अवैध धर्मांतरण पर रोक लगाने के लिए भारत सरकार बनाए कानून : विहिप

Government of India should make law to check illegal conversion: VHP
अवैध धर्मांतरण पर रोक लगाने के लिए भारत सरकार बनाए कानून : विहिप
नई दिल्ली अवैध धर्मांतरण पर रोक लगाने के लिए भारत सरकार बनाए कानून : विहिप
हाईलाइट
  • अवैध धर्मांतरण
  • धार्मिक स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) के केन्द्रीय संयुक्त महामंत्री डॉ सुरेन्द्र जैन ने अवैध धर्मांतरण पर उच्चतम न्यायालय द्वारा जताई गई चिंता से सहमति व्यक्त करते हुए केंद्र सरकार से इसे रोकने के लिए जल्द से जल्द केंद्रीय कानून बनाने का अनुरोध किया है।

जैन ने कहा कि विभिन्न घटनाओं और इस विषय पर गठित आयोगों का यही निष्कर्ष है कि अवैध धर्मांतरण, धार्मिक स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है। उच्चतम न्यायालय ने भी यह स्पष्ट चेतावनी दी है कि अगर इसे नहीं रोका गया तो देश के लिए खतरनाक स्थिति निर्माण हो जाएगी। उन्होंने आगे कहा कि न्यायपालिका ने पहले भी कई मामलों में अवैध धर्मांतरण पर केंद्रीय कानून बनाने की आवश्यकता पर बल दिया था।

विहिप नेता ने आगे कहा कि बार बार यह स्पष्ट हो गया है कि जबरन, धोखे से व लालच से किया गया धर्मांतरण अवैध है, लेकिन स्पष्ट कानून के अभाव में षड्यंत्रकारियों को सजा नहीं मिल पाती है। उन्होंने आगे कहा कि विश्व हिंदू परिषद व भारत के संतों और महापुरुषों का हमेशा से ही यह मत रहा है कि अवैध धर्मांतरण को रोकना चाहिए। मिशनरियों से जनजातियों की रक्षा के लिए भगवान बिरसा मुंडा का संघर्ष और बलिदान अविस्मरणीय है। सिक्ख गुरुओं, स्वामी श्रद्धानंद, स्वामी लक्ष्मणानन्द आदि कई महापुरुषों ने इसे रोकने के लिए ही अपने बलिदान दिए थे। यहां तक कि विहिप ने भी इस विषय पर कई बार प्रस्ताव पारित किए हैं।

डॉ जैन ने कहा कि इस समय भारत के 8 राज्यों में अवैध धर्मांतरण को रोकने के लिए कानून बनाया गया है लेकिन यह समस्या राष्ट्रव्यापी है जिसके पीछे अंतर्राष्ट्रीय षडयंत्रकारी शक्तियां सक्रियता से काम कर रही हैं। इनके द्वारा भेजी जा रही अकूत धनराशि के कई बार प्रमाण भी मिले हैं। पूर्वोत्तर व पूर्वी राज्यों में मिशनरी और देशभर में पीएफआई की गतिविधियों से यह स्पष्ट हो गया है कि इसके कारण राष्ट्रीय सुरक्षा भी खतरे में पड़ती रही है। इसके बाबजूद वोट बैंक की राजनीति के चलते कुछ राजनीतिक दल इसका विरोध करते हैं जबकि पहले वही राजनीतिक दल अपने शासित राज्यों में यह कानून लेकर आए थे।

 

आईएएनएस

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Created On :   15 Nov 2022 2:01 PM IST

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