ऐसा था असली शेरशाह, मजबूत इरादों से पाकिस्तान के छुड़ाए थे छक्के
- विक्रम बत्रा से जुड़ी अनसुने किस्से
डिजिटल डेस्क, दिल्ली। कारगिल युद्ध में दुश्मन को बुरी तरह शिकस्त देने वाले कैप्टन विक्रम बत्रा अगर आज हमारे बीच होते तो 47 साल के होते और शायद सेना प्रमुख भी। उनकी जन्मतिथि के मौके पर जानते हैं देश के असली शेरशाह की जिंदगी से जुड़े कुछ दिलचस्प और अनसुने किस्से।
बचपन से थी परमवीर की चाहत
हिमाचल के पालमपुर में जन्मे और पले बढ़े विक्रम बत्रा बचपन से ही परमवीर चक्र पाना चाहते थे। उस वक्त टीवी पर परमवीर नाम का सीरियल आता था जिसने हमेशा विक्रम के सीने में परमवीर चक्र पाने की ललक को बढ़ा दिया। पढ़ाई में अव्वल थे। ज्यादा सैलेरी वाली नौकरी भी मिल गई। पर चाहिए तो परमवीर था। सो सब कुछ छोड़ छाड़ कर आर्मी का रूख किया।
सबको हैरान करना चाहते थे विक्रम
जब मर्चेंट नेवी की अच्छी खासी नौकरी छोड़ी तो परिजनों को भी इसका कारण समझ नहीं आया। मां समझाती रही पर बेटे का जवाब था मैं कुछ कर दिखाना चाहता हूं। कुछ ऐसा जिसे देख और सुनकर सबको आश्चर्य भी हो और गर्व भी और देश का नाम भी रोशन हो। बस यही ख्वाहिश जंग के मैदान तक ले गई।
शेरशाह के इरादों से डिगा पाकिस्तान
जिस वक्त कारगिल का युद्ध चल रहा था उस वक्त विक्रम बत्रा का कोड नेम शेरशाह ही था। विक्रम ने 5140 चौकी फतह कर ली थी। इसके बाद विक्रम ने अपने अधिकारियों को एक मैसेज भेजा। जिसमें कहा था कि दिल मांगे मोर। यानी सिर्फ एक चौकी फतह कर विक्रम रूकना नहीं चाहते थे। इसकी जानकारी के बाद पाकिस्तान भी इस वीर के कारनामे और इरादे जानकर चौंक गया था।
सेनाप्रमुख होते
कारगिल युद्ध के दौरान देश के सेनाप्रमुख थे जनरल वेदप्रकाश मलिक। शेरशाह यानी की विक्रम बत्रा की बहादुरी देखकर वो उनके इतने कायम हुए कि माता-पिता से बड़ी बात कह दी। जनरल मलिक ने विक्रम को श्रद्धांजली देते हुए कहा कि विक्रम बत्रा इतने प्रतिभाशाली थे कि वो देश के सेनाप्रमुख भी बन सकते थे।
इसलिए हुए जुड़वा
विक्रम बत्रा के जन्म से पहले परिवार में दो बेटियां थीं। मां की ख्वाहिश थी कि अब उन्हें एक बेटा हो। पर उन्हें एक साथ दो बेटे पैदा हुए। मां के मुताबिक वो हमेशा सोचती थीं कि उन्हें भगवान ने दो बेटे क्यों दिए। विक्रम की शहादत के बाद वो समझ सकीं कि भगवान ने एक बेटा देशसेवा के लिए ही दिया था।
Created On :   9 Sept 2021 12:11 PM IST