांग का विरोध करते हुए बुधवार को राज्य के सभी पहाड़ी जिला मुख्यालयों में आदिवासी एकजुटता मार्च आयोजित करने का आह्वान किया है।
नागा स्टूडेंट्स यूनियन चंदेल, सदर हिल्स ट्राइबल यूनियन ऑन लैंड एंड फॉरेस्ट, तांगखुल कटमनाओ सकलोंग, और ट्राइबल चर्च लीडर्स फोरम सहित विभिन्न आदिवासी निकायों ने आदिवासी एकजुटता मार्च के लिए अपने समर्थन की घोषणा की। एटीएसयूएम ने बयान में कहा कि रैली अनुसूचित जनजाति श्रेणी में शामिल करने के लिए मैतेई समुदाय की लगातार मांग और आदिवासी हितों की सामूहिक रूप से रक्षा करने के लिए उचित उपाय करने की आवश्यकता के खिलाफ विरोध व्यक्त करने के लिए आयोजित की जाएगी।
पर्वतीय क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासी ज्यादातर ईसाई धर्म के हैं और राज्य की आबादी का 40 प्रतिशत से अधिक हिस्सा हैं। आदिवासियों को वन भूमि से बेदखल करने और आरक्षित और संरक्षित वनों में अवैध अफीम की खेती को नष्ट करने की राज्य सरकार की कार्रवाई के विरोध में, आदिवासियों ने 10 मार्च को तीन जिलों - चुराचंदपुर, कांगपोकपी और टेंग्नौपाल में विरोध रैलियां आयोजित की थीं, जिस दौरान पांच लोग घायल हो गए।
(आईएएनएस)
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Created On :   2 May 2023 8:00 PM IST