नई शिक्षा नीति पर सियासी घमासान जारी: पवन कल्याण बोले - 'मैनें कभी हिंदी का विरोध नहीं किया', प्रकाश राज ने कहा - 'अपनी भाषा हम पर मत थोपिए'

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। नई शिक्षा नीति पर देश में सियासी बवाल मचा हुआ है। आंध्र प्रदेश के डिप्टी सीएम और साउथ सुपरस्टार पवन कल्याण ने इस विवाद पर अपनी राय दी। उन्होंने तमिलनाडु के सत्ताधारी दल डीएमके पर निशाना साधते हुए कहा था कि मिलनाडु के नेता हिंदी का विरोध करते हैं। दूसरी तरफ तमिल फिल्मों को हिंदी में डब कराकर पैसे कमाते हैं। ऐसा क्यों? ये पाखंड कर रहे हैं।
उन्होंने किसी का नाम लिए बिना कहा था कि एक तरफ वे हिंदी का विरोध करते हैं, लेकिन पैसे कमाने के लिए अपनी फिल्मों को हिंदी में डब कराते हैं। मुझे यह समझ में नहीं आता कि आखिर वो ऐसा क्यों करते हैं। वे बॉलीवुड से पैसा तो चाहते हैं, लेकिन हिंदी को स्वीकार करने से इनकार करते हैं। ये कैसा तर्क है।
हालांकि कुछ समय बाद उन्होंने अपने बयान पर सफाई देते हुए कहा कि मैंने कभी भी हिंदी भाषा का विरोध नहीं किया। मैंने केवल इसे अनिवार्य बनाने का विरोध किया। जब NEP 2020 खुद हिंदी को लागू नहीं करता है, तो इसके लागू होने के बारे में गलत बयानबाजी करना जनता को गुमराह करने के अलावा और कुछ नहीं है।
प्रकाशराज ने किया पलटवार
पवन कल्याण के इस बयान उनके साथी कलाकार प्रकाश राज ने पलटवार किया। उन्होंने एक्स पर पोस्ट कर कहा, अपनी हिंदी भाषा हम पर मत थोपिए। यह किसी दूसरी भाषा से नफरत करने के बारे में नहीं है, यह हमारी मातृभाषा और हमारी सांस्कृतिक पहचान को आत्मसम्मान के साथ बचाने के बारे में है। कृपया कोई पवन कल्याण को ये समझाए।
वहीं अपनी एक्स पर की गई पोस्ट पर पवन कल्याण ने कहा, NEP 2020 के अनुसार, छात्रों को किसी भी दो भारतीय भाषाओं (अपनी मातृभाषा सहित) को एक विदेशी भाषा के साथ सीखने की सुविधा है। यदि वे हिंदी नहीं पढ़ना चाहते हैं तो तेलुगु, तमिल, मलयालम, कन्नड़, मराठी, संस्कृत, गुजराती, असमिया, कश्मीरी, ओडिया, बंगाली, पंजाबी, सिंधी, बोडो, डोगरी, कोंकणी, मैथिली, मैतेई, नेपाली, संथाली, उर्दू या किसी अन्य भारतीय भाषा का विकल्प चुन सकते हैं। बहु-भाषा नीति छात्रों को विकल्प के साथ सशक्त बनाने, राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने और भारत की समृद्ध भाषाई विविधता को संरक्षित करने के लिए बनाई गई है।
राजनीतिक एजेंडे के लिए इस नीति की गलत व्याख्या करना और यह दावा करना कि पवन कल्याण ने अपना रुख बदल लिया है, यह समझ की कमी को ही दर्शाता है। जन सेना पार्टी हर भारतीय के लिए भाषाई स्वतंत्रता और शैक्षिक विकल्प के सिद्धांत पर दृढ़ता से खड़ी है।
Created On :   16 March 2025 2:12 AM IST