RSS प्रमुख मोहन भागवत बोले- कट्टर हिंदुत्व यानी कट्टर अहिंसा
डिजिटल डेस्क, मेरठ। मेरठ में रविवार को राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) के इतिहास का अब तक का सबसे बड़ा स्वयं सेवक समागम का शुभारंभ हुआ। इस दौरान संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि कट्टर हिंदुत्व यानी कट्टर अहिंसा। व्यक्ति में कट्टरता, उदारता और अहिंसा के लिए होनी चाहिए। दुनिया भी अच्छी बातों को तभी मानती है, जब उसके पीछे कोई शक्ति खड़ी हो। समागम में सर संघचालक मोहन भागवत के साथ जैन संत विहर्ष सागर महाराज और स्वामी अवधेशानंद गिरी भी उपस्थित रहे। माना जा रहा है कि इस आयोजन के पीछे मुख्य मकसद 2019 के लोकसभा चुनावों की नब्ज टटोलना है।
हिंदुओं को एक होना है
मोहन भागवत ने कहा कि हिंदुओं को एक होना है। प्राचीन काल से ये हमारा घर है। हमारे लिए दूसरे देश में जाने की जगह नहीं है। इस देश का कुछ बिगड़ता है तो जवाब हमें देना पड़ेगा। इस देश के लिए हम दायित्ववान लोग है, हमें तैयार होना पड़ेगा। हमारे झगड़ों पर सभी अपनी रोटियां सेंकते हैं। हमें ये मानना पड़ेगा कि हर हिंदू मेरा सहोदर भाई है। पंथ कोई हो, पूजा पद्धति कोई भी हो, जाति कोई भी हो, भगवान कोई भी हो। भारत माता को अपनी माता मानने वाला हिंदू है। उन्होंने कहा कि हमारे देश में कई ऐसे लोग हैं, जो हिंदू हैं लेकिन जानते नहीं है कि वे हिंदू हैं।
संघ के हितैषी न बनें
मोहन भागवत ने 1971 के युद्ध के दौरान बांग्लादेश सीमा पर पश्चिम बंगाल के रायगंज में एक स्वयंसेवक के बलिदान का जिक्र करते हुए कहा कि देशहित के लिए आवश्यक हो तो स्वयंसेवक प्राण भी दे देंगे। संघ से जुड़ने के बारे में उन्होंने कहा कि लोग संघ के हितैषी न बनें बल्कि साधना करें और समाज को जोड़कर आगे बढ़ने का काम करें।
शक्ति होती है तो दिखाई देती है
भागवत ने इस दौरान कहा कि यह कार्यक्रम शक्ति प्रदर्शन के लिए नहीं है। शक्ति प्रदर्शन करने की आवश्यकता नहीं होती, शक्ति होती है तो दिखाई देती है। उन्होंने कहा कि यह देखना है कि हमारी कितनी शक्ति है, कितने लोगों को बुला सकते हैं, कितने लोगों को बैठा सकते हैं और कितने लोगों को अनुशासन में रख सकते हैं। उन्होंने संपूर्ण समाज के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ बनने की जरूरत बताई और कहा कि एक बड़ा समूह मिल-जुलकर खड़ा होता है तभी कोई कार्य संपन्न होता है।
मुख्य मंच के बाईं ओर बनाए गए संतों के मंच पर योगगुरु स्वामी कर्मवीर, जूना अखाड़े के नारायण गिरी, रविदास मिशन के सतीश दास, शुक्रताल से स्वामी सत्यानंद सहित बड़ी संख्या में साधु-संत मौजूद रहे। जैन, बौद्ध, सिख आदि संप्रदायों के संत ने मोहन भागवत के साथ मंच सांझा किया।
Created On :   25 Feb 2018 6:47 PM IST