शहीदों की पत्नियों का मामले अब गहलोत-पायलट आमने सामने, बीजेपी की बजाए अब सचिन पायलट ने खोला अपनी ही सरकार के खिलाफ मोर्चा
डिजिटल डेस्क, जयपुर। राजस्थान में एक बार फिर सियासी भूचाल आ सकता है। इस बार कांग्रेस और बीजेपी दोनों पार्टियां आमने-सामने खड़ी हैं लेकिन इन सबसे इतर पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट भी अपनी ही सरकार के खिलाफ बोलते हुए नजर आ रहे हैं। बता दें कि, पुलवामा अटैक में शहीद हुए जवानों की पत्नियां राजस्थान सरकार के खिलाफ 12 दिनों से धरना प्रदर्शन कर रही हैं और अपनी मांगों को लेकर अड़ी हुई है। उनका कहना है कि जब तक हमारी मांगे गहलोत सराकर पूरी नहीं कर लेती तब तक हम अपना धरना प्रदर्शन नहीं छोड़ने वाले हैं। इसी मुद्दे पर पायलट ने अपने विधानसभा क्षेत्र टोंक में मीडिया से बातचीत के दौरान गहलोत पर निशाना साधते हुआ कहा कि सरकार को संवेदनशील होकर उन शहीद जवानों की पत्नियों की बातें सुननी चाहिए, ताकि सरकार की छवि देश में गलत न जाए।
सचिन पायलट ने क्या कहा?
दरअसल, सचिन पायलट टोंक में दो दिवसीय दौरे पर गए हुए हैं। जहां पर वो अपनी ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए दिखाई दिए। उन्होंने कहा कि, जिस तरह शहीद जवानों की पत्नियां सरकार से गुहार लगा रही हैं अगर उनकी बातें संवेदनशील होकर सुनी जाए तो ज्यादा उचित होगा। आप भले ही उनकी बातें मानें या न मानें ये बाद की बात है, लेकिन कम से कम वीरांगनाओं से सरकार को बात तो करनी ही चाहिए। सचिन पायलट यहीं नहीं रूके उन्होंने आगे कहा कि जिस तरह पिछले दिनों वीरांगनाओं के साथ अपमानजनक व्यवहार हुआ वो बड़ी ही दुख की बात है। उन सभी के पतियों ने देश के लिए अपना सब कुछ न्यौछावर कर दिया लेकिन उनके साथ कैसा सलूक हो रहा है। जो हमारे और देश की संपत्ति हैं, इनका सम्मान होना चाहिए।
— ANI_HindiNews (@AHindinews) March 10, 2023
राजनीति ना हो- पायलट
इस पूरे मामले में भाजपा-कांग्रेस एक दूसरे के सामने आकर खड़ी हो गई हैं और बीजेपी गहलोत सरकार को शहीद जवानों की पत्नियों की बात मानने के लिए कह रही है। इस पूरे घटनाक्रम को राजनीति में बदलते देख सचिन पायलट ने कहा कि वीरांगनाओं के ऊपर राजनीति नहीं होनी चाहिए, जिसको भी अपना विरोध प्रदर्शन करना है करें, सबको संवैधानिक अधिकार है। बता दें कि, इस पूरे मामले में सबसे ज्यादा राज्यसभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा एक्टिव नजर आ रहे हैं। उन्होंने गहलोत सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा था कि सरकार ने शहीद जवानों की पत्नियों को नौकरी देने का आश्वासन दिया था जो अब सरकार को पूरा करना चाहिए। क्योंकि इन्होंने अपना सब कुछ खो दिया है, फिर भी गहलोत सरकार अनाकानी कर रही है।
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, पुलवामा अटैक में शहीदों की पत्नियां गहलोत सरकार पर यह आरोप लगाई हैं कि जब हमारे पति पुलवामा में हुए आतंकी हमले में शहीद हो गए थे। तब सरकार ने हमें आश्वासन दी थी कि तुम्हारे पति के नाम पर स्कूल, स्मारक और परिवार के किसी सदस्य को नौकरी देंगे। लेकिन सरकार ने इन तमाम मांगों में से किसी भी चीज को पूरा नहीं किया है।
पेंच कहां फंसा?
शहीद जवानों की पत्नियों की मांग को सरकार इसलिए नकार रही है क्योंकि शहीदों की पत्नियां अपने रिश्तेदारों को नौकरी दिलाने की बात कह रही हैं। गहलोत सरकार का कहना है कि ये उनके बच्चों के साथ गलत होगा, जब उनके बच्चे बड़े हो जाएंगे तब प्रदेश की सरकार उन्हें नौकरी देगी। इसी बात को लेकर 12 दिनों से गहलोत सरकार और शहीदों की पत्नियों में खींचतान मची हुई है।
Created On :   11 March 2023 12:10 PM IST