अलप्पुझा में माकपा में गुटबाजी तेज, माकपा सचिव करेंगे जांच

CPI(M) factionalism intensifies in Alappuzha, CPI(M) secretary will investigate
अलप्पुझा में माकपा में गुटबाजी तेज, माकपा सचिव करेंगे जांच
राजनीति अलप्पुझा में माकपा में गुटबाजी तेज, माकपा सचिव करेंगे जांच

डिजिटल डेस्क, तिरुवनंतपुरम। माकपा के गढ़ अलाप्पुझा में गुटबाजी तेज हो गई है। मामले की जांच के लिए पार्टी ने अपने सचिव को तैनात किया है। पार्टी के नए राज्य सचिव एम.वी. गोविंदन ने खुद इस मामले को उठाने का फैसला किया है और समस्या के समधान के लिए सोमवार को अलप्पुझा पहुंचें।

संयोग से अलाप्पुझा ही वह स्थान है, जहां पूर्व मुख्यमंत्री वी.एस. अच्युतानंदन का घर है और यह वह जिला भी है, जहां राज्य में कम्युनिस्ट आंदोलन के संस्थापक नेताओं में से एक पी.कृष्ण पिल्लई की 1948 में सर्पदंश के बाद एक झोपड़ी में मृत्यु हो गई थी। अलप्पुझा जिला उस समय आकर्षण का केंद्र था जब अच्युतानंदन और वर्तमान मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन के बीच गुटीय झगड़ा नब्बे के दशक के उत्तरार्ध में अपने चरम पर था।

अच्युतानंदन की पकड़ ढीली होने के बाद यह जिला राज्य के दो पूर्व मंत्रियों थॉमस इसाक और जी. सुधाकरन के नियंत्रण में आ गया, जिनके पास अच्युतानंदन (2006-11) और विजयन (2016-21) के मंत्रिमंडल में एक-एक कार्यकाल था।

एक समय में इसहाक और सुधाकरन के बीच तीव्र प्रतिद्वंद्विता थी, लेकिन विजयन ने पार्टी में अपनी पकड़ को और मजबूत करने का फैसला करने के बाद, वर्तमान राज्य के मत्स्य मंत्री साजी चेरियन को लाया। विजयन द्वारा सुधाकरन और इसहाक दोनों को चुनावी राजनीति से बाहर रखने का फैसला करने के बाद चेरियन अब जिले के सबसे मजबूत नेता हैं।

जैसे-जैसे जिले में सीपीआई (एम) में हालात अस्थिर होते जा रहे थे, अलप्पुझा में सीपीआई (एम) के एक पार्षद -ए. शाहनवाज को जिला पार्टी इकाई द्वारा इस महीने की शुरुआत में प्रतिबंधित तंबाकू लॉरी में ले जाने के बाद निलंबित कर दिया गया था।

लॉरी शाहनवाज और दो लोगों की थी, जिन्हें खेप के साथ गिरफ्तार किया गया था। दोनों पार्षद के करीबी सहयोगी थे, जिन्होंने पहले दोनों से अनभिज्ञता जाहिर की थी। लेकिन बाद में उन सभी की शाहनवाज के हाल के जन्मदिन समारोह में भाग लेने वाली तस्वीरों सामने आने के बाद पार्टी को कार्रवाई करने के लिए मजबूर कर दिया।

गिरफ्तार किए गए दोनों लोग माकपा की युवा शाखा के सदस्य थे। दोनों को पार्टी से बाहर कर दिया गया, लेकिन ताकतवर शाहनवाज को मात्र निलंबित कर दिया गया, जो चेरियन के करीबी बताए जाते हैं। इस मुद्दे ने इसहाक और सुधाकरन के एक अप्रत्याशित पुनर्मिलन को देखा। सुधाकरन अपनी साफ-सुथरी छवि के लिए जाने जाते हैं और इस बात के संकेत दिए कि वह चुप नहीं रहने वाले हैं। इससे चेरियन खेमे में बेचैनी है।

यह देखते हुए कि स्थिति हाथ से निकल सकती है, विजयन और गोविंदन दोनों ने कार्रवाई करने का फैसला किया है। विजयन के लिए भी यह एक कड़ी परीक्षा होने जा रही है, क्योंकि आने वाले दिनों में फिर से शुरू होने वाले विधानसभा सत्र के दौरान कांग्रेस के नेतृत्व वाला विपक्ष उन पर हमला करने के लिए तैयार है।

(आईएएनएस)।

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Created On :   30 Jan 2023 4:01 PM IST

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