काशी में बोले पीएम- लोग भले ही 70 साल का हिसाब न दें, मैं पांच साल का हिसाब दूंगा

PM addressed gathering after performing Roadshow and Ganga Aarti
काशी में बोले पीएम- लोग भले ही 70 साल का हिसाब न दें, मैं पांच साल का हिसाब दूंगा
काशी में बोले पीएम- लोग भले ही 70 साल का हिसाब न दें, मैं पांच साल का हिसाब दूंगा
हाईलाइट
  • इस दौरान पीएम ने कहा कि सारे सपने पूरे हो गए ऐसा दावा नहीं
  • लेकिन हमारी रफ्तार सही है।
  • दौरे के पहले दिन पीएम ने रोड शो और गंगा आरती करने के बाद एक सभा को संबोधित किया।
  • प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी वाराणसी के दो दिवसीय दौरे पर हैं। वह शुक्रवार को नामांकन दाखिल करेंगे।

डिजिटल डेस्क, वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी वाराणसी के दो दिवसीय दौरे पर हैं। वह शुक्रवार को नामांकन दाखिल करेंगे। दौरे के पहले दिन पीएम ने रोड शो और गंगा आरती करने के बाद एक सभा को संबोधित किया। इस दौरान पीएम ने कहा कि सारे सपने पूरे हो गए ऐसा दावा नहीं, लेकिन हमारी रफ्तार सही है। पीएम ने कांग्रेस पर तंज कसते हुए कहा कि लोग 70 साल का भले ही हिसाब न दें मेरा कर्तव्य बनता है कि आपको पांच साल का हिसाब दूं।

पीएम ने कहा, मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि ये चौकीदार अपनी निष्ठा और ईमानदारी से कभी नहीं डिगेगा। मैं काशी की मर्यादा नहीं झुकने दूंगा। मैं देश नहीं झुकने दूंगा। आज मैं फिर एक बार आपका आशीर्वाद लेने आया हूं। आपकी अनुमति हो तो कल मैं नामांकन दाखिल करूंगा। मेरा कर्तव्य बनता है कि आपसे दूसरे पांच साल मांगूं उससे पहले पांच साल का हिसाब दूं। लोग 70 साल का नहीं दे रहे हों, ये उनकी मर्जी। मेरा जीवन ऐसा है कि शरीर का कण-कण और समय का पल-पल, उसका पाई-पाई का हिसाब आपके चरणों में रखता हूं।

काशी ने मुझे पीएम बनने का आशीर्वाद दिया
पीएम ने कहा, 5 वर्ष पहले जब काशी की धरती पर मैंने कदम रखा, तब मैंने कहा था कि मां गंगा ने मुझे बुलाया है। मैया ने ऐसा दुलार दिया, काशी के बहन-भाइयों ने इतना प्यार दिया कि बनारस के फक्कड़पन में ये फकीर भी रम गया। काशी ने मुझे सिर्फ एमपी नहीं पीएम बनने का आशीर्वाद दिया। मैं मानता हूं कि इस समय भारत भी तपस्या के दौर में है। वो खुद को साध रहा है और इस साधना में हम सब एक सेवक हैं, साधक हैं। जो सपना मन में है वो पूरा हो गया ऐसा मैं कभी दावा नहीं करता हूं लेकिन उस सपने को पूरा करने की दिशा में हमारा रास्ता और रफ़्तार सही है ये मैं ज़रूर कह सकता हूं।

काशी के विकास के तीन पहलू
पीएम ने कहा, काशी के विकास को लेकर हम जिस दिशा में बढ़ रहे हैं उसके तीन पहलू हैं। एक आध्यात्मिक, दूसरा व्यवहारिक और तीसरा मानवीय। ये अलग-अलग भी हैं और एक दूसरे से जुड़े भी हैं। 17 मई 2014 को गंगा तट पर कुछ संकल्प मैं ले रहा था तो मन में ये सवाल जरूर था कि काशी की उम्मीद पर खरा उतर पाउंगा क्या। लेकिन आज मैं कह सकता हूं कि हम सभी के सामूहिक प्रयास और बाबा के आशीर्वाद से काशी के बदलाव को काशीवासियों समेत पूरा देश अनुभव कर रहा है।

कनेक्टिविटी को लेकर विरोधी भी मानते हैं लोहा
पीएम ने कहा, कनेक्टिविटी को लेकर तो हमारे विरोधी भी हमारा लोहा मानते हैं। रोडवेज से लेकर एयरवेज तक पूरे देश में अभूतपूर्व काम हो रहा है जिसकी झलक काशी में भी दिखती है। गंगा जी पर देश का पहला जलमार्ग बनना, वाराणसी में क्रूज जहाजों का चलना ये हमारे पर्यटन और व्यापार के अच्छे संकेत हैं। मां गंगा के ईमानदार सेवक हमारे मल्लाह साथियों को इसका लाभ मिलना निश्चित है। हमारी विरासत, हमारी आस्था के प्रतीक बाबा विश्वनाथ और गंगा मां की सेवा का अवसर मिलना वाकई सौभाग्य है। मां गंगा को निर्मल और अविरल बनाने की दिशा में भी हम काफी आगे बढ़ गए हैं।

आने वाले पांच वर्ष देश की प्रतिष्ठा के होंगे।
पीएम ने कहा, सारनाथ में पिछले पांच साल में हुआ विकासकार्य भी अभूतपूर्व है। मैं अपने कार्यकाल के दौरान मैंने काशी के किसानों, बुनकरों और युवाओं के लिए एक ऐसे मॉडल को आत्मसात करने की कोशिश की है जो सर्वसमावेशी, सर्वस्पर्शी, सर्वहितैषी, सर्वसंतोषी और सर्वांगीण हो। हम देश के हर हिस्से, हर वर्ग को मजबूत करने के संकल्प के साथ लगे हैं। बीते पांच वर्ष पुरुषार्थ के थे, आने वाले पांच वर्ष परिणाम के होंगे। बीते पांच वर्ष ईमानदारी के प्रयास के थे। आने वाले पांच वर्ष उन प्रयासों को विस्तार देने के होंगे। बीते पांच वर्ष परिवर्तन की शुरुआत के थे। आने वाले पांच वर्ष देश की प्रतिष्ठा के होंगे।

पद्म पुरस्कार को लेकर बड़ा बदलाव किया
पद्म पुरस्कार को लेकर पीएम ने कहा कि ये पुरस्कार पहले भी दिए जाते थे, लेकिन पता भी नहीं चलता था। बहुत बड़ा बदलाव हमने किया। गांव-गांव से नाम मंगाए जिसके परिणामस्वरूप 50 हजार नाम आए। किन-किन लोगों को पद्म पुरस्कार मिले हैं, ये पूरी दुनिया ने देखा है। वाराणसी की मिट्टी के लोकगायक हीरालाल यादव जी जैसे समर्पित साधकों को पुरस्कार प्राप्त करते जिसने भी देखा, उनकी आंखों में व्यवस्था परिवर्तन का अहसास देखा जा सकता था। इसी तरह महामना और अटल जी जैसे भक्तों को भारत रत्न देकर सम्मानित करने का सौभाग्य भी हम लोगों को मिला। 

 

Created On :   25 April 2019 11:23 PM IST

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