भोपाल गैस आपदा से पीड़ित हजारों लोगों ने दिल्ली के जंतर मंतर पर किया प्रदर्शन

Thousands of victims of Bhopal gas disaster demonstrated at Jantar Mantar in Delhi
भोपाल गैस आपदा से पीड़ित हजारों लोगों ने दिल्ली के जंतर मंतर पर किया प्रदर्शन
नई दिल्ली भोपाल गैस आपदा से पीड़ित हजारों लोगों ने दिल्ली के जंतर मंतर पर किया प्रदर्शन
हाईलाइट
  • भोपाल गैस आपदा के परिणामस्वरूप 15
  • 242 लोगों की मौत हुई है

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भोपाल गैस त्रासदी की 38वीं वर्षगांठ पर हजारों लोगों ने नई दिल्ली के जंतर-मंतर पर प्रदर्शन किया और मांग की कि सरकार को आपदा के कारण होने वाली मौतों और स्वास्थ्य संबंधी खतरों के सटीक आंकड़े सामने लाने चाहिए।

त्रासदी के 40 हजार जीवित बचे लोगों द्वारा हस्ताक्षरित याचिका के जरिए अतिरिक्त मुआवजे के लिए उनकी उपचारात्मक याचिका में सुधार की मांग की गई है। जिसकी सुनवाई 10 जनवरी, 2023 को सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच द्वारा की जाएगी।

भोपाल पीड़ितों के लिए सप्रीम कोर्ट में केस लड़ने वाले अधिवक्ता करुणा नंदी और दलित श्रम अधिकार कार्यकर्ता नोदीप कौर सहित अन्य प्रतिष्ठित व्यक्तित्व और आम नागरिक जंतर-मंतर पर भोपाल पीड़ितों की लड़ाई और संघर्ष में शामिल हुए। इन लोगों ने पीड़ितों के लिए न्याय की मांग की।

भोपाल गैस पीड़ित महिला स्टेशनरी कर्मचारी संघ की अध्यक्ष रशीदा बी ने कहा कि भोपाल के 93 फीसदी बचे लोगों को अस्थायी चोट श्रेणी में रखा गया है और मुआवजे के रूप में केवल 25 हजार रुपये दिए गए हैं। यह एक तरह का अन्याय है। इसका समाधान मनमोहन सिंह सरकार ने 2010 में अमेरिकी निगमों से अतिरिक्त मुआवजे के लिए उपचारात्मक याचिका दायर करते समय किया था। हालांकि न्याय तब तक नहीं किया जा सकता जब तक कि वर्तमान सरकार द्वारा आपदा के कारण होने वाली मौतों और चोटों की मात्रा को संशोधित नहीं किया जाता।

इसी मौके पर भोपाल गैस पीड़ित निराश्रित पेंशनभोगी संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष बालकृष्ण नामदेव ने कहा कि मौजूदा मुख्यमंत्री ने मनमोहन सिंह को लिखा था कि भोपाल पीड़ितों की चोटें स्थायी चोटें थी, अस्थायी नहीं, जैसा कि उपचारात्मक याचिका में प्रस्तुत किया गया है। हालांकि, राज्य सरकार ने अभी तक सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष यह बात नहीं दोहराई है।

भोपाल ग्रुप फॉर इंफॉर्मेशन एंड एक्शन की रचना ढींगरा ने कहा, मध्य प्रदेश सरकार ने एक अन्य मामले में सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि भोपाल गैस आपदा के परिणामस्वरूप 15,242 लोगों की मौत हुई है।

हालांकि, राज्य सरकार क्यूरेटिव पिटीशन में पेश किए गए 5295 मौतों के गलत आंकड़े को संशोधित करने के लिए कदम उठाने में विफल रही। आगे रचना ने कहा कि न्याय कैसे किया जा सकता है जब तक कि सर्वोच्च न्यायालय के माननीय न्यायाधीशों को आपदा से हुए नुकसान की वास्तविक सीमा से अवगत नहीं कराया जाता।

भोपाल गैस पीड़ित महिला पुरुष संघर्ष मोर्चा की शहजादी बी ने सरकार और पीड़ित संघों द्वारा मांगी गई मुआवजे की राशि में अंतर की ओर इशारा करते हुए कहा कि सरकार यूनियन कार्बाइड और डाउ केमिकल से मुआवजे के रूप में 96 अरब रुपये मांग रही है जबकि हम 646 अरब रुपये की मांग कर रहे हैं।

मुआवजे की राशि की गणना के लिए हमने जिन आंकड़ों का इस्तेमाल किया है, वे आधिकारिक रिकॉर्ड और केंद्र सरकार की एक एजेंसी इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के हैं। बचे हुए लोगों और सरकार द्वारा अग्रेषित आंकड़ों में यह असमानता राहत पैकेजों की गणना करते समय सरकार की ओर से कम आंकने और असंवेदनशील ²ष्टिकोण को दर्शाती है।

भोपाल ग्रुप ऑफ इंफॉर्मेशन एंड एक्शन की रचना ढींगरा, भोपाल गैस पीड़ित महिला पुरुष संघर्ष मोर्चा की शहजादी बी, और भोपाल गैस पीड़ित महिला स्टेशनरी कर्मचारी संघ की राशिदा बी ने माननीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री मनसुख मंडाविया से मुलाकात की और उन्हें अपनी वर्तमान स्थिति से अवगत कराया और दस्तावेजों का एक सेट प्रस्तुत किया।

 

 (आईएएनएस)

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Created On :   4 Dec 2022 11:30 AM IST

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