यूपी चुनाव से पहले केशव मौर्य के बदले-बदले से सुर, हाल ही के बयानों से सियासत में बढ़ी गर्मी
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डिजिटल डेस्क, लखनऊ। यूपी विधानसभा चुनाव को लेकर सभी पार्टियां चुनावी मैदान में उतर चुकी हैं। राजनीतिक दलों का आरोप-प्रत्यारोप जारी है। बीजेपी की प्रचार के लिए खुद देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मोर्चा संभाल लिए हैं। यूपी में गृहमंत्री अमित शाह भी कमान संभाल लिए हैं। यूपी चुनाव से पहले केशव प्रसाद मौर्य की आक्रामक चुनावी भाषण आजकल काफी सुर्खियों में है, जिनमें उन्होंने जालीदार टोपी व मथुरा मंदिर को लेकर बयान दिया है।
माना ये जा रहा है कि केशव इसके माध्यम से अपने को फायर ब्रांड हिंदू नेता साबित करना चाहते हैं। केशव प्रसाद मौर्य को लेकर अटकलें भी लगाई जा रही है कि 2022 यूपी विधानसभा चुनाव का चेहरा हो सकते हैं। हालांकि गृहमंत्री अमित शाह बता चुके है कि योगी ही होंगे आगामी 2022 विधानसभा चुनाव का चेहरा। वैसे राजनीति में अनिश्चितताएं हमेशा बनीं रहती है।
क्या केशव सीएम पद के दावेदार हो सकते हैं?
आपको बता दें कि राजनीति में जो भी होता है अप्रत्याशित होता है। यही राजनीति का सबसे बड़ा गुण भी है। कोई अप्रत्याशित तरीके से कभी जीत जाता है, तो कोई पूरी तैयारी होने और पूरी मेहनत करने के बावजूद सत्ता तक नहीं पहुंच पाता। कब कौन जूनियर एक झटके में "सीनियर" बन जाए कोई भरोसा नहीं। उत्तराखंड और गुजरात के उदाहरण हमारे सामने हैं, जहां एक सामान्य विधायक पुष्कर सिंह धामी और भूपेंद्र पटेल को राज्य की सत्ता सौंप दी गई। इसलिए ऐसे अनिश्चितता भरे समय में जब तक ताजपोशी न हो जाए, हर विधायक और मंत्री खुद के सत्ता के शीर्ष पर होने का सपना देखने को स्वतंत्र है।
उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या को लेकर यहां तक कहा जा रहा है कि वह मार्च 2022 में मुख्यमंत्री पद के बड़े दावेदार हो सकते हैं। हालांकि खुद केशव प्रसाद मौर्या कई मौकों पर इसको लेकर सफाई देते नजर आए हैं। उन्होंने ऐसे सवालों पर दो टूक कहा है कि उत्तर प्रदेश में बीजेपी वर्तमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के चेहरे पर ही चुनाव लड़ेगी, मगर उनसे आखिरी बार जब मीडिया ने सवाल पूछा था कि 2022 का चुनाव किसके चेहरे पर लड़ेंगे तो उनका जवाब था- कमल के।
केशव मौर्य को क्यों माना जा रहा है दावेदार?
बता दें कि केशव प्रसाद मौर्या की मुख्यमंत्री पद को लेकर दावेदारी नई नहीं है। 2017 के चुनाव परिणाम आने के बाद भी उन्हें रेस में सबसे आगे माना जा रहा था। मगर अचानक गोरखपुर से सांसद योगी आदित्यनाथ की एंट्री हुई और उनके नाम पर मुहर लग गई। केशव प्रसाद को उपमुख्यमंत्री बनाने को डैमेज कंट्रोल के तौर पर देखा गया। केशव प्रसाद मौर्य 2017 में सीएम पद की रेस में पिछड़ने के बाद हार मानने को तैयार नहीं हैं। अभी तक उनका एक भी बयान ऐसा नहीं आया है, जिसमें उन्होंने यह कहा हो कि योगी ही 2022 में भी सीएम होंगे। जिसको लेकर अटकलें हमेशा बनीं रहती है।
केशव अपने बयानों से बिछा रहे हैं सियासी बिछात
गौरतलब है कि केशव प्रसाद मौर्या 2022 के चुनाव की तैयारियों में लग गए हैं, और धुआंधार बयानबाजी कर रहे है। हाल ही में उन्होंने ने अपने बयान में अब मथुरा की बारी है, कहकर भले उनकी चौतरफा आलोचना हुई हो, मगर उन्होंने अपनी ओर चलाए तीरों को विपक्ष की तरफ ही मोड़ दिया। उन्होंने सवाल किया कि क्या अखिलेश नहीं चाहते हैं कि मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि पर भगवान श्रीकृष्ण का भव्य मंदिर हो? इसके अलावा लुंगी और जालीदार गोल टोपी वाले उनके बयान से भी यह संकेत मिलता है कि वह अपनी छवि ‘फायर ब्रांड हिंदू नेता’ की गढ़कर पार्टी के अंदर अपनी स्थिति को और मजबूत करना चाहते में जुटे हैं।
योगी के विरोधी से मुलाकात करके उलझनें बढ़ाई थी
आपको बता दें कि गोरखपुर सदर से चार बार के बीजेपी विधायक राधा मोहन दास अग्रवाल कई बार अपनी ही सरकार और पार्टी पर हमला बोलते नजर आए हैं। एक इंजीनियर का ट्रांसफर कराने के लिए वह लखनऊ तक चले आए। योगी के विश्वासपात्र और गोरखपुर से सांसद रवि किशन के विरोध के बावजूद इंजीनियर केके सिंह का ट्रांसफर कराने के बाद उन्होंने केशव प्रसाद मौर्या का धन्यवाद किया था। सरकार के खिलाफ बयानबाजी को लेकर उन्हें बीजेपी ने कारण बताओ नोटिस भी जारी किया था। पिछले हफ्ते इन्हीं राधामोहन दास अग्रवाल के घर जाकर केशव प्रसाद मौर्या ने मुलाकात की और भोजन भी किया। इस मुलाकात को योगी के लिए एक नई चुनौती की तरह देखा गया। हालांकि केशव प्रसाद मौर्या और विधायक राधा मोहन की तरफ से इसको लेकर कोई टिप्पणी नहीं की गई। इन दोनों की मुलाकात ने यूपी की राजनीति में हलचल मचा दी है।
Created On :   15 Dec 2021 11:42 PM IST