राज्यसभा में संविधान पर चर्चा: अमित शाह ने कांग्रेस को बताया संविधान विरोधी, राहुल गांधी पर किया हमला, कई मुद्दों पर रखी अपनी बात, पढ़ें पूरा भाषण
- संविधान पर चर्चा पर शाह ने रखी अपनी बात
- राहुल गांधी को लेकर भी बोला तीखा हमला
- बीजेपी ने 16 साल में किए 22 संशोधन- अमित शाह
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारतीय संविधान के 75 वर्ष होने पर राज्यसभा में चर्चा के दौरान केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने भाग लिया। इस दौरान उन्होंने कांग्रेस पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि आज जब 75 साल के समय के बाद, संविधान को स्वीकार करने के बाद पीछे मुड़कर देखते हैं तो सरदार पटेल का मैं धन्यवाद करना चाहता हूं कि उनके अथक परिश्रम के कारण आज एक होकर देश मजबूती के साथ दुनिया के सामने खड़ा है।
कांग्रेस पर हमला
उन्होंने कहा कि जो लोग कहते थे कि हम आर्थिक रूप से मजबूत नहीं हो पाएंगे, उनको भी हमारी जनता ने, हमारे संविधान ने खूबसूरती से जवाब दिया है। आज हम दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनकर सम्मान के साथ खड़े हैं। कोई ये न समझे कि हमारा संविधान दुनिया के संविधानों की नकल है। हां, हमने हर संविधान का अभ्यास जरूर किया है, क्योंकि हमारे यहां ऋग्वेद में कहा गया है, हर कोने से हमें अच्छाई प्राप्त हो, सुविचार प्राप्त हो, और सुविचार को स्वीकारने के लिए मेरा मन खुला हो। हमने सबसे अच्छा लिया है, लेकिन हमने हमारी परंपराओं को नहीं छोड़ा है। पढ़ने का चश्मा अगर विदेशी है, तो संविधान में भारतीयता कभी दिखाई नहीं देगी।
अमित शाह ने कहा कि भाजपा ने 16 साल तक शासन किया और संविधान में 22 संशोधन किए। इसके विपरीत, कांग्रेस पार्टी ने 55 साल तक शासन किया और 77 संशोधन किए। दोनों पार्टियों ने संविधान में संशोधन किए हैं। संशोधनों को लागू करने के अलग-अलग तरीके हैं- कुछ संवैधानिक प्रक्रियाओं का पालन करते हैं, जबकि अन्य केवल औपचारिकता के तौर पर किए जा सकते हैं। संविधान में संशोधन के पीछे के उद्देश्यों की जांच करके किसी पार्टी के चरित्र और इरादों को समझा जा सकता है।
राहुल गांधी पर किया वार
अमित शाह ने कहा कि संविधान की रचना के बाद डॉ अंबेडकर ने बहुत सोच समझकर एक बात कही थी कि कोई संविधान कितना भी अच्छा हो, वह बुरा बन सकता है, अगर जिन पर उसे चलाने की जिम्मेदारी है, वो अच्छे नहीं हों। उसी तरह से कोई भी संविधान कितना भी बुरा हो, वो अच्छा साबित हो सकता है, अगर उसे चलाने वालों की भूमिका सकारात्मक और अच्छी हो। ये दोनों घटनाएं हमने संविधान के 75 साल के कालखंड में देखी हैं।
अमित शाह ने कहा कि संविधान में पहला संशोधन 18 जून 1951 को हुआ था। संविधान समिति ने यह संशोधन इसलिए किया क्योंकि कांग्रेस पार्टी आम चुनावों का इंतज़ार करने को तैयार नहीं थी। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को प्रतिबंधित करने के लिए संविधान में अनुच्छेद 19A जोड़ा गया था और इस बदलाव को जवाहर लाल नेहरू ने लागू किया था, जो उस समय प्रधानमंत्री थे। हमारे संविधान को कभी भी अपरिवर्तनशील नहीं माना गया। समय के साथ साथ देश भी बदलना चाहिए, समय के साथ साथ कानून भी बदलने चाहिए और समय के साथ साथ समाज भी बदलना चाहिए। परिवर्तन इस जीवन का मंत्र है, सत्य है। इसको हमारे संविधान सभी ने स्वीकार किया था। इसलिए आर्टिकल 368 में संविधान संशोधन के लिए प्रोविजन किया गया था। अभी कुछ राजनेता आए हैं और 54 साल की आयु में अपनेआप को युवा कहते हैं और घूमते रहते हैं कि संविधान बदल देंगे, संविधान बदल देंगे। मैं उनको कहना चाहता हूं कि संविधान के प्रावधानों को बदलने का प्रोविजन आर्टिकल 368 के अंदर संविधान में ही है।
ट्रिपल तलाक पर बोले अमित शाह
अमित शाह ने कहा कि जो लोग कहते थे लोकतंत्र इस देश में सफल नहीं होगा, आज 75 साल हो गए। हमारे आसपास भी कई देश स्वतंत्र हुए और नई शुरुआत हुई। लेकिन वहां कई बार लोकतंत्र सफल नहीं हुआ। हमारा लोकतंत्र आज पाताल तक गहरा पहुंचा है। अनेक तानाशाहों के अहंकार को चूर-चूर करने का काम लोकतांत्रिक तरीके से इस देश की जनता ने किया है।
