Rajasthan Crisis: स्पीकर को झटका, पायलट गुट को मिली मोहलत, SC ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने से किया इनकार
- SC ने कहा- पहले HC फैसला दे
- उसके बाद फिर मामले की सुनवाई करेंगे
- सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने से किया इनकार
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। राजस्थान में जारी सियासी जंग फिलहाल कम होती नजर नहीं आ रही है। विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने का मसला हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुका है। राजस्थान के स्पीकर सीपी जोशी द्वारा दायर की गई एसएलपी पर आज गुरुवार सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई, जिसमें स्पीकर को झटका लगा। सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। SC का कहना है, पहले हाईकोर्ट अपना फैसला दे दे, उसके बाद ही सुप्रीम कोर्ट फिर इस मामले को सुनेगा। अगली सुनवाई सोमवार को होगी। सर्वोच्च न्यायालय के इस फैसले के बाद राज्य की सियासत में सस्पेंस बढ़ गया है।
A Bench of Justice Arun Mishra refuses the request of Rajasthan Speaker CP Joshi to stay the Rajasthan High Court proceedings on Sachin Pilot and MLAs petition against disqualification notice. https://t.co/gO7p0C6rlp
— ANI (@ANI) July 23, 2020
दरअसल सचिन पायलट समेत कांग्रेस के 19 विधायकों को स्पीकर की ओर से जारी नोटिस के खिलाफ पायलट गुट ने हाईकोर्ट याचिका दायर की थी। मंगलवार को HC ने पायलट खेमे को राहत देते हुए स्पीकर को आदेश दिया था कि, वो विधायकों पर 24 जुलाई तक किसी तरह का कोई भी एक्शन न लें। बुधवार को राजस्थान विधानसभा के स्पीकर सीपी जोशी ने हाईकोर्ट के इस फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की। सीपी जोशी का कहना था, किसी विधायक को अयोग्य घोषित करने का अधिकार स्पीकर के पास होता है, जबतक फैसला ना हो जाए तबतक कोई इसमें दखल नहीं दे सकता है।
राजस्थान हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ स्पीकर सीपी जोशी की याचिका पर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान स्पीकर की तरफ से वकील कपिल सिब्बल ने कहा, हाईकोर्ट स्पीकर को अयोग्यता को लेकर की जा रही कार्रवाई को स्थगित करने और निर्णय का समय बढ़ाने के लिए निर्देश नहीं दे सकता है। जब तक स्पीकर अंतिम निर्णय नहीं लेता तबतक कोर्ट से कोई हस्तक्षेप नहीं हो सकता है।
"कोर्ट निर्देश नहीं दे सकता स्पीकर को कब क्या और कैसे करना है"
स्पीकर सीपी जोशी की ओर से कपिल सिब्बल ने SC में कहा, कोर्ट, स्पीकर को निर्देश नहीं दे सकता। सदन में कब क्या और कैसे करना है? ये तय करने का अधिकार स्पीकर का है। जस्टिस अरुण मिश्रा ने पूछा, किस आधार पर अयोग्य ठहराने की मांग की गई थी? इस पर सिब्बल ने कहा, ये पार्टी विधायक दल की मीटिंग में शामिल नहीं हुए थे। बिना बताए अनुपस्थित रहकर सरकार को अस्थिर करने की साजिश कर रहे थे। अपने मोबाइल भी बंद कर रखे थे। ईमेल से भी इन्हें नोटिस भेजे गए। विधायक हेमाराम चौधरी, बनवारी लाल शर्मा और अन्य विधायक नोटिस का जवाब देने की बजाय न्यूज चैनलों से बयान जारी करते रहे।
सिब्बल ने कहा, चीफ व्हिप ने सचिन पायलट और अन्य 18 विधायकों के खिलाफ अयोग्यता को लेकर स्पीकर के समक्ष अर्जी दी थी, लेकिन इन लोगों की लापरवाही और हठ जारी रहा। सिब्बल ने कहा, स्पीकर के फैसला करने तक कोई भी हस्तक्षेप नहीं हो सकता। अभी तक स्पीकर ने कोई निर्णय नहीं लिया है लिहाजा वो याचिका हाईकोर्ट में दाखिल नही कर सकते थे।
जस्टिस अरुण मिश्रा, बीआर. गवई और कृष्णा मुरारी की पीठ ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मामले की सुनवाई की। सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति मिश्रा ने सिब्बल से कहा, विरोध की आवाज को दबाया नहीं जा सकता, नहीं तो लोकतंत्र खतरे में पड़ जाएगा। आखिरकार वे जनता द्वारा चुने गए हैं। क्या वे अपनी असहमति नहीं जता सकते।
सिब्बल ने इसपर तर्क देते हुए कहा, अगर विधायकों को अपनी आवाज उठानी है तो पार्टी के समक्ष उठानी चाहिए। इसपर न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा, पार्टी के अंदर लोकतंत्र है या नहीं। पीठ ने सिब्बल से पूछा, क्या पार्टी की बैठक में शामिल होने के लिए एक व्हिप दिया गया था।
सिब्बल ने कहा, स्पीकर ने बैठक में शामिल होने के लिए व्हिप जारी नहीं किया था, बल्कि यह केवल एक नोटिस था। न्यायमूर्ति मिश्रा ने सिब्बल से पूछा, क्या यह वह मामला नहीं हैं जहां पार्टी के सदस्य अपनी ही पार्टी के खिलाफ आवाज नहीं उठा सकते?
सिब्बल ने अपना पक्ष रखते हुए कहा, यह निर्णय स्पीकर को करना होता है कि बैठक में शामिल नहीं होने पर क्या यह अयोग्य ठहराए जाने का मामला है। लेकिन यह बैठक में शामिल नहीं होने से ज्यादा पार्टी-विरोधी गतिविधि का मामला है।
पीठ ने जानना चाहा कि, क्या प्रमाणिक व्हिप को पार्टी बैठक में शामिल होने के लिए जारी किया जा सकता है। पीठ ने कहा, क्या व्हिप केवल विधानसभा बैठक में शामिल होने के लिए वैध है या इसके बाहर भी बैठक में शामिल होने के लिए वैध है। सिब्बल ने जोर देकर कहा, यह एक व्हिप नहीं है, बल्कि यह पार्टी के मुख्य सचेतक द्वारा जारी किया गया एक नोटिस है।
पीठ ने इसका जवाब देते हुए कहा, इसका मतलब पार्टी बैठक में शामिल होने का आग्रह किया गया था और अगर कोई बैठक में शामिल नहीं होता तो क्या यह अयोग्य ठहराए जाने का आधार हो सकता है? पीठ ने कहा कि स्पीकर क्या निर्णय करेंगे यह कोई नहीं कह सकता।
Created On :   23 July 2020 1:13 PM IST