BPSC Protest: प्रशांत किशोर ने CM नीतीश कुमार पर साधा निशाना, बोले - 'वे अहंकारी..छात्रों से मिलने से किया इनकार!'
- पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान पर अनशन कर रहे प्रशांत किशोर
- पटना जिला प्रशासन ने अनशन खत्म करने का दिया नोटिस
- पीके ने सीएम नीतीश कुमार पर जमकर साधा निशाना
डिजिटल डेस्क, पटना। बीपीएससी छात्रों का प्रदर्शन बड़ा रूप लेता जा रहा है। जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर BPSC की 70वीं प्रारंभिक परीक्षा को रद्द करने की मांग को लेकर गांधी मैदान में आमरण अनशन पर बैठे हैं। इस दौरान उन्होंने धरना खत्म करने को लेकर दिए गए प्रशासन के नोटिस और सीएम नीतीश के प्रदर्शन कर रहे छात्रों से मुलाकात न करने पर बयान दिया।
सीएम नीतीश 'अहंकारी'
प्रशांत किशोर ने कहा, "यहां ADM आए थे जिन्होंने मुझे कहा कि आंदोलन को वापस ले लीजिए। लेकिन मैंने उन्हें बता दिया कि ये मेरे लिए संभव नहीं है। इतने सारे साथियों ने मेरे पर विश्वास किया है, उससे हम पीछे नहीं हट सकते। 29 दिसंबर को प्रशासन ने छात्रों पर लाठी चलाई। अब किसी भी हालत में मैं प्रशासन के कहने से आंदोलन वापस नहीं लूंगा। बच्चों से मुख्यमंत्री सीधे मुलाकात करें। मुख्यमंत्री 5 छात्र चुन सकते हैं। मुख्यमंत्री का अहंकार इतना है कि वे कह रहे हैं हम नहीं मिलेंगे। हम लोगों की भी ज़िद है कि उन्हें मिलना ही पड़ेगा।"
बता दें कि गुरुवार को जनसुराज पार्टीव के चीफ प्रशांत किशोर को पटना जिला प्रशासन ने नोटिस जारी किया था। जिसमें पीके को गांधी मैदान खाली करने का निर्देश दिया गया था। साथ ही ऐसा न करने पर उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की भी चेतावनी दी गई थी।
इस बारे में पत्रकारों से बात करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा था, "हमें जो नोटिस प्रशासन ने दिया था, उसका पहले ही जवाब दे दिया है। गांधी मैदान में सार्वजनिक स्थान पर बैठने पर कोई प्रतिबंध नहीं है। हम हीरो बनने के लिए नहीं बैठे हैं, बल्कि हमें जो अधिकार है, उसी का उपयोग कर रहे हैं। बिहार के हर नागरिक को यहां बैठने का अधिकार है। हम तब तक यहां बैठेंगे, जब तक हमारी मुख्य मांगें पूरी नहीं होतीं। हमारी सबसे बड़ी मांग यह है कि बिहार के युवाओं के साथ पिछले दस सालों से जो अन्याय हो रहा है, उस पर सरकार को जागना चाहिए।"
'किस दोषी अधिकारी को सजा मिली'
सूबे की नीतीश सरकार पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा, "नीतीश कुमार ने 10 साल पहले बिहार के गांव-गांव जाकर बेरोजगार युवाओं को बेरोजगारी भत्ते का वादा किया था, लेकिन आज तक किसी को एक रुपया भी नहीं मिला। पिछले चार-पांच सालों में हर परीक्षा में पेपर लीक होते रहे हैं, अनियमितताएं होती रही हैं। जब बच्चे आवाज उठाते हैं तो उन पर लाठीचार्ज किया जाता है। धरना-प्रदर्शन करने वाले छात्रों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है, न ही शिक्षा माफिया या किसी जिम्मेदार अधिकारी के खिलाफ कोई कदम उठाया गया है। हमारी मांग है कि बताएं कि किस पेपर लीक में किस पर कार्रवाई हुई? किस दोषी अधिकारी को सजा मिली?"
Created On :   3 Jan 2025 6:34 PM IST