अमित शाह ने कहा कि हमने ट्रिपल तलाक को खत्म करने के लिए कानून बनाया। लेकिन, वे कहते हैं कि हमने वोटबैंक के लिए ऐसा किया। ट्रिपल तलाक को खत्म किया जाना चाहिए और शाहबानो को मुआवजा दिया जाना चाहिए - दोनों ही फैसले सुप्रीम कोर्ट ने अलग-अलग समय पर दिए थे। हमने मुस्लिम महिलाओं के साथ अन्याय नहीं किया, बल्कि कांग्रेस पार्टी ने कई सालों तक ऐसा किया। ट्रिपल तलाक को खत्म करके हमने उनके अधिकारों को बहाल किया।
बीजेपी ने 16 साल में किए 22 संशोधन- शाह
अमित शाह ने कहा कि भाजपा ने 16 साल राज किया और 22 बार संविधान में संशोधन किया। वहीं कांग्रेस ने 55 साल राज किया और 77 बार संविधान में परिवर्तन किया।भाजपा और कांग्रेस दोनों ने परिवर्तन किए, लेकिन परिवर्तन का उद्देश्य क्या था? इससे पार्टी का संविधान में विश्वाश का पता चलता है। प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के समय संविधान में पहला संशोधन किया गया और 19A जोड़ा। ये संशोधन अभियक्ति की आजादी और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को कर्टेल करने के लिए किया गया। इसी तरह 24वां संशोधन किया गया और इसके माध्यम से नागरिकों के मौलिक अधिकार कम कर दिए गए। इसी तरह कांग्रेस ने सिर्फ अपने उद्देश्य के लिए संविधान में कई संशोधन किए।
अमित शाह ने कहा कि मोदी सरकार ने सबसे पहला संशोधन 101वां संशोधन किया। हम जीएसटी को लेकर आए और देश के अर्थतंत्र को मजबूत करने का काम किया। दूसरा संशोधन हम 102वां संशोधन लाए। नेशनल कमीशन फॉर बैकवर्ड क्लास को संवैधानिक दर्जा देने का काम किया।
वोटबैंक की राजनीति करती है कांग्रेस- अमित शाह
अमित शाह ने कहा कि वोटबैंक की राजनीति कांग्रेस करती है, वोटबैंक की राजनीति हम नहीं कर रहे हैं। वोटबैंक की राजनीति करके मुस्लिम बहनों के साथ इतने दिनों तक अन्याय करने का काम... कांग्रेस पार्टी ने किया है। हमने तो ट्रिपल तलाक समाप्त करके मुस्लिम माताओं-बहनों को अधिकार दिया।
अमित शाह ने कहा कि अभी हाल में हुए चुनाव में हमने अजीबो-गरीब नजारा देखा। इतने साल चुनाव हुए, लेकिन मैंने आजतक किसी को आम सभाओं में संविधान को लहराते नहीं देखा। संविधान को लहराकर और झूठ बोलकर कुत्सित प्रयास कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने किया। संविधान लहराने और बहकाने का मुद्दा नहीं है, संविधान विश्वास है, संविधान श्रद्धा है।
कांग्रेस आरक्षण विरोधी पार्टी- अमित शाह
अमित शाह ने कहा कि कांग्रेस पार्टी के नेताओं से मैं पूछना चाहता हूं कि जो संविधान की दुहाई देते हैं, लेकिन जब आपने 35ए लागू किया तो इसके संविधान आदेश पार्लियामेंट में कब डिबेट में आया, कब मतदान हुआ, किसने पारित किया। आप पार्टी को तो निजी परिवार की जागीर समझते हो, संविधान को भी आपलोग निजी परिवार की जागीर समझते हो। अमित शाह ने कहा कि किसी शायर ने मुझे दुष्यंत कुमार की पंक्ति भेजी है- एक गुड़िया की कई कठ-पुतलियों में जान है, आज शायर ये तमाशा देख कर हैरान है, कल नुमाइश में मिला वो चीथड़े हाल कपड़े पहने हुए। मैंने पूछा नाम कि तुम कौन हो, तो उसने कहा- मैं संविधान हूं। दुष्यंत कुमार की ये कविता इंदिरा जी को समर्पित है।
अमित शाह ने कहा कि कांग्रेस आरक्षण विरोधी पार्टी है। 1955 में ओबीसी को आरक्षण देने के लिए काका कालेलकर आयोग का गठन किया गया था। रिपोर्ट कहीं नहीं मिली। अगर काका कालेलकर आयोग की सिफारिशें मान ली गई होतीं तो मंडल आयोग का गठन ही नहीं होता। 1980 में मंडल आयोग की सिफारिशें सामने आईं, लेकिन उन्हें लागू नहीं किया गया। 1990 में कांग्रेस के सत्ता से बाहर होने पर इसे लागू किया गया।
धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं होने देंगे- बीजेपी
अमित शाह ने कहा कि मैं देश की जनता को कहना चाहता हूं कि देश के दो राज्यों में धर्म के आधार पर आरक्षण अस्तित्व में है। जो गैर-संवैधानिक है। संविधान में स्पष्ट किया गया है कि कोई भी आरक्षण धर्म के आधार पर नहीं होगा मगर दोनों राज्यों में जब कांग्रेस की सरकार थी तब धर्म के आधार पर आरक्षण दिया गया। वो (कांग्रेस) ओबीसी का कोई कल्याण नहीं चाहते हैं, वो 50 प्रतिशत का सीमा बढ़ाकर मुसलमानों को आरक्षण देना चाहते हैं। लेकिन आज मैं फिर से एक बार इस सदन में जिम्मेदारी के साथ कहता हूं कि जब तक भाजपा का एक भी सांसद है हम धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं होने देंगे।
Created On :   17 Dec 2024 8:17 PM IST