आसाराम बापू: सुप्रीम कोर्ट ने आसाराम डॉक्यूमेंट्री विवाद पर केंद्र व राज्य सरकारों को दिया नोटिस
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- डिस्कवरी द्वारा जारी की गई डॉक्यूमेंट्री सार्वजनिक हित -याचिकाकर्ता
- आसाराम के अनुयायियों की ओर से मिल रही धमकियां
- आसाराम पर बनी डॉक्युमेंट्री का प्रसारण रोकने की धमकी
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देश की सर्वोच्च अदालत ने डॉक्यूमेंट्री सीरीज कल्ट ऑफ फियर: आसाराम बापू विवाद केस में डिस्कवरी चैनल कर्मचारियों से जुड़ी धमकियों वाली याचिका पर केंद्र और अन्य राज्य सरकारों को आज गुरुवार को नोटिस जारी किए हैं।
याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कहा है कि डिस्कवरी द्वारा जारी की गई डॉक्यूमेंट्री सार्वजनिक हित में है, जो कि यह एक दोषी व्यक्ति की गतिविधियों पर प्रकाश डालती है। साथ ही, दर्शकों को अंध विश्वास और पंथों के बारे में एक संतुलित दृष्टिकोण देने का लक्ष्य रखती है। जबकि आसाराम बापू के समर्थक याचिकाकर्ताओं के खिलाफ हिंसा, बर्बरता या अन्य आपराधिक कृत्यों का सहारा ले रहे है। टॉप अदालत में याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिनव मुखर्जी ने कहा कि शिकायत के बाद भी अधिकारी कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं।
शीर्ष कोर्ट ने जिन प्रदेशों को नोटिस जारी किया उनमें महाराष्ट्र, कर्नाटक, हरियाणा, तमिलनाडु, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल और दिल्ली शामिल हैं। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि हमें यह कहकर धमकाया कि यदि आसाराम बापू पर डॉक्युमेंट्री का प्रसारण 48 घंटे के भीतर नहीं रूका, तो सभी हिंदू संगठन बड़े पैमाने पर डिस्कवरी के कर्मचारियों के खिलाफ आंदोलन शुरू करेंगे। पुलिस सुरक्षा और धमकियों और विरोध प्रदर्शनों में शामिल व्यक्तियों और समूहों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है।
याचिकाकर्ताओं ने अपनी याचिका में आरोप लगाए है कि 25 जनवरी को डॉक्यूमेंट्री के आने के बाद से आसाराम के अनुयायियों की ओर से धमकियां आ रही हैं। आसाराम के स्वयंभू समर्थकों की ओर से दी जा रहीं हैं। ये धमकियां संविधान के अनुच्छेद 14, अनुच्छेद 19(1)(ए) और (जी) और 21 के तहत याचिकाकर्ताओं के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।
याचिकाकर्ता का कहना है कि मिल रही धमकियां लोकतंत्र के लिए हानिकारक है। क्योंकि असामाजिक तत्वों की ओर से मिल रही धमकियां रचनात्मक अधिकारों, भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को दबा रही है। जो कि बीएनएस के साथ बीएनएसएस, 2023 के तहत दंड प्रावधानों के संदर्भ में अवैध और आपराधिक कृत्य भी है।
चीफ जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की बेंच ने राज्य सरकारों को नोटिस जारी करते हुए उन्हें याचिकाकर्ता शशांक वालिया और अन्य तथा उनके कार्यालयों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का आदेश दिया है।
Created On :   6 Feb 2025 6:10 PM IST