तकनीकी खामी की वजह से आखिरी घंटे में रोकी गई चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग

Chandrayaan 2 launch called off due to technical snag in launch vehicle system, ISRO moon mission 
तकनीकी खामी की वजह से आखिरी घंटे में रोकी गई चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग
तकनीकी खामी की वजह से आखिरी घंटे में रोकी गई चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग
हाईलाइट
  • ISRO के दूसरे मून मिशन चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग तकनीकी कारणों से रोकी गई
  • चंद्रयान-2 को 15 जुलाई को बाहुबली रॉकेट GSLV-MK3 से लॉन्च किया जाना था

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। रॉकेट में तकनीकी खराबी की वजह से इसरो का चंद्रयान-2 मिशन टल गया है। चंद्रयान-2 को 15 जुलाई को देर रात 2.51 पर जीएसएलवी मार्क 3 (GSLV-MK3) रॉकेट से लॉन्च किया जाना था, लेकिन 56 मिनट 24 सेकंड पहले इसमें तकनीकी खराबी का पता चला और चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग को रोक दिया गया। इसरो ने एक बयान जारी कर यह जानकारी दी। अब लॉन्चिंग की नई तारीख की घोषणा जल्द की जाएगी।

 

चंद्रयान-2 के मिशन को रोके जाने पर DRDO पब्लिक इंटरफेस के पूर्व निदेशक रवि गुप्ता ने कहा, "चंद्रयान-2 लॉन्च को रोकना सही निर्णय था। इतने बड़े मिशन में हम कोई चूक नहीं ले सकते थे। हर हिस्से के कई दौर की टेस्टिंग की जाती है। हर मूवमेंट पर पल-पल नजर रखने की जरूरत है।

 

फिलहाल इसरो वैज्ञानिक ये पता करने की कोशिश कर रहे हैं, लॉन्च से पहले ये तकनीकी खराबी कहां से आई। इसरो प्रवक्ता बीआर गुरुप्रसाद ने इसरो की तरफ से बयान देते हुए कहा, GSLV-MK3 लॉन्च व्हीकल (रॉकेट) में खामी आने की वजह से लॉन्चिंग रोकी गई। लॉन्चिंग की अगली तारीख जल्द ही घोषित की जाएगी। इसरो का कहना है, क्रायोजेनिक ईंधन भरते वक्त खामी का पता चला जिससे काउंटडाउन को रोक दिया गया। अब पूरे ईंधन को टैंक से खाली किया जाएगा और फिर जांच की जाएगी, जिसमें करीब 10 दिनों का वक्त लगेगा। इसके बाद ही आगे का शेड्यूल बताया जाएगा।

बता दें कि, चंद्रयान-2 के तीन हिस्से हैं। पहला हिस्से का नाम ऑर्बिटर, दूसरा लैंडर (विक्रम) और तीसरा रोवर (प्रज्ञान) हैं। इस प्रोजेक्ट की लागत 978-1000 करोड़ रुपए के बीच है। स्वदेशी तकनीक से निर्मित चंद्रयान-2 में कुल 13 पेलोड हैं। 8 ऑर्बिटर में, तीन पेलोड लैंडर "विक्रम" और दो पेलोड रोवर "प्रज्ञान" में हैं। पांच पेलोड भारत के, तीन यूरोप, दो अमेरिका और एक बुल्गारिया के हैं। लैंडर "विक्रम" का नाम भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान कार्यक्रम के जनक डॉ. विक्रम ए साराभाई के नाम पर रखा गया है। दूसरी ओर, 27 किलोग्राम "प्रज्ञान" का मतलब संस्कृत में बुद्धिमता है।

इस मिशन का उद्देश्य चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव की सतह पर पानी के प्रसार और मात्रा का निर्धारण। चंद्रमा के मौसम, खनिजों और उसकी सतह पर फैले रासायनिक तत्‍वों का अध्‍ययन करना और चांद की सतह की मिट्टी के तत्वों का अध्ययन करना है। इसके साथ ही हिलियम-3 गैस की संभावना तलाशेगा जो भविष्य में ऊर्जा का बड़ा स्रोत हो सकता है।

Created On :   15 July 2019 9:15 AM IST

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