बाबुल सुप्रियो को विधायक पद की शपथ दिलाने पर ताजा असमंजस

Fresh confusion over Babul Supriyo being sworn in as MLA
बाबुल सुप्रियो को विधायक पद की शपथ दिलाने पर ताजा असमंजस
पश्चिम बंगाल बाबुल सुप्रियो को विधायक पद की शपथ दिलाने पर ताजा असमंजस

डिजिटल डेस्क, कोलकाता। पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने शनिवार को गायक से राजनेता बने बाबुल सुप्रियो के बालीगंज निर्वाचन क्षेत्र से नवनिर्वाचित विधायक के रूप में शपथ ग्रहण समारोह से संबंधित फाइल को मंजूरी देने के कुछ ही घंटों बाद इस मुद्दे पर एक नया भ्रम पैदा हो गया।

राज्यपाल ने पश्चिम बंगाल विधानसभा के उपाध्यक्ष आशीष बनर्जी को सुप्रियो को शपथ दिलाने के लिए अधिकृत किया। लेकिन उस अधिसूचना को प्राप्त करने के बाद बनर्जी ने यह कहते हुए शपथ दिलाने से इनकार कर दिया : पश्चिम बंगाल विधानसभा के अध्यक्ष के मौजूद होने के कारण, यदि मैं डिप्टी स्पीकर के रूप में शपथ दिलाता हूं तो यह उनके लिए अपमान होगा।

बनर्जी ने शनिवार देर शाम मीडियाकर्मियों से कहा, मैं शपथ दिलाने में असमर्थता जताते हुए राज्यपाल को एक पत्र भेजूंगा। दरअसल, यह खबर मिलने के बाद कि राज्यपाल ने डिप्टी स्पीकर को शपथ दिलाने के लिए अधिकृत किया है, सुप्रियो ने भी असंतोष व्यक्त किया। सुप्रियो ने शनिवार को मीडियाकर्मियों से कहा, बेशक, यह राज्यपाल का विशेषाधिकार है। लेकिन अगर विधानसभा अध्यक्ष ने शपथ नहीं दिलाई तो मेरे दिमाग में एक अड़चन बनी रहेगी।

इस सप्ताह की शुरुआत में राज्यपाल ने शपथ ग्रहण समारोह से संबंधित फाइल को मंजूरी देने से इनकार कर दिया था। राज्य विधानसभा के सूत्रों ने कहा कि एक फाइल राज्यपाल के सदन को मंजूरी के लिए भेजी गई थी, ताकि शपथ ग्रहण समारोह विधानसभा परिसर के भीतर आयोजित किया जा सके, और विधानसभा अध्यक्ष बिमान बनर्जी उसी के लिए औपचारिकताओं का संचालन कर रहे हैं। बालीगंज विधानसभा क्षेत्र के लिए उपचुनाव 12 अप्रैल को हुए थे और नतीजे 16 अप्रैल को घोषित किए गए थे।

तृणमूल कांग्रेस के विजेता बने बाबुल सुप्रियो, पश्चिम बंगाल में आसनसोल लोकसभा क्षेत्र से दो बार सांसद रहे और नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार में मंत्री भी बने थे। हालांकि, 2021 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों के बाद वह तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए और आसनसोल के सांसद के रूप में इस्तीफा दे दिया। तृणमूल ने उन्हें बालीगंज से उम्मीदवार के रूप में खड़ा किया था, जहां पिछले साल नवंबर में पूर्व विधायक और राज्य के पंचायत मंत्री सुब्रत मुखर्जी के आकस्मिक निधन के बाद उपचुनाव जरूरी था।

(आईएएनएस)

Created On :   1 May 2022 12:30 AM IST

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