महाराष्ट्र: अर्णब की जमानत के लिए बंबई हाई कोर्ट में सुनवाई आज, हिरासत के लिए पुलिस ने सत्र अदालत में दाखिल की पुनरीक्षण याचिका
- 18 नवंबर तक गोस्वामी को न्यायिक हिरासत में भेजा गया
- अर्नब को 2018 के एक आत्महत्या मामले में गिरफ्तार किया था
- कारण बताओ नोटिस पर कल सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
डिजिटल डेस्क, मुंबई। रिपब्लिक टीवी के प्रबंध निदेशक और एडिटर इन चीफ अर्णब गोस्वामी को फिलहाल अदालत से कोई राहत नहीं मिली है। उन्हें 18 नवंबर तक की 14 दिन की हिरासत में भेजा गया है। अर्णब गोस्वामी की तरफ से बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर कर अपनी गिरफ्तारी को चुनौती दी गई है, जिस पर हाईकोर्ट ने गुरुवार को कहा कि वह इस मामले में दोनों पक्षों को सुनेंगे। हाईकोर्ट ने शुक्रवार को मामले की सुनवाई करने की बात कही।
वहीं रायगढ़ जिले में अलीबाग पुलिस ने आत्महत्या के लिए कथित तौर पर उकसाने के मामले में रिपब्लिक टीवी के संपादक अर्नब गोस्वामी और दो अन्य को न्यायिक हिरासत में भेजने के निचली अदालत के फैसले को सत्र अदालत में चुनौती देते हुए गुरुवार को एक पुनरीक्षण याचिका दायर की है। बुधवार को केस डायरी और अन्य संबंधित दस्तावेजों पर गौर करने के बाद मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट सुनयना पिंगले ने कहा कि पहली नजर में अभियोजन मृतक और आरोपी व्यक्तियों के बीच संपर्क को साबित करने में असफल रहा।
मजिस्ट्रेट ने आरोपियों की कंपनियों द्वारा बकाये का कथित रूप से भुगतान नहीं करने के कारण इंटीरियर डिजाइनर अन्वय नाइक और उनकी मां को आत्महत्या के लिए कथित तौर पर उकसाने के मामले में बुधवार देर रात गोस्वामी और अन्य दो आरोपियों को 18 नवंबर तक न्यायिक हिरासत में भेजने का आदेश दिया था। न्यायमूर्ति एसएस शिंदे और न्यायमूर्ति एमएस कार्णिक की पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है, जिसने अर्नब को कोई भी अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया। अदालत शुक्रवार को भी अपने पिता और दादी कुमुद की दोहरी आत्महत्या की शिकायत के संबंध में रायगढ़ पुलिस द्वारा दायर ए-सारांश रिपोर्ट के पुनर्निवेश की मांग करते हुए अक्षत और अन्वय की बेटी अदन्या नाइक की याचिका पर सुनवाई करेगी।
18 नवंबर तक गोस्वामी को न्यायिक हिरासत में भेजा गया
गोस्वामी को बुधवार सुबह मुंबई और रायगढ़ पुलिस टीमों द्वारा एक नाटकीय ऑपरेशन में गिरफ्तार किया गया और दोहरे आत्महत्या मामले के सिलसिले में अलीबाग ले जाया गया। मैराथन सुनवाई के बाद अलीबाग कोर्ट के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट सुनैना एस पिंगले ने 14 दिनों की पुलिस हिरासत के लिए पुलिस की याचिका को खारिज कर दिया और 18 नवंबर तक गोस्वामी को न्यायिक हिरासत में भेज दिया। बॉम्बे हाईकोर्ट के समक्ष अपनी दलील में, गोस्वामी के वकील ने आत्महत्या का आरोप लगाते हुए अलीबाग में आत्महत्या मामले की एफआईआर की जांच पर तत्काल अंतरिम रोक लगाने की मांग की और अंतरिम जमानत की मांग की।
अर्नब को 2018 के एक आत्महत्या मामले में गिरफ्तार किया था
बता दें कि मुंबई पुलिस ने बुधवार को ही अर्नब को 2018 के एक आत्महत्या मामले में सुबह उनके घर से गिरफ्तार किया था, जिसके बाद निचली अदालत ने उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया था। जिस मामले में अर्नब की गिरफ्तारी की गई है, वह साल 2018 का मामला है, जब इंटीरियर डिजाइनर अन्वय नाइक और उनकी मां कुमुद नाइक ने मई 2018 में अलीबाग में आत्महत्या कर ली थी। इस दौरान पुलिस को घटनास्थल से एक सुसाइड नोट मिला था, जिसमें कथित तौर पर कहा गया कि अर्नब गोस्वामी और दो अन्य लोगों ने उन्हें 5.40 करोड़ रुपए का भुगतान नहीं किया, जिसकी वजह से उनकी आर्थिक स्थिति बिगड़ गई और उन्हें यह कदम उठाने के लिए मजबूर होना पड़ा।
अन्वय नाइक और अक्षता नाइक की बेटी अदन्या नाइक की ओर से पांच मई 2018 को उनके पिता और दादी की आत्महत्या के मामले में रायगढ़ पुलिस द्वारा दायर ए-समरी रिपोर्ट के संबंध में फिर से जांच शुरू करने के लिए दायर की गई याचिका पर भी अदालत सुनवाई करेगी।
कारण बताओ नोटिस पर कल सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
दूसरी ओर अर्नब गोस्वामी को महाराष्ट्र विधानसभा की ओर से भेजे गए कारण बताओ नोटिस के मामले पर सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को सुनवाई करेगा। अर्नब को यह नोटिस सुशांत सिंह राजपूत की मृत्यु के मामले में उनके कार्यक्रम में बहस के दौरान मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे पर की गई टिप्पणियों को लेकर जारी किया गया था।
Created On :   5 Nov 2020 11:50 PM IST