आपदाओं के मानवीय परिणाम घटाने के लिए शमन रणनीति की जरूरत : जितेंद्र सिंह

Jitendra Singh says Mitigation strategy needed to reduce human consequences of disasters
आपदाओं के मानवीय परिणाम घटाने के लिए शमन रणनीति की जरूरत : जितेंद्र सिंह
जोशीमठ भूमि धंसाव आपदाओं के मानवीय परिणाम घटाने के लिए शमन रणनीति की जरूरत : जितेंद्र सिंह

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। जोशीमठ भूमि धंसाव संकट के बीच पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय में राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) जितेंद्र सिंह ने मंगलवार को प्राकृतिक आपदाओं के मानवीय परिणामों को कम करने के लिए न्यूनीकरण रणनीतियों को विकसित करने की जरूरत पर जोर दिया।

मंत्री ने दिल्ली में संयुक्त भारत-यूके अकादमिक कार्यशाला में यह बात कही, जहां ब्रिटेन के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व नई दिल्ली में ब्रिटिश उच्चायोग में भारत में ब्रिटिश उप उच्चायुक्त क्रिस्टीना स्कॉट ने किया।

सिंह ने कहा कि यह एक संयोग है कि पृथ्वी के खतरों पर संयुक्त भूविज्ञान कार्यशाला ऐसे समय में हो रही है, जब भारत उत्तराखंड में जोशीमठ की घटना से निपट रहा है, जहां पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय अन्य एजेंसियों के साथ इस मुद्दे का समाधान करने में शामिल है।

मंत्री ने कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से संकेत लेते हुए पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने सक्रिय रुख अपनाया है और परिणाम-उन्मुख विश्लेषण के लिए विशाल डेटा बेस तैयार करने के लिए दो वर्षो में 37 नए भूकंपीय केंद्र (वेधशालाएं) स्थापित किए हैं और अब भारत में व्यापक अवलोकन सुविधाओं के लिए ऐसे 152 केंद्र हैं।

उन्होंने कहा कि अगले पांच वर्षो में वास्तविक समय डेटा निगरानी और डेटा संग्रह में सुधार के लिए देशभर में ऐसे 100 और भूकंपीय केंद्र खोले जाएंगे। सिंह ने कहा, भारत भूकंप संबंधी प्रगति और समझ में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के करीब पहुंच रहा है।

मंत्री ने रेखांकित किया कि विशाल क्षेत्रों में भू-खतरों की पहचान करने और उनकी मात्रा निर्धारित करने और कम लागत वाले समाधान विकसित करने के लिए भौतिक प्रक्रियाओं पर मौलिक शोध की जरूरत है। क्रस्ट और सब-क्रस्ट के नीचे भंगुर परतों को विफलता से बचाने और शमन रणनीतियां तैयारने की जरूरत है, जो व्यापक रूप से तेजी से विकसित हो रहे - राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक संदर्भो के लिए उपयुक्त हों।

उन्होंने यह भी कहा कि पिछले 50 वर्षो में आपदाओं के पीछे की प्रक्रियाओं की वैज्ञानिक समझ में काफी वृद्धि हुई है और भविष्य में ऐसी आपदाओं से लड़ने के लिए भारत-यूके की पहल जैसे अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को और मजबूत करने की जरूरत है।

स्कॉट ने अपनी टिप्पणी में कहा कि भू-खतरों के लिए लचीलापन बनाना एक बड़ी चुनौती पेश करता है जिसके लिए शोधकर्ताओं, नीति निर्माताओं, सरकारों, निजी क्षेत्रों और नागरिक समाजों द्वारा सहयोगात्मक अंतर्राष्ट्रीय कार्रवाई की जरूरत होती है।

उन्होंने कहा, इस संदर्भ में यूके के पृथ्वी वैज्ञानिक विवर्तनिक (टेकटोनिक) गतिविधि की समझ विकसित करने और भारत में भू-खतरों से निपटने में महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं।

(आईएएनएस)

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ bhaskarhindi.com की टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

Created On :   10 Jan 2023 6:30 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story