ISRO :अंतरिक्ष में भारत की बड़ी उड़ान, श्रीहरिकोटा से लॉन्च हुआ चंद्रयान-2

ISRO :अंतरिक्ष में भारत की बड़ी उड़ान, श्रीहरिकोटा से लॉन्च हुआ चंद्रयान-2
हाईलाइट
  • मिशन चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग का रिहर्सल रहा सफल
  • मिशन चंद्रयान-2 की श्री हरिकोटा से हुई लॉन्चिंग

डिजिटल डेस्क, श्रीहरिकोटा। अंतरिक्ष की दुनिया में भारत ने इतिहास रचने के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने चंद्रयान-2 लॉन्च कर दिया है। चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से भारी-भरकम रॉकेट जियोसिन्क्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल-मार्क 3 (GSLV Mk-III) से की गई है। 11 साल बाद इसरो दोबारा चांद पर भारत का परचम लहराने के लिए तरह तैयार है। सब कुछ ठीक रहा तो भारत दुनिया का पहला ऐसा देश बन जाएगा जो चांद की दक्षिणी सतह पर उतरेगा। यह वह अंधेरा हिस्सा है जहां उतरने का किसी देश ने साहस नहीं किया है। यह भारत का दूसरा चांद मिशन है। इससे पहले 2008 में चंद्रयान-1 को भेजा गया था। 

यहां देखें इसरो की लाइव लॉन्चिंग
 

LIVE UPDATE: 

  • इसरो के वैज्ञानिक चंद्रयान-2 की मॉनीटरिंग कर रहे हैं।
  • चंद्रयान-2 7 सिंतबर को ही चांद पर पहुंचेगा। समय बचाने के लिए चंद्रयान पृथ्वी का एक चक्कर कम लगाएगा। पहले 5 चक्कर लगाने थे, लेकिन अब 4 चक्कर ही लगाएगा।
     
  • श्री हरिकोटा से लॉन्च हुआ चंद्रयान-2
  • चंद्रयान-2 मिशन के डायरेक्टर ने चंद्रयान-2 के लॉन्च की इजाजत दे दी है।  2.43 बजे चंद्रयान-2 हुआ लॉन्च ।
  • Chandrayaan-2 अंतरिक्ष यान 22 जुलाई से लेकर 13 अगस्त तक पृथ्वी के चारों तरफ चक्कर लगाएगा। इसके बाद 13 अगस्त से 19 अगस्त तक चांद की तरफ जाने वाली लंबी कक्षा में यात्रा करेगा। 19 अगस्त को ही यह चांद की कक्षा में पहुंचेगा। इसके बाद 13 दिन यानी 31 अगस्त तक वह चांद के चारों तरफ चक्कर लगाएगा। 
  • लॉन्चिंग में देरी के बावजूद 7 सिंतबर को मंजिल तक पहुंचेगा चंद्रयान-2 , 54 दिनों से घटकर 48 दिन का हुआ मिशन, अर्थ बाउंड फेज 28 और मून बाउंड फेज 13 दिन का हुआ। 
  • चंद्रयान-2 भारत के लिए दूसरा सबसे महत्वाकांक्षी चंद्र मिशन है। इसे श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से भारी-भरकम रॉकेट जियोसिन्क्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल-मार्क 3 (GSLV Mk-III) से लॉन्च किया जा रहा है।

 

 

 

 

मिशन चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग का रिहर्सल सफल रहा है। इसका काउंटडाउन रविवार शाम 6 बजकर 43 मिनट से शुरू है। लॉन्चिंग से पहले इसरो चीफ रविवार को पूरी तरह आश्वस्त नजर आए। उन्होंने कहा, यह मिशन कामयाब रहेगा। बता दें कि, इससे पहले चंद्रयान-2 को 15 जुलाई को लॉन्च किया जाना था, लेकिन तकनीकी खराबी की वजह से लॉन्चिंग को रोक दिया था। तकनीकी खामी के सुधार के बाद चंद्रयान-2 लॉन्च करने की नई तारीख का ऐलान किया गया था। 

चंद्रयान-2 भारत का दूसरा सबसे महत्वाकांक्षी चंद्र मिशन है। इसे श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से भारी-भरकम रॉकेट जियोसिन्क्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल-मार्क 3 (जीएसएलवी एमके 3) से लॉन्च किया जाएगा। जीएसएलवी को "बाहुबली" के नाम से भी जाना जाता है। यह रॉकेट 44 मीटर लंबा और 640 टन वजनी है। इसमें 3.8 टन का चंद्रयान रखा गया है।

