तकनीकी खामी की वजह से आखिरी घंटे में रोकी गई चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग
- ISRO के दूसरे मून मिशन चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग तकनीकी कारणों से रोकी गई
- चंद्रयान-2 को 15 जुलाई को बाहुबली रॉकेट GSLV-MK3 से लॉन्च किया जाना था
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। रॉकेट में तकनीकी खराबी की वजह से इसरो का चंद्रयान-2 मिशन टल गया है। चंद्रयान-2 को 15 जुलाई को देर रात 2.51 पर जीएसएलवी मार्क 3 (GSLV-MK3) रॉकेट से लॉन्च किया जाना था, लेकिन 56 मिनट 24 सेकंड पहले इसमें तकनीकी खराबी का पता चला और चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग को रोक दिया गया। इसरो ने एक बयान जारी कर यह जानकारी दी। अब लॉन्चिंग की नई तारीख की घोषणा जल्द की जाएगी।
A technical snag was observed in launch vehicle system at 1 hour before the launch. As a measure of abundant precaution, #Chandrayaan2 launch has been called off for today. Revised launch date will be announced later.
— ISRO (@isro) July 14, 2019
चंद्रयान-2 के मिशन को रोके जाने पर DRDO पब्लिक इंटरफेस के पूर्व निदेशक रवि गुप्ता ने कहा, "चंद्रयान-2 लॉन्च को रोकना सही निर्णय था। इतने बड़े मिशन में हम कोई चूक नहीं ले सकते थे। हर हिस्से के कई दौर की टेस्टिंग की जाती है। हर मूवमेंट पर पल-पल नजर रखने की जरूरत है।
Ravi Gupta, Former Director Public Interface DRDO: It was the right decision to call off #Chandrayaan2 launch. We could not have taken any chance in such a big mission. Several rounds of testing are performed of every part. Every movement needs to be monitored at every second. pic.twitter.com/08UyWOzj5D
— ANI (@ANI) July 15, 2019
फिलहाल इसरो वैज्ञानिक ये पता करने की कोशिश कर रहे हैं, लॉन्च से पहले ये तकनीकी खराबी कहां से आई। इसरो प्रवक्ता बीआर गुरुप्रसाद ने इसरो की तरफ से बयान देते हुए कहा, GSLV-MK3 लॉन्च व्हीकल (रॉकेट) में खामी आने की वजह से लॉन्चिंग रोकी गई। लॉन्चिंग की अगली तारीख जल्द ही घोषित की जाएगी। इसरो का कहना है, क्रायोजेनिक ईंधन भरते वक्त खामी का पता चला जिससे काउंटडाउन को रोक दिया गया। अब पूरे ईंधन को टैंक से खाली किया जाएगा और फिर जांच की जाएगी, जिसमें करीब 10 दिनों का वक्त लगेगा। इसके बाद ही आगे का शेड्यूल बताया जाएगा।
बता दें कि, चंद्रयान-2 के तीन हिस्से हैं। पहला हिस्से का नाम ऑर्बिटर, दूसरा लैंडर (विक्रम) और तीसरा रोवर (प्रज्ञान) हैं। इस प्रोजेक्ट की लागत 978-1000 करोड़ रुपए के बीच है। स्वदेशी तकनीक से निर्मित चंद्रयान-2 में कुल 13 पेलोड हैं। 8 ऑर्बिटर में, तीन पेलोड लैंडर "विक्रम" और दो पेलोड रोवर "प्रज्ञान" में हैं। पांच पेलोड भारत के, तीन यूरोप, दो अमेरिका और एक बुल्गारिया के हैं। लैंडर "विक्रम" का नाम भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान कार्यक्रम के जनक डॉ. विक्रम ए साराभाई के नाम पर रखा गया है। दूसरी ओर, 27 किलोग्राम "प्रज्ञान" का मतलब संस्कृत में बुद्धिमता है।
Here"s some exclusive, behind-the-scenes footage of the mission"s various components coming together - https://t.co/baOMowvWHa
Tell us what you think about it in the comments below. #Chandrayaan2 #GSLVMkIII #ISRO pic.twitter.com/Kguy33p2C1
— ISRO (@isro) July 14, 2019
इस मिशन का उद्देश्य चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव की सतह पर पानी के प्रसार और मात्रा का निर्धारण। चंद्रमा के मौसम, खनिजों और उसकी सतह पर फैले रासायनिक तत्वों का अध्ययन करना और चांद की सतह की मिट्टी के तत्वों का अध्ययन करना है। इसके साथ ही हिलियम-3 गैस की संभावना तलाशेगा जो भविष्य में ऊर्जा का बड़ा स्रोत हो सकता है।
Created On :   15 July 2019 9:15 AM IST