यूपीएससी में सफल हुए अभ्यार्थियों ने माता-पिता को दिया अपनी सफलता का श्रेय, उनसे मिले सहयोग को बताया अद्वितीय
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डिजिटल डेस्क, भोपाल। ग्लोबल डे ऑफ पेरेंटस। इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य है, दुनिया भर के माता-पिता के प्रति सम्मान प्रकट करना। उन्होंने आज तक जो भी हमारे लिए किया है उसके लिए उन्हें थैंक्यू कहना। हाल ही में यूपीएससी का रिजल्ट घोषित हुआ है। नि:संदेह दुनिया की सबसे कठिन परीक्षाओं में शामिल इस परीक्षा को पास करने के लिए कठिन परिश्रम चाहिए, लेकिन माता-पिता के सहयोग के बगैर यूपीएससी में कामयाबी पाना आसान नहीं था। इस बात की पुष्टि खुद परीक्षा में सफल हुए अभ्यार्थियों ने की है। आइए जानते हैं, माता-पिता से मिले उस सहयोग के बारे में जिसकी वजह से उन्होंने अपने आईएएस बनने के सपने को पूरा किया।
दृष्टिबाधित बच्चे का सहारा बनी मां
दिल्ली के रोहणी के रहने वाले सम्यक जैन ने यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में 7वां स्थान हासिल किया है। सम्यक अपनी इस सफलता का श्रेय अपनी मां को देते हैं। सम्यक के मुताबिक, वह दृष्टिबधित हैं और जब उन्हें परीक्षा में एक सहायक लेखक की जरुरत पड़ी तो उनकी मां ने उनके लिए यह किया। सम्यक बताते हैं कि मैं मेरे माता-पिता का हमेशा आभारी रहूंगा क्योंकि उन्होंने मेरी शारीरिक कमी को कभी मेरी कमजोरी नहीं बनने दिया।
मेरा समय बचे इसलिए अखबार पढ़ा करते थे पिता
यूपीएससी में ऑल इंडिया तीसरी रैंक लाने वाली पंजाब की गामिनी सिंहला बताती हैं कि परीक्षा की तैयारी में मेरे परिवार खासकर मेरे पिता ने मेरा बहुत साथ दिया है। हिमाचल में बतौर चिकित्सा अधिकारी कार्यरत् अपने पिता के बारे में बताया कि मेरे पिता ने भावनात्मक रुप से और पढ़ाई में मेरी काफी हेल्प की। मेरे पिता मेरे लिए अखबार पढ़ते थे, ताकि मैं अपना समय बचा सकूं। उन्होंने बताया कि मैं मेरे पिता के साथ केवल पढ़ाई से संबंधित ही बातें करते थे। वह जानते थे कि मेरे लिए उस समय क्या महत्वपूर्ण था।
परिवार से मिले आर्थिक व भावनात्मक सहयोग से इस मुकाम पर पहुंचा
बिहार से आने वाले हेमंत कुमार ने यूपीएससी में 327 वीं रैंक हासिल की। अपनी इस सफलता का श्रेय हेमंत अपने माता-पिता को देते हैं। हेमंत के अनुसार, अपने अभिभावकों से मिले भावनात्मक और आर्थिक सहयोग की वजह से ही वो आज इस मुकाम पर पहुंचे हैं।
पिता के दिए आत्मविश्वास सफलता तक पहुंचाया
हापुड़, यूपी की रहने वाली शिवांगी गोयल ने यूपीएससी में 177वीं रैंक हासिल की है। शिवांगी शादीशुदा हैं और 7 साल की लड़की की मां हैं। ससुराल वालों की प्रताड़ना से तंग आकर वह अपने माता-पिता के पास आकर रहने लगीं। उनका अपने पति के साथ तलाक का केस भी चल रहा है। शिवांगी ने बताया कि उनकी सफलता की कहानी काफी संघर्षों भरी रही है। उन्होंने कहा कि वह शादी से पहले ही आईएएस बनना चाहती थीं लेकिन सफल नहीं हो पाईं। फिर शादी हुई और घरेलू हिंसा के बाद वह अपनी बेटी के साथ मायके आ गईं। ऐसे समय में मेरे माता-पिता ने मेरा भावनात्मक रुप से सपोर्ट किया। पापा ने मुझसे से कहा कि, तुम जो करना चाहती हो कर लो, हम तुम्हारे साथ हैं। जब पापा ने ये कहा तो मैंने सोचा कि क्यों न फिर से यूपीएससी की तैयारी की जाए?
शिवांगी ने अपने माता-पिता को अपनी सफलता का श्रेय देते हुए कहा कि आईएएस बनने का मेरा सपना मेरे अभिभावकों के सहयोग के बिना कभी पूरा नहीं होता।
Created On :   31 May 2022 11:42 PM IST