 

 

चंद्रयान-2 मिशन के तीन हिस्से
चंद्रयान-2 मिशन के तीन हिस्से हैं। पहला हिस्से का नाम ऑर्बिटर, दूसरा लैंडर (विक्रम) और तीसरा रोवर (प्रज्ञान) हैं। इस प्रोजेक्ट की लागत 978-1000 करोड़ रुपए के बीच है। स्वदेशी तकनीक से निर्मित चंद्रयान-2 में कुल 13 पेलोड हैं। आठ ऑर्बिटर में, तीन पेलोड लैंडर "विक्रम" और दो पेलोड रोवर "प्रज्ञान" में हैं। इसरो का लक्ष्य चंद्रयान 2 रोवर को लूनर साउथ पोल पर उतारना है, जहां अभी तक कोई देश नहीं पहुंचा है। वैसा चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग कराने वाले देशों में अमेरिका, रूस और चीन शामिल है।

लॉन्चर
जीएसएलवी एमके- III चंद्रयान 2 को इसकी निर्धारित कक्षा में ले जाएगा। यह भारत का तीन चरणों वाला अब तक का सबसे शक्तिशाली लांचर है और यह 4 टन के उपग्रहों को जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (जीटीओ) में लॉन्च करने में सक्षम है। इसके कंपोनेंट में S200 सॉलिड रॉकेट बूस्टर, L110 लिक्विड स्टेज और C25 अपर स्टेज है।

ऑर्बिटर
लॉन्च के समय, चंद्रयान 2 ऑर्बिटर बयालू में भारतीय डीप स्पेस नेटवर्क (IDSN) के अलावा विक्रम लैंडर के साथ कम्यूनिकेट करने में सक्षम होगा। ऑर्बिटर की मिशन लाईफ एक वर्ष है और इसे 100X100 किलोमीटर लंबी चंद्र ध्रुवीय कक्षा में रखा जाएगा। इसका वजन 23,79 किलोग्राम है और विद्युत उत्पादन क्षमता 1,000 वॉट है।

लैंडर - विक्रम
चंद्रयान 2 के लैंडर का नाम भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक डॉ. विक्रम ए साराभाई के नाम पर रखा गया है। यह चन्द्रमा के एक पूरे दिन काम करने के लिए विकसित किया गया है, जो पृथ्वी के लगभग 14 दिनों के बराबर है। विक्रम के पास बेंगलुरु के नज़दीक बयालू में आई डी एस एन के साथ-साथ ऑर्बिटर और रोवर के साथ कम्यूनिकेशन करने की क्षमता है। लैंडर को चंद्र सतह पर सफल लैंडिंग करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसका वजन 1471 किलोग्राम है। और विद्युत उत्पादन क्षमता 650 वॉट है।

रोवर - प्रज्ञान
चंद्रयान 2 का रोवर, प्रज्ञान नाम का 6-पहिए वाला एक रोबोट वाहन है, जो संस्कृत में "ज्ञान" शब्द से लिया गया है। यह 500 मीटर (½ आधा किलोमीटर) तक यात्रा कर सकता है और सौर ऊर्जा की मदद से काम करता है। यह सिर्फ लैंडर के साथ कम्यूनिकेशन कर सकता है। इसका वजन 27 किलोग्राम है और विद्युत उत्पादन क्षमता 50 वॉट है।

हम चांद पर क्यों जा रहे हैं?
चंद्रमा पृथ्‍वी का नज़दीकी उपग्रह है जिसके माध्यम से अंतरिक्ष में खोज के प्रयास किए जा सकते हैं और इससे संबंध आंकड़े भी एकत्र किए जा सकते हैं। यह गहन अंतरिक्ष मिशन के लिए जरूरी टेक्‍नोलॉजी आज़माने का परीक्षण केन्‍द्र भी होगा। चंद्रयान 2, खोज के एक नए युग को बढ़ावा देने, अंतरिक्ष के प्रति हमारी समझ बढ़ाने, टेक्नोलॉजी की प्रगति को बढ़ावा देने, ग्लोबल अलायंस को आगे बढ़ाने और एक्सप्लोरर्स और वैज्ञानिकों की आने वाली पीढ़ी को प्रेरित करने में भी सहायक होगा।
 


 

Created On :   22 July 2019 9:12 AM IST

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