भवानीपुर में बडे़ नेताओं को दांव पर लगाएगी बीजेपी, कांटे का होगा मुकाबला

Bengal Politics भवानीपुर में बडे़ नेताओं को दांव पर लगाएगी बीजेपी, कांटे का होगा मुकाबला

डिजिटल डेस्क, कोलकाता । पश्चिम बंगाल की तीन विधानसभा सीटों पर उपचुनाव की तारीखों की घोषणा के बाद राजनीतिक हलचल तेज हो गई हैं। बीजेपी ने ममता बनर्जी को भवानीपुर उपचुनाव हराने के लिए कमर कस ली हैं। और भवानीपुर विधानसभा सीट से अपने दिग्गज नेताओं को उतारने पर विचार कर रही हैं। याद दिला दें ममता बनर्जी ने नंदीग्राम सीट से विधानसभा चुनाव लड़ा था। और, कभी उनके खास रहे शुभेंदु अधिकारी से हार का सामना करना पड़ा था। इस सीट पर शुभेंदु अधिकारी ने ममता को कांटे की टक्कर दी थी। चुनाव हारने के बावजूद ममता सीएम बनी। पर, अब अगर उन्हें पद पर बने रहना है तो उन्हें जल्द किसी सीट से चुनाव जीतना होगा। फिलहाल उनकी पारंपरिक सीट भवानीपुर से उनके चुनाव लड़ने की उम्मीद जताई जा रही है। अगर अब ममता बनर्जी उपचुनाव में भवानीपुर सीट से चुनाव हारती हैं, तो उन्हें मुख्यमंत्री पद से भी इस्तीफा देना होगा। इस सीट पर 30 सितंबर को मतदान होगा, वहीं 3 अक्टूबर को चुनाव का परिणाम आयेगा। 

बीजेपी की बड़ी तैयारी

बीजेपी ने इस उपचुनाव के लिए जोरदार तैयारी शुरू कर दी है। बीजेपी में भवानीपुर उपचुनाव  को लेकर कई नामों पर विचार किया जा रहा है। अभिनेता से नेता बने रुद्रनील घोष, पूर्व राज्यपाल तथागत रॉय, पूर्व टीएमसी सांसद दिनेश त्रिवेदी और बीजेपी नेता डॉक्टर अनिर्बान गांगुली जैसे बड़े नाम इनमें शामिल हैं। विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने रुद्रनील घोष को टिकट दिया था। टीएमसी से शोभनदेव चट्टोपाध्याय मैदान में थे। टीएमसी से ही बीजेपी में शामिल हुए घोष को चट्टोपाध्याय के सामने शिकस्त हासिल हुई। हालांकि नंदीग्राम से ममता बनर्जी की हार के बाद शोभनदेव ने स्वेच्छा से ममता के लिए सीट खाली कर दी। अब एक बार फिर ममता को नंदीग्राम से किस्मत आजमाने का मौका मिल रहा है। हालांकि बीजेपी भी साफ कर चुकी है कि वो ममता बनर्जी को विधानसभा पहुंचने से रोकने के लिए चुनावी मैदान में पूरी दमदारी से उतरने वाली है।

कांग्रेस और लेफ्ट में भी मंथन जारी

कांग्रेस में इस बात को लेकर मंथन जारी है कि वह चुनाव में अकेले उतरे या लेफ्ट के साथ गठबंधन करें। हालांकि खबर आ रही हैं, वहां कांग्रेस (Congress) अपना उम्मीदवार नहीं उतारेगी, कहा जा रहा है कि मिशन 2024 के मद्देनजर चल रही साझा विपक्ष तैयार करने की कोशिशों को और ज्यादा मजबूती देने के लिए कांग्रेस इस सीट से दूरी ही बनाए रखेगी। आसान शब्दों में कहें तो, बंगाल विधानसभा चुनाव में खाता तक न खोल पाने वाली कांग्रेस के पास इस उपचुनाव से दूर रहने के अलावा और कोई रास्ता भी नहीं है।


शुभेंदु की शपथ और नए उम्मीदवार की तलाश

नंदीग्राम विधान सभा सीट को लेकर पंश्चिम बंगाल का चुनाव काफी दिलचस्प था। एक तरह बीजेपी सत्ता में बने के लिए अपना पूरा जोर लगा रही थी। तो दूसरी तरफ ममता बनर्जी सत्ता में बने रहने के लिए पूरी ताकत के साथ बीजेपी कड़ी टक्कर दे रही थी। पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण सीट नंदीग्राम का माना जा रहा था। उसका प्रमुख कारण ममता बनर्जी खुद उसी सीट से चुनाव लड़ने का एलान कर चुकी थी। उसक पहले ममता अपने पारंपरिक सीट भवानीपुर से ही चुनाव लड़ती आ रहीं थी। नंदीग्राम विधानसभा क्षेत्र इसलिए भी अहम था, क्योंकि इस इलाके में शुभेंदु अधिकारी का प्रभाव माना जाता था, जो किसी जमाने में ममता के खास थे। पर चुनाव से पहले बीजेपी में शामिल हो गए। ममता बनर्जी ने नंदीग्राम से चुनाव लड़ने का एलान कर शुभेंदु अधिकारी को कड़ी चुनौती पेश कर दी थी। ममता बनर्जी के करीबी कहे जाने वाले शुभेंदु अधिकारी ने भाजपा का दामन थामा था। और भाजपा ने शुभेंदु अधिकारी को ममता के खिलाफ नंदीग्राम सीट से उतारा था। नंदीग्राम सीट को लेकर शुभेंदु अधिकारी ने बड़ा बयान दिया था,अधिकारी ने कहा था कि "अगर नंदीग्राम सीट से मैं ममता बनर्जी को आधे लाख से अधिक वोट से नहीं हराया तो राजनीति छोड़ दूंगा"। खैर, शुभेंदु अधिकारी उतने वोटों के अंतर से ममता बनर्जी को नहीं हरा पाये,लेकिन बाजी मार ले गये थे। नंदीग्राम सीट से ममता को 1736 वोटों से शुभेंदु अधिकारी ने हराकर इतिहास रच दिया था। अब बीजेपी से सवाल हो रहे हैं कि क्या वो शुभेंदु से ही ममता का मुकाबला करवाएंगी। इस पर पार्टी प्रमुख दिलीप घोष ये साफ कर चुके हैं कि इस बार नया चेहरा ममता को चुनौती देगा।

 

Created On :   7 Sept 2021 7:00 AM GMT

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