राष्ट्रीय शिक्षा दिवस: भारत रत्न आजाद ने रखी थी शिक्षित भारत की नींव, जानें उनके बारे में

National Education Day: Maulana Abul Kalam Azad was the first Education Minister of India
राष्ट्रीय शिक्षा दिवस: भारत रत्न आजाद ने रखी थी शिक्षित भारत की नींव, जानें उनके बारे में
राष्ट्रीय शिक्षा दिवस: भारत रत्न आजाद ने रखी थी शिक्षित भारत की नींव, जानें उनके बारे में

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद का जन्मदिन 11 नवंबर को राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के रूप में मनाया जाता है। भारत में शिक्षा के विकास में जबरदस्त भूमिका निभाने वाले आजाद एक शिक्षाविद् तो थे ही साथ ही एक स्वतंत्रता सेनानी भी थे। भारत सरकार ने वर्ष 2008 में मौलाना अबुल कलाम आजाद की जयंती को राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के रूप में मनाया जाने की घोषणा की थी।  

जीवन का श्रेय शिक्षा
स्वतंत्रता सेनानी मौलाना अबुल कलाम आजाद का जन्म सन 1888 में हुआ था। मौलाना अब्दुल कलाम आजाद का जीवन कवि, लेखक, पत्रकार और स्वतन्त्रता सेनानी के विविध गुणों का समन्वय था। आजाद ने बचपन से शिक्षा को अपने जीवन का श्रेय बनाया था। मौलाना आजाद ने मात्र तेरह वर्ष की उम्र में अपनी शिक्षा पूर्ण करके अपने से बड़ी कक्षा व उम्र के विद्यार्थियों को पढ़ाना प्रारम्भ किया। 

इंग्लिश को तरजीह
शिक्षाविद और स्वतंत्रता सेनानी आजाद ने शिक्षित भारत की नींव रखी थी। वह उर्दू के बेहद काबिल साहित्यकार और पत्रकार थे लेकिन शिक्षा मंत्री बनने के बाद उन्होंने उर्दू की जगह इंग्लिश को तरजीह दी, ताकि भारत पश्चिम से कदमताल कर चल सके। वे 15 अगस्त 1947 के बाद से 2 फरवरी 1958 तक पहले शिक्षा मंत्री रहे थे। 

 

 

दूरदर्शी विद्वान
मौलाना आजाद को एक दूरदर्शी विद्वान माना जाता है, जिन्होंने 1950 के दशक में ही सूचना और तकनीक के क्षेत्र में शिक्षा पर ध्यान देना शुरू कर दिया था। शिक्षा मंत्री रहते हुए उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति की स्थापना की थी। उनका मुख्य लक्ष्य प्राइमरी शिक्षा को बढ़ाना था। शिक्षा मंत्री के तौर पर उनके कार्यकाल में ही भारत में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी का गठन किया गया। 1992 में उन्हें भारत रत्न से नवाजा गया था। 

हिन्दू मुस्लिम एकता
महात्मा गांधी के विचारों से प्रभावित होकर भारत के स्वतंत्रता संग्राम में शामिल होने वाले मौलाना आजाद भारत के बंटवारे के घोर विरोधी और हिन्दू मुस्लिम एकता के सबसे बड़े पैरोकारों में थे। स्वतंत्रता संग्राम के समय वो ही भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं में से एक थे। आजादी की लड़ाई में बड़े योगदान के साथ बंटवारे के दौरान सांप्रदायिक तनाव को शांत करने में भी उनकी खास भूमिका रही। 

सांस्कृतिक और साहित्यिक
आजाद ने सांस्कृतिक और साहित्यिक अकादमियों की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। जिसमें संगीत नाटक अकादमी, ललित कला अकादमी, साहित्य अकादमी समेत की स्थापना भी शामिल है। पहला आईआईटी, आईआईएससी, स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर और यूनिवर्सिटी अनुदान आयोग उन्हीं की देन माने जाते हैं।  

Created On :   11 Nov 2019 12:43 PM IST

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