उत्तर भारत में पड़ रही है ठिठुराने वाली ठंड, मौसम विज्ञानियों से जानिए क्या है तेज ठंड पड़ने का कारण
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- क्यों पड़ रही है इतनी ठंड़
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देशभर में सर्दी का सितम जारी है। खासतौर पर उत्तर भारत के राज्यों में ठंड का प्रकोप काफी ज्यादा है। वहीं यूपी के कानपुर में भीषण ठंड की वजह से बीते गुरुवार को यहां पर दो सरकारी अस्पतालों में 25 लोगों की हार्ट अटैक और ब्रेन स्ट्रोक के चलते जान चली गई। इसके अलावा उत्तर भारत के राज्यों में शीतलहर से लोगों का हाल बेहाल हो गया है। इन क्षेत्रों में सुबह और शाम के समय में कोहरे की वजह से यातायात की स्पीड धीमी पड़ गई है।
मौसम विशेषज्ञों का पूर्वानुमान है कि, आने वाले दिनों में तापमान में और भी ज्यादा गिरावट देखी जा सकती है। वहीं मौसम विभाग ने पहले ही अनुमान जताया था कि इस साल की ठंड अपने सभी पुराने रिकॉर्ड तोड़ सकती है। बता दें कि राजधानी दिल्ली में आज यानि शुक्रवार को तापमान 1.8 डिग्री रिकॉर्ड किया गया है। ऐसे में लोग सवाल कर रहे हैं कि आखिर उत्तर भारत के राज्यों में इतनी ठंड क्यों पड़ रही है। आइए समझते हैं कि इसके पीछे की असल वजह क्या है? और इस पर वैज्ञानिकों की क्या राय है?
तेजी से बढ़ती ठंड को लेकर क्या कहते हैं मौसम वैज्ञानिक?
मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक, तेजी के साथ हो रही जलवायु परिवर्तन की वजह से हर मौसम असामान्य व्यावहार कर रहा है। इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह ह्यूमन एक्टिविटीज बताई जा रही हैं। इसी वजह से गर्मियों के मौसम अधिक गर्मी और सर्दियों के मौसम अधिक ठंड पड़ रही है। मौसम विज्ञानियों की मानें तो यदि जल्द ही जलवायु परिवर्तन पर रोक नहीं लगाई गई तो इसका दुष्परिणाम काफी भयावह हो सकता है।
अक्षांश रेखा का बढ़ती ठंड में कितना योगदान
उत्तर भारत में भारी ठंड पड़ने की दूसरी वजह यह मानी जाती है कि भारत का ज्यादातर भूमि क्षेत्र उत्तरी गोलार्ध में पड़ता है। जिसकी वजह से उत्तर भारत के राज्यों में कड़ाके की ठंड पड़ती है। इसके अलावा अक्षांश रेखा की वजह से इन इलाकों में ठंड पड़ती है। अक्षांश रेखा जिसे लैटिट्यूड और देशांतर रेखा जिसे लोंगिट्यूड के नाम से जाना जाता है। इसका इस्तेमाल किसी देश की भौगोलिक स्थिति को बताने में किया जाता है। बता दें कि लैटिट्यूड ही तय करता है कि उस क्षेत्र का मौसम कैसा रहेगा? वहीं लैटिट्यूड में जो क्षेत्र आते है उसमें ठंड पड़ना और बर्फबारी होना आम बात है।
सूर्य और पृथ्वी की दूरी में ठंड का कितना योगदान
जैसा कि हम सभी जानते है कि सभी ग्रह अपनी कक्ष में घूमकर सूर्य ग्रह के चक्कर लगाते हैं। इस दौरान सभी ग्रह की कक्षा अलग अलग होती है। पृथ्वी जिस धूरी पर घूमती है वो ओवल शेप यानि कि अंडाकार होती है। इस पर घूमते हुए पृथ्वी सूरज के चक्कर लगाती है। जिसकी वजह पृथ्वी और सूरज की दूरी कुछ समय के लिए बढ़ जाती है। इस दौरान धरती पर ठंड पड़ती है। इस समय अंतराल में सूरज की किरणे धरती पर पूरी तरह से नहीं आती है।
पश्चिमी विक्षोