देश के नाम संबोधन में बोले राष्ट्रपति- महिलाओं की आजादी में ही देश की आजादी
- राष्ट्रपति कोविंद ने कहा- महिलाओं को विकल्प चुनने की आजादी मिले
- राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर देश के नाम अपना संबोधन दिया।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर देश के नाम अपना संबोधन दिया। उन्होंने देशवासियों को आजादी के 71 वर्ष पूरे होने पर बधाई देते हुए कहा कि स्वाधीनता सेनानियों के वर्षों के त्याग और वीरता के परिणामस्वरूप हमें आजादी मिली है और अब हमें उनके द्वारा सौंपे गए कामों को आगे बढ़ाना है। राष्ट्रपति कोविंद ने कहा, "अब हमें देश के विकास को आगे बढ़ाना है और गरीबी व असमानता से देश को मुक्त कराना है।"
राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में देश के सुरक्षाबलों से लेकर युवा, महिलाओं, उद्यमियों, किसानों आदि का जिक्र किया। उन्होंने कहा, "महिलाओं की आज़ादी को व्यापक बनाने में ही देश की आज़ादी की सार्थकता है। महिलाओं को अपने अनुसार जिंदगी जीने और विकल्प चुनने का अधिकार होना चाहिए।"
राष्ट्रपति कोविंद ने इस दौरान गांधी जी के विचारों की याद दिलाते हुए यह भी कहा कि भारत गांधी जी के विचारों पर चलने वाला देश है। भारतीय समाज में हिंसा के लिए कोई स्थान नहीं है।
Watch LIVE as #PresidentKovind addresses the nation on the eve of the 72nd Independence Day https://t.co/GeCHOuYAYR
— President of India (@rashtrapatibhvn) August 14, 2018
राष्ट्रपति कोविंद का देशवासियों के नाम पूरा संबोधन
- मेरे प्यारे देशवासियो, कल हमारी आज़ादी के 71 वर्ष पूरे हो रहे हैं। कल हम अपनी स्वाधीनता की वर्षगांठ मनाएंगे। राष्ट्र-गौरव के इस अवसर पर मैं आप सभी देशवासियों को बधाई देता हूँ।
- 15 अगस्त का दिन प्रत्येक भारतीय के लिए पवित्र होता है। हमारा ‘तिरंगा’ हमारे देश की अस्मिता का प्रतीक है। इस दिन हम देश की संप्रभुता का उत्सव मनाते हैं और अपने उन पूर्वजों के योगदान को कृतज्ञता से याद करते हैं, जिनके प्रयासों से हमने बहुत कुछ हासिल किया है।
- आज़ादी हमारे पूर्वजों और स्वाधीनता सेनानियों के वर्षों के त्याग और वीरता का परिणाम थी। स्वाधीनता संग्राम में संघर्ष करने वाले सभी वीर और वीरांगनाएं, असाधारण रूप से साहसी और दूर-द्रष्टा थे। इस संग्राम में देश के सभी क्षेत्रों, वर्गों और समुदायों के लोग शामिल थे
- वे चाहते तो सुविधापूर्ण जीवन जी सकते थे। लेकिन देश के प्रति अपनी अटूट निष्ठा के कारण उन्होंने ऐसा नहीं किया।
- वे एक ऐसा स्वाधीन और प्रभुता-सम्पन्न भारत बनाना चाहते थे, जहां समाज में बराबरी और भाई-चारा हो। हम उनके योगदान को हमेशा याद करते हैं
- हम भाग्यशाली हैं कि हमें महान देशभक्तों की विरासत मिली है। उन्होंने हमें एक आज़ाद भारत सौंपा है। साथ ही उन्होंने कुछ ऐसे काम भी सौंपे हैं जिन्हें हम सब मिलकर पूरा करेंगे।
- देश का विकास करने, तथा ग़रीबी और असमानता से मुक्ति प्राप्त करने के काम हम सबको करने हैं।
- हमारे किसान उन करोड़ों देशवासियों के लिए अन्न पैदा करते हैं जिनसे वे कभी आमने-सामने मिले भी नहीं होते। वे देश के लिए खाद्य सुरक्षा और पौष्टिक आहार उपलब्ध कराके हमारी आज़ादी को शक्ति प्रदान करते हैं।
- जब हम उनके खेतों की पैदावार और उनकी आमदनी बढ़ाने के लिए आधुनिक टेक्नॉलॉजी और अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराते हैं, तब हम अपने स्वाधीनता सेनानियों के सपनों का भारत बनाते हैं।
- हमारे सैनिक, सरहदों पर, बर्फीले पहाड़ों पर, चिलचिलाती धूप में, सागर और आसमान में, पूरी बहादुरी और चौकसी के साथ, देश की सुरक्षा में समर्पित रहते हैं। वे बाहरी खतरों से सुरक्षा करके हमारी स्वाधीनता सुनिश्चित करते हैं।
