दामाद पर आश्रित सास दुर्घटना के मामलों में मुआवजे की मांग कर सकती है

Mother-in-law dependent on son-in-law can demand compensation in case of accident
दामाद पर आश्रित सास दुर्घटना के मामलों में मुआवजे की मांग कर सकती है
सुप्रीम कोर्ट दामाद पर आश्रित सास दुर्घटना के मामलों में मुआवजे की मांग कर सकती है

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि दामाद के साथ रहने वाली सास मोटर वाहन अधिनियम के प्रावधान के तहत एक कानूनी प्रतिनिधि है। दावा याचिका में कहा गया है कि अधिनियम पीड़ितों या उनके परिवारों को मौद्रिक राहत प्रदान करने के उद्देश्य से अधिनियमित एक उदार कानून है।

न्यायमूर्ति एस. अब्दुल नजीर और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की पीठ ने कहा अपीलकर्ता सास मृतक का कानूनी उत्तराधिकारी नहीं हो सकता है, लेकिन वह निश्चित रूप से उसकी मृत्यु के कारण पीड़ित है। इसलिए हमारे पास कोई नहीं है यह मानने में झिझक कि वह एमवी अधिनियम की धारा 166 के तहत एक कानूनी प्रतिनिधि है और दावा याचिका को बनाए रखने की हकदार है।

पीठ ने जोर दिया कि कानूनी प्रतिनिधि को एमवी अधिनियम के अध्याय 12 के उद्देश्य के लिए व्यापक व्याख्या दी जानी चाहिए और इसे केवल मृतक के पति या पत्नी, माता-पिता और बच्चों तक ही सीमित नहीं रखा जाना चाहिए। शीर्ष अदालत ने कहा कि भारतीय समाज में एक सास का अपनी बेटी और दामाद के साथ बुढ़ापे के दौरान रहना असामान्य नहीं है।सास का  भरण-पोषण के लिए अपने दामाद पर निर्भर रहना भी असामान्य नहीं है।

पीठ ने कहा कि एमवी अधिनियम कानूनी प्रतिनिधि शब्द को परिभाषित नहीं करता है। जिसका आम तौर पर एक व्यक्ति होता है जो कानून में मृत व्यक्ति की संपत्ति का प्रतिनिधित्व करता है और इसमें कोई भी व्यक्ति या व्यक्ति शामिल होता है जिसमें प्रतिपूरक लाभ प्राप्त करने का कानूनी अधिकार निहित होता है। कोई भी कानूनी प्रतिनिधि हो सकता है, जो मृतक की संपत्ति में हस्तक्षेप करता हो। ऐसे व्यक्ति का कानूनी उत्तराधिकारी होना जरूरी नहीं है। कानूनी उत्तराधिकारी वे व्यक्ति होते हैं जो मृतक की जीवित संपत्ति को विरासत में पाने के हकदार होते हैं। एक कानूनी उत्तराधिकारी कानूनी प्रतिनिधि भी हो सकता है।

मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण ने मृतक के परिवार को मुआवजे के रूप में 74,50,971 रुपये का मुआवजा दिया था, लेकिन केरल उच्च न्यायालय ने अपने दामाद के साथ रहने वाली सास को पकड़कर इसे घटाकर 48,39,728 रुपये कर दिया था। वह कानूनन कानूनी प्रतिनिधि नहीं था। 2011 में एक मोटर वाहन दुर्घटना में मारे गए व्यक्ति की पत्नी ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की थी।

 

(आईएएनएस)

Created On :   25 Oct 2021 7:30 PM GMT

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