10 दिनों से बाढ़ में घिरे सिलचर के लोगों को जल जनित बीमारियां फैलने का डर

People of Silchar engulfed in flood for 10 days fear of spreading water borne diseases
10 दिनों से बाढ़ में घिरे सिलचर के लोगों को जल जनित बीमारियां फैलने का डर
असम 10 दिनों से बाढ़ में घिरे सिलचर के लोगों को जल जनित बीमारियां फैलने का डर
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  • असम : 10 दिनों से बाढ़ में घिरे सिलचर के लोगों को जल जनित बीमारियां फैलने का डर

डिजिटल डेस्क, कोलकाता। बराक नदी के पानी से 10 दिनों से घिरे सिलचर शहर के कई हिस्से मंगलवार को भी पानी में डूबे रहे। यहां के निवासियों को अब जल जनित बीमारियों के फैलने की आशंका है।प्रशासन पेयजल और भोजन के साथ सबसे बुरी तरह प्रभावित हिस्सों तक पहुंचने का प्रयास कर रहा है, लेकिन कई लोगों ने दावा किया है कि उन्हें कोई राहत नहीं मिली है।

कछार की उपायुक्त कीर्ति जल्ली ने कहा कि शहर के कुछ हिस्सों में हम राहत सामग्री अधिक कुशलता से बांट पाए। संभव है कि कुछ क्षेत्रों तक पहुंचा नहीं जा सका, विशेष रूप से संकरी गलियों में। हालांकि, हमने स्थानीय लोगों से राहत लेने के लिए अपने निकटतम चौक पर इकट्ठा होने का आग्रह किया है।निवासियों ने कहा कि राहत लेने के लिए कमर तक गहरे पानी से गुजरना सभी के लिए संभव नहीं हो सकता। बिजली नहीं है, इसलिए पंप चलाकर पानी नहीं निकाल सकते।

एक निवासी सुनीत पुरकायस्थ ने कहा, वे कैसे उम्मीद करते हैं कि हम घर लौटने के बाद गंदगी, कीचड़ को धो देंगे? वैसे भी, गंदगी हमारे घरों के भूतल में प्रवेश कर गई है। हमें पूरी सावधानी बरतनी होगी, वरना आंतों की बीमारियों का प्रकोप फैलेगा। हमने सुना है कि कुछ जल शुद्धिकरण इकाइयां नावों पर पीने का पानी वितरण कर रही हैं। समस्या यह है कि हमारे मोबाइल फोन काम नहीं कर रहे हैं और हम सामूहिक प्रयास सुनिश्चित करने के लिए पड़ोस के अन्य लोगों से बात नहीं कर सकते।

शहर में मोमबत्तियों जैसी बुनियादी चीजें भी खत्म हो गई हैं और सूर्यास्त के बाद अधिकांश मोहल्लों में अंधेरा हो जाता है। इस बीच, चोरी और लूट के कुछ मामले भी सामने आए हैं। एक महिला सोमा बरुआ ने कहा कि रात में डर लगता है, इसलिए वह अपने दो नाबालिग बच्चों के साथ खुद को एक कमरे में बंद कर लेती हैं। उन्होंने कहा, हमारे किरायेदारों ने मकान में पानी घुसने के बाद ग्राउंड फ्लोर छोड़ दिया। तब से हमारी रातों की नींद हराम है। मेरे पति कमरे के बाहर बैठकर निगरानी करते रहते हैं। यहां तक कि एक मामूली शोर भी हमें डरा देता है। हम नहीं जानते कि हमें कब तक इस यातना को सहन करना होगा।

 

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Created On :   28 Jun 2022 4:31 PM IST

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