बयान: राहुल के सवाल पर विदेश मंत्री ने कहा- गलवान में निहत्थे नहीं थे हमारे सैनिक, समझौतों के तहत गोली नहीं चलाई

S Jaishankar on soldiers without arms in China clash
बयान: राहुल के सवाल पर विदेश मंत्री ने कहा- गलवान में निहत्थे नहीं थे हमारे सैनिक, समझौतों के तहत गोली नहीं चलाई
बयान: राहुल के सवाल पर विदेश मंत्री ने कहा- गलवान में निहत्थे नहीं थे हमारे सैनिक, समझौतों के तहत गोली नहीं चलाई

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के सेना को लेकर पूछे गए सवाल पर  विदेश मंत्रालय ने प्रतिक्रिया दी है। राहुल के सैनिकों को निहत्थे भेजे जाने की बात को सिरे से खारिज करते हुए विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि तथ्यों को ठीक से समझ लेना चाहिए। सैनिक पोस्ट छोड़ते ही हथियारों से लैस हो जाते हैं। गलवान घाटी में भी एक भी भारतीय सैनिक निहत्था नहीं था। हर सैनिक के पास हथियार थे, लेकिन समझौतों के मुताबिक वहां हथियारों का इस्तेमाल नहीं किया जाना था और नहीं किया गया। उन्होंने कहा, गतिरोध के वक्त हथियारों का इस्तेमाल नहीं करने की लंबी परंपरा (1996 और 2005 समझौतों के तहत) रही है।

क्या कहा था राहुल गांधी ने?
राहुल गांधी ने गुरुवार को ट्वीट कर सरकार से पूछा था कि चीन की हिम्मत कैसे हुई जो उसने हमारे निहत्थे सैनियों को मारा? हमारे सैनिकों को निहत्थे वहां शहादत के लिए क्यों भेजा गया? वहीं बुधवार को राहुल गांधी ने एक ट्वीट में पूछा था, प्रधानमंत्री चुप क्यों है? वह क्यों छिप रहे हैं? बस बहुत हो गया। हमें यह जानना है कि क्या हुआ था? चीन ने हमारे सैनिकों को कैसे मारा? हमारी जमीन लेने की उनकी हिम्मत कैसे हुई? इसके बाद उन्होंने लद्दाख की गलवान घाटी में एक अधिकारी सहित 20 भारतीय सैनिकों की मौत पर शोक व्यक्त करने के लिए केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा दो दिन बाद कुछ कहे जाने को लेकर भी व्यंग्य किया।

NBT

सोमवार रात हुईं थी सैनिकों के बीच झड़प
बता दें कि सोमवार रात लद्दाख की गलवान वैली में दोनों देशों के सैनिकों के बीच हुई झड़प में भारत के एक कर्नल और 19 जवान शहीद हो गए थे। चीन के भी 43 सैनिकों के मारे जाने की खबर आई थी। हालांकि दोनों देशों की सेनाओं के बीच कोई गोली नहीं चली। भारत और चीन के बीच 5 मई से तनाव की शुरुआत हुई थी। इसके बाद दोनों देशों की सेनाओं के बीच बातचीत में रजामंदी बनी थी कि बॉर्डर पर तनाव कम करने के लिए डी-एक्सकेलेशन किया जाए। डी-एक्सकेलेशन के तहत दोनों देशों की सेनाएं विवाद वाले इलाकों से पीछे हट रही थीं।

Created On :   18 Jun 2020 5:40 PM IST

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