- जब हम सैनिकों के लिए बेहतर हथियार उपलब्ध कराते हैं, स्वदेश में ही रक्षा उपकरणों के लिए सप्लाई-चेन विकसित करते हैं, और सैनिकों को कल्याणकारी सुविधाएं प्रदान करते हैं, तब हम अपने स्वाधीनता सेनानियों के सपनों का भारत बनाते हैं।
- हमारी पुलिस और अर्धसैनिक बल अनेक प्रकार की चुनौतियों का सामना करते हैं। वे आतंकवाद का मुक़ाबला करते हैं तथा अपराधों की रोकथाम और कानून-व्यवस्था की रक्षा करते हैं।
- साथ ही साथ प्राकृतिक आपदाओं के समय वे हम सबको सहारा देते हैं। जब हम उनके काम-काज और व्यआक्तिमगत जीवन में सुधार लाते हैं, तब हम अपने स्वाधीनता सेनानियों के सपनों का भारत बनाते हैं।
- महिलाओं की हमारे समाज में एक विशेष भूमिका है। कई मायनों में महिलाओं की आज़ादी को व्यापक बनाने में ही देश की आज़ादी की सार्थकता है।
- यह सार्थकता, घरों में माताओं, बहनों और बेटियों के रूप में, तथा घर से बाहर अपने निर्णयों के अनुसार जीवन जीने की उनकी स्वतन्त्रता में देखी जा सकती है। उन्हें अपने ढंग से जीने का, तथा अपनी क्षमताओं का पूरा उपयोग करने का सुरक्षित वातावरण तथा अवसर मिलना ही चाहिए।
- साथ ही साथ प्राकृतिक आपदाओं के समय वे हम सबको सहारा देते हैं। जब हम उनके काम-काज और व्यक्तिगत जीवन में सुधार लाते हैं, तब हम अपने स्वाधीनता सेनानियों के सपनों का भारत बनाते हैं।
- महिलाएं अपनी क्षमता का उपयोग चाहे घर की प्रगति में करें, या फिर हमारे work force या उच्च शिक्षा-संस्थानों में महत्वपूर्ण योगदान देकर करें, उन्हें अपने विकल्प चुनने की पूरी आज़ादी होनी चाहिए।
- एक राष्ट्र और समाज के रूप में हमें यह सुनिश्चित करना है कि महिलाओं को जीवन में आगे बढ़ने के सभी अधिकार और क्षमताएं सुलभ हों।
- जब हम महिलाओं द्वारा चलाए जा रहे उद्यमों या स्टार्ट-अप के लिए आर्थिक संसाधन उपलब्ध कराते हैं, करोड़ों घरों में एल.पी.जी. कनेक्शन पहुंचाते हैं, और इस प्रकार महिलाओं का सशक्तीकरण करते हैं, तब हम अपने स्वाधीनता सेनानियों के सपनों का भारत बनाते हैं।
- हमारे नौजवान भारत की आशाओं और आकांक्षाओं की बुनियाद हैं। हमारे स्वाधीनता संग्राम में युवाओं और वरिष्ठ-जनों सभी की सक्रिय भागीदारी थी। लेकिन उस संग्राम में जोश भरने का काम विशेष रूप से युवा वर्ग ने किया था।
- हम अपने युवाओं का कौशल-विकास करते हैं, उन्हें टेक्नॉलॉजी, इंजीनियरिंग और उद्यमिता के लिए, तथा कला और शिल्प के लिए प्रेरित करते हैं। जब हम अपने युवाओं की असीम प्रतिभा को उभरने का अवसर प्रदान करते हैं, तब हम अपने स्वाधीनता सेनानियों के सपनों का भारत बनाते हैं।
- वह प्रत्येक भारतीय जो अपना काम निष्ठा व लगन से करता है - चाहे वह डॉक्टर हो, नर्स हो, शिक्षक हो, लोक सेवक हो, फैक्ट्री वर्कर हो, व्यापारी हो, बुजुर्ग माता-पिता की देखभाल करने वाली संतान हो – ये सभी स्वाधीनता के आदर्शों का पालन करते हैं ।
- हमारे जो देशवासी क़तार में खड़े रहकर अपनी बारी का इंतजार करते हैं, और अपने से आगे खड़े लोगों के अधिकारों का सम्मान करते हैं, वे भी हमारे स्वाधीनता सेनानियों के सपनों का भारत बनाते हैं।
- यह एक बहुत छोटा सा प्रयास है। आइए, इसे हम सब अपने जीवन का हिस्सा बनाएँ।
- आज हम अपने इतिहास के एक ऐसे मोड़ पर खड़े हैं जो अपने आप में बहुत अलग है। आज हम कई ऐसे लक्ष्यों के काफी क़रीब हैं, जिनके लिए हम वर्षों से प्रयास करते आ रहे हैं।
- सबके लिए बिजली, खुले में शौच से मुक्ति, सभी बेघरों को घर और अति-निर्धनता को दूर करने के लक्ष्य अब हमारी पहुँच में हैं।
- आज हम एक निर्णायक दौर से गुजर रहे हैं। ऐसे में हमें इस बात पर जोर देना है कि हम ध्यान भटकाने वाले मुद्दों में न उलझें और ना ही निरर्थक विवादों में पड़कर अपने लक्ष्यों से हटें।
