सावरकर को गणेश पूजा के साथ जोड़कर सांप्रदायिक आग से खेल रहे हिंदू कार्यकर्ता!
डिजिटल डेस्क, बेंगलुरु। सत्तारूढ़ भाजपा और हिंदुत्ववादी ताकतों ने कांग्रेस और अन्य समूहों सहित कुछ दलों के कड़े विरोध के बावजूद कर्नाटक में वीर सावरकर को मूर्तिमान करने का मिशन शुरू कर दिया है। कर्नाटक में छुरा घोंपने की कई घटनाओं के साथ इस मुद्दे ने सांप्रदायिक रूप ले लिया है। हिंदुत्व समूहों ने इस गणेश उत्सव के दौरान भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में वीर सावरकर के योगदान और बलिदान के मुद्दे पर हर घर तक पहुंचने का फैसला किया है।
कर्नाटक में भगवान गणेश की मूर्ति के साथ वीर सावरकर की तस्वीर लगाने का फैसला किया गया है। कानून-व्यवस्था की स्थिति के डर से अधिकारी भी अलर्ट हैं। विपक्ष के नेता सिद्धारमैया ने भाजपा से सवाल किया था कि वे टीपू सुल्तान को स्वतंत्रता सेनानी के रूप में स्वीकार क्यों नहीं करेंगे और वीर सावरकर को बढ़ावा देने पर जोर क्यों नहीं देंगे? कर्नाटक कांग्रेस अध्यक्ष डी. के. शिवकुमार ने सवाल किया, वीर सावरकर और भगवान गणेश के बीच क्या संबंध है?
सत्तारूढ़ भाजपा ने टीपू सुल्तान की जयंती के उत्सव को रद्द करने की घोषणा की थी। स्वतंत्रता दिवस के 75वें वर्ष के उत्सव में फिर से वीर सावरकर को बढ़ावा देने और सत्तारूढ़ भाजपा द्वारा सभी मुस्लिम स्वतंत्रता सेनानियों को छोड़ने से उत्पन्न संघर्ष देखा गया। वीर सावरकर की तस्वीर को शामिल करने और कर्नाटक सरकार द्वारा जारी किए गए पोस्टर से देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की तस्वीर को हटाने से भी देश भर में ध्यान खींचा गया। कांग्रेस भारत के पहले प्रधानमंत्री के प्रति अपमान पर नाराज हो गई।
वरिष्ठ संपादक रविकुमार एन. एम. ने कहा कि वीर सावरकर का इतिहास भगत सिंह जैसा कभी नहीं हो सकता। उन्होंने कहा, सावरकर को महात्मा गांधी की हत्या के मामले में एक आरोपी के रूप में माना गया था। सत्तारूढ़ भाजपा जो चर्चा करने में सक्षम नहीं है .. और आम आदमी के दिन-प्रतिदिन के जीवन में धर्म और राजनीति के बारे में बात कर रही है। वे बताते हैं, सरकार युवक-युवतियों में वैज्ञानिक सोच पैदा करने की भी कोशिश नहीं कर रही है। चर्चा के लिए कोई जगह नहीं है।
एसडीपीआई के कर्नाटक महासचिव अफसर कोडलीपेट का कहना है कि शिवमोग्गा में वीर सावरकर के फ्लेक्स के लिए उठाई गई आपत्ति सही थी। उन्होंने कहा, इंडिया गेट की दीवारों पर स्वतंत्रता सेनानियों के 60,000 नाम उकेरे गए हैं। शिवमोग्गा के एक मॉल में एक भी मुस्लिम स्वतंत्रता सेनानी का प्रचार नहीं किया गया था। वीर सावरकर को बढ़ावा देने के बहाने, सत्तारूढ़ भाजपा और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने हजारों मुसलमानों द्वारा भारतीय स्वतंत्रता के 75वें वर्ष के उत्सव को बाधित कर दिया है।
सत्तारूढ़ भाजपा नेताओं ने कांग्रेस पर हमला किया कि वीर सावरकर को दिवंगत प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा भारत के उल्लेखनीय पुत्र के रूप में बुलाया गया था और वीर सावरकर का विरोध आगामी विधानसभा चुनावों में वोट बैंक सुनिश्चित करने के लिए तुष्टिकरण की राजनीति के बारे में है। दक्षिणपंथी विचारक, लेखक, चक्रवर्ती सुलीबेले ने वीर सावरकर और उनके संघर्षों के बारे में बात करने वाली छोटी पुस्तिका को वितरित करने के लिए एक मिशन शुरू किया है।
इस बीच कर्नाटक के अधिकारियों ने गणेश की मूर्ति के साथ वीर सावरकर की तस्वीर लगाने के आसपास हो रहे घटनाक्रम को लेकर कमर कस ली है। सत्तारूढ़ भाजपा हालांकि इस प्रवृत्ति को प्रोत्साहित करती दिख रही है। पार्टी के अंदरूनी सूत्र बताते हैं कि वीर सावरकर का विरोध पार्टी के लिए केवल हिंदू वोटों का ध्रुवीकरण करेगा। टेक्स्ट के जरिए और विभिन्न प्लेटफॉर्म पर भी सावरकर का प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। साथ ही, राज्य सरकार विशेष रूप से सावरकर पर एक शोध केंद्र स्थापित करने के लिए पूरी तरह तैयार है।
(आईएएनएस)
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Created On :   27 Aug 2022 8:00 PM IST