टीएस सिंहदेव के बाद अब सचिन पायलट की बारी! छत्तीसगढ़ का घमासान रोकने के बाद क्या कांग्रेस राजस्थान में लेगी बड़ा फैसला?

टीएस सिंहदेव के बाद अब सचिन पायलट की बारी! छत्तीसगढ़ का घमासान रोकने के बाद क्या कांग्रेस राजस्थान में लेगी बड़ा फैसला?

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव से 4 महीने पहले टीएस सिंहदेव को डिप्टी सीएम का पद सौंप दिया है। पार्टी के ऐसा करने के पीछे राज्य में चल रही अंदरूनी कलह बताई जा रही है। माना जा रहा है कि पार्टी इसके जरिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और टीएस सिंहदेव के बीच जारी खींचतान को खत्म करना चाहती है। कहा जा रहा है कि कांग्रेस ने ये फैसला अचानक नहीं बल्कि यह सोची समझी रणनीति के तहत किया है।

2018 के चुनाव में कांग्रेस का फोकस राज्य की सत्ता में आना था। साथ ही उस वक्त पार्टी ने किसी चेहरे का ऐलान नहीं किया था। विधानसभा चुनाव के दौरान भूपेश बघेल ने राज्य में प्रचार का जिम्मा उठाया और टीएस सिंहदेव ने राज्य में संगठन को मजबूत करने का काम किया था। राज्य की जनता ने दोनों नेताओं के चेहरे को ध्यान में रखकर वोट किया। लेकिन चुनाव में जीत हासिल करने के बाद इन दोनों नेताओं के बीच सियासी खींचतान शुरू हो गई। माना जा रहा है कि दोनों नेताओं के बीच यह लड़ाई अभी तक जारी थी, जिसके चलते पार्टी के आलाकमान नाराज चल रहे थे। ऐसे में पार्टी ने दोबारा राज्य की सत्ता में वापसी करने के लिए टीएस सिंहदेव को प्रदेश का नया डिप्टी सीएम नियुक्त कर दिया है। ताकि चुनाव से पहले पार्टी खेमे में कोई नाराजगी न रहे। बुधवार राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पार्टी के इस फैसले का स्वागत किया है और राज्य में नए डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव को ट्वीट कर बधाई दी।

क्या पायलट को भी सौंपी जाएगी नई जिम्मेदारी?

ऐसे में अब सियासी गलियारों में अटकलों का दौर शुरू हो गया है। माना जा रहा है कि राजस्थान में भी कांग्रेस सचिन पायलट को डिप्टी सीएम के तौर पर नियुक्त कर सकती है। क्योंकि, राजस्थान में भी स्थिति ठीक वैसी ही है ,जैसी छत्तीसगढ़ में थी। सचिन पायलट ने सीएम अशोक गहलोत के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। यहां भी चार माह बाद विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। ऐसे में कांग्रेस की कोशिश रहेगी कि वह यहां पर भी चुनाव से पहले स्थिति को ठीक करे। ताकि राज्य में एक बार फिर पार्टी की सत्ता वापसी हो सके।

सिंहदेव और पायलट में समानताएं

2018 के चुनाव में टीएस सिंहदेव की तरह ही सचिन पायलट ने राजस्थान में कांग्रेस को जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी। सचिन पायलट के नाम पर भी वहां की जनता ने कांग्रेस को वोट किया था। पायलट ने भी चुनाव के दौरान अपनी ताकत झोंक दी थी। इसके बाद चुनाव के नतीजे आए और कांग्रेस की राज्य में सरकार बनी। इन दोनों नेताओं की संगठन में भी मजबूत पकड़ है। साथ ही, इन दोनों नेताओं के पास राज्य का बड़ा जनाधार भी है। राज्य के कई क्षेत्रों में इन दोनों नेताओं की फैन फॉलोइंग 'सिर चढ़कर' बोलती है।

बीजेपी में जाने की चर्चा तेज

माना जा रहा था कि टीएस सिंहदेव विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी में शामिल हो सकते हैं। लेकिन कांग्रेस ने इसे बहुत पहले भांप लिया और उन्हें डिप्टी सीएम का पद सौंप दिया। ठीक ऐसी ही अटकलें सचिन पायलट को लेकर भी है कि वे चुनाव से पहले बीजेपी खेमे में शामिल हो सकते हैं। ऐसे में कांग्रेस की कोशिश रहेगी कि वे जल्द ही इस समस्या का समाधान निकाले। ताकि चुनाव से पहले राज्य में कांग्रेस खेमे में फूट न हो जाए।

गहलोत बनाम पायलट

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच जारी सियासी खींचतान अब किसी से छुपी नहीं है। ठीक ऐसा ही मामला छत्तीसगढ़ में भी देखने का मिला था। कांग्रेस की कोशिश रहेगी कि वे यहां पर इस मसले का समाधान निकाले।

कांग्रेस की समस्या

कांग्रेस को डर है कि कहीं राजस्थान भी अगला मध्य प्रदेश न बन जाए। बता दें कि 2018 के चुनाव में कांग्रेस ने मध्यप्रदेश में अपनी सरकार बनाई थी। लेकिन कांग्रेस नेता कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच सियासी रही। इसके बाद सिंधिया बीजेपी में शामिल हो गए और राज्य में कांग्रेस की सरकार गिर गई। यहां भी समस्या बिल्कुल ऐसी ही थी कि जैसी इस वक्त राजस्थान में बनी हुई है। कांग्रेस के आलाकमान की कोशिश है कि चुनाव से पहले कोई दूसरा ज्योतिरादित्य सिंधिया उनकी पार्टी से न बन जाए। इसलिए भी पार्टी लगातार सचिन पायलट को बड़ी जिम्मेदारी की सौंपने की तैयारी में है।

Created On :   29 Jun 2023 2:01 PM GMT

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