- आज जो निर्णय हम ले रहे हैं, जो बुनियाद हम डाल रहे हैं, जो परियोजनाएं हम शुरू कर रहे हैं, जो सामाजिक और आर्थिक पहल हम कर रहे हैं – उन्हीं से यह तय होगा कि हमारा देश कहाँ तक पहुंचा है।
- हमारे देश में बदलाव और विकास तेजी से हो रहा है और इस की सराहना भी हो रही है।
- ग्राम स्वराज अभियान के दायरे में उन 117 आकांक्षी जिलों को भी शामिल कर लिया गया है, जो आज़ादी के सात दशक बाद भी हमारी विकास यात्रा में पीछे रह गए हैं।
- इस बार स्वाधीनता दिवस के साथ एक खास बात जुड़ी हुई है। 2 अक्टूबर से, महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के समारोह शुरू हो जाएंगे।
- गांधीजी ने, केवल हमारे स्वाधीनता संग्राम का नेतृत्व ही नहीं किया था बल्कि वह हमारे नैतिक पथ-प्रदर्शक भी थे और सदैव रहेंगे ।
- हमारे सामने, सामाजिक और आर्थिक पिरामिड में सबसे नीचे रह गए देशवासियों के जीवन-स्तर को तेजी से सुधारने का अच्छा अवसर है।
- ग्राम स्वराज अभियान का कार्य केवल सरकार द्वारा नहीं किया जा रहा है। यह अभियान सरकार और समाज के संयुक्त प्रयास से चल रहा है।
- भारत के राष्ट्रपति के रूप में विश्व में हर जगह, जहां-जहां पर मैं गया, सम्पूर्ण मानवता के आदर्श के रूप में गांधीजी को सम्मान के साथ स्मरण किया जाता है। उन्हें मूर्तिमान भारत के रूप में देखा जाता है ।
- हमें गांधीजी के विचारों की गहराई को समझने का प्रयास करना होगा। उन्हें राजनीति और स्वाधीनता की सीमित परिभाषाएं मंजूर नहीं थीं।
- चंपारन में और अन्य बहुत से स्थानों पर गांधी जी ने स्वयं स्वच्छता अभियान का नेतृत्व किया। उन्होंने साफ-सफाई को, आत्म-अनुशासन और शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए आवश्यक माना।
- गांधीजी का महानतम संदेश यही था कि हिंसा की अपेक्षा, अहिंसा की शक्ति कहीं अधिक है। प्रहार करने की अपेक्षा, संयम बरतना, कहीं अधिक सराहनीय है तथा हमारे समाज में हिंसा के लिए कोई स्थान नहीं है।
- गांधीजी ने अहिंसा का यह अमोघ अस्त्र हमें प्रदान किया है।
- इस स्वाधीनता दिवस के अवसर पर हम सब भारतवासी अपने दिन-प्रतिदिन के आचरण में गांधीजी द्वारा सुझाए गए रास्तों पर चलने का संकल्प लें।
- हमारी स्वाधीनता का उत्सव मनाने का इससे बेहतर कोई और तरीका नहीं हो सकता
- अपने देश के युवाओं में आदर्शवाद और उत्साह देखकर मुझे बहुत संतोष का अनुभव होता है। उनमें अपने लिए, अपने परिवार के लिए, समाज के लिए और अपने देश के लिए कुछ-न-कुछ हासिल करने की भावना दिखाई देती है।
- शिक्षा का उद्देश्य केवल डिग्री या डिप्लोमा प्राप्त कर लेना ही नहीं है, बल्कि सभी के जीवन को बेहतर बनाने की भावना को जगाना भी है। ऐसी भावना से ही संवेदनशीलता और बंधुता को बढ़ावा मिलता है।
- यह भारत देश ‘हम सब भारत के लोगों’ का है, न कि केवल सरकार का।
- एकजुट होकर, हम ‘भारत के लोग’ अपने देश के हर नागरिक की मदद कर सकते हैं। एकजुट होकर, हम अपने वनों और प्राकृतिक धरोहरों का संरक्षण कर सकते हैं, हम अपने ग्रामीण और शहरी पर्यावास को नया जीवन दे सकते हैं। हम सब ग़रीबी, अशिक्षा और असमानता को दूर कर सकते हैं।
- हम सब मिलकर ये सभी काम कर सकते हैं। यद्यपि इसमें सरकार की प्रमुख भूमिका होती है, परंतु एकमात्र भूमिका नहीं।
- आइए, हम अपने प्रयासों को आगे बढ़ाने के लिए सरकार के कार्यक्रमों और परियोजनाओं का पूरा-पूरा उपयोग करें। आइए देश के काम को अपना काम समझें
- इन्हीं शब्दों के साथ, मैं एक बार फिर आपको, और आपके परिवार के सदस्यों को, स्वाधीनता दिवस की हार्दिक बधाई, और आप सबके स्वर्णिम भविष्य के लिए ढेर सारी शुभकामनाएं देता हूं। धन्यवाद..जय हिन्द !
Created On :   14 Aug 2018 7:08 PM IST