भास्कर एक्सक्लूसिव: दस साल की सरकार फिर हरियाणा में बीजेपी को किस बात का डर, जाट वोटर्स के इस ट्रेंड से उड़ी है पार्टी की नींद?
- जाट वोटर्स से बीजेपी को है उम्मीद
- क्षेत्रीय दलों से भी है बीजेपी को उम्मीद
- कांग्रेस एंटी-इनकम्बेंसी के सहारे में चुनाव मैदान में
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हरियाणा विधानसभा चुनाव को लेकर सभी पार्टियां अपनी रणनीति पर काम कर रही हैं। राज्य में बीजेपी की बीते 10 सालों से सरकार है। ऐसे में कांग्रेस बीजेपी के खिलाफ राज्य में पैदा हुई एंटी-इनकंबेंसी को लेकर सत्ता में वापसी की उम्मीद लगाए बैठी है। इस साल हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी को राज्य में बड़ा झटका लगा था। इस चुनाव में बीजेपी राज्य की 10 में से 5 सीटों पर चुनाव हार गई थी। इससे पहले 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी राज्य की सभी 10 सीटें जीती थीं। हालांकि, 2014 के विधानसभा चुनाव के बाद पहली बार कांग्रेस बीजेपी के टक्कर में दिखाई दे रही है। लोकसभा चुनाव 2024 के हिसाब से देखें तो 44 सीटों पर बीजेपी, 42 सीटों पर कांग्रेस ने बढ़त बनाई थी। वहीं, आम आदमी पार्टी 4 सीटों पर आगे रही थी।
राजनीतिक जानकारों का तर्क है कि हरियाणा में लोकसभा चुनाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फेस पर लड़ा गया था। इसलिए बीजेपी ने 44 सीटों पर बढ़त बनाई थी। लेकिन विधानसभा चुनाव में ऐसी स्थिति नहीं रहेगी। राजनीतिक जानकारों कहना है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने राज्य की सभी 10 सीटों पर जीत हासिल की थी। लेकिन, फिर राज्य में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी का हाल- बेहाल हो गया था और पार्टी केवल 40 सीटों पर भी सिमट कर रह गई थी। ऐसे में कांग्रेस को उम्मीद है कि 2024 में भी 2019 का ट्रेंड जारी रहेगा। कांग्रेस हरियाणा में 10 साल बाद सत्ता में वापसी करने की उम्मीद लगाए बैठी है। हालांकि, कांग्रेस के लिए इस चुनाव में काफी ज्यादा मेहनत करनी पड़ सकती है। जिसकी कई वजह हैं।
बीजेपी की चिंता
राज्य में जाट वोटबैंक का ध्रुवीकरण हुआ है, जोकि लगातार बढ़ता ही जा रहा है। 2014 के बाद से ही बीजेपी की जाट वोटबैंक पर अच्छी खासी पकड़ थी। हालांकि, अब मामला कुछ अलग ही नजर आ रहा है। वहीं, लोकसभा चुनाव के दौरान राज्य में कांग्रेस ने दलित वोटबैंक में भी सेंधमारी की है। हालांकि, बीजेपी के पास एक उम्मीद की किरण क्षेत्रीय दलों से है। आईएनएलडी और जेजेपी राज्य में जाट वोटबैंक को अपनी ओर से आकर्षित कर सकती है। अगर ऐसा हुआ तो जाट वोटों का दोनों पार्टियों के बीच बंटवारा हो सकता है।
राज्य में भले ही जाट वोटबैंक एक साथ होने का दावा कर रहे हो, लेकिन स्थानीय स्तर जेजेपी और आईएनएलडी जाट बिरादरी से कई उम्मीदवार उतारेंगे। जिससे असर चुनाव में भी देखने को मिल सकता है। स्थानीय स्तर बिरादरी के नेता उतरने से वोटों का बटवारा होना तय है। जिसका फायदा किसे मिलेगा यह तो चुनाव के नतीजे से ही पता चलेगा। हालांकि, बीजेपी को कई सीटों पर वोट बंटवारे से उम्मीद है।
बीजेपी के लिए क्या उम्मीद
करनाल, कुरुक्षेत्र, अंबाला, यमुनानगर जैसे उत्तर हरियाणा में पंजाबी बहुल क्षेत्र हैं। इनसे कांग्रेस को ज्यादा उम्मीद है। वहीं, गुरुग्राम, फरीदाबाद, रेवाड़ी जैसे दक्षिण जिलों में बाहरी आबादी है। इन जिलों में जाट वोटबैंक का प्रभाव कम है। साथ ही, यह ज्यादा शहरी इलाका है। यहां से बीजेपी को काफी ज्यादा उम्मीद है। रेवाड़ी और गुरुग्राम बेल्ट पहले से ही अहीरवाल (यादव समुदाय) से फेमस है। लेकिन इस इलाके में आम आदमी पार्टी को काफी उम्मीद है। यहां पर माना जा रहा है कि बीजेपी और AAP के बीच टक्कर हो सकती है। इसके अलावा बीजेपी को गैर-जाट वोटों से उम्मीद है। अगर इनमें ध्रुवीकरण की स्थिति नहीं बनती है तो भी समीकरण बदल सकते हैं। पार्टी सूत्रों का कहना है कि बीजेपी को राज्य में अभी भी उम्मीद बची है। कांग्रेस नेता भूपिंदर सिंह हुड्डा और कुमारी सैलजा के आपसी खींचतान का फायदा भी बीजेपी को मिल सकता है। साथ ही, चुनाव से पहले कांग्रेस अगर कोई बड़ी गलती करती है तो उससे भी बीजेपी की उम्मीद बढ़ सकती है। हालांकि, कई राजनीतिक जानकारों का मानना है कि हरियाणा में कांग्रेस ही खुद को हरा सकती है। जिसकी उम्मीद बीजेपी भी लगाए बैठी है।
Created On :   10 Sept 2024 6:26 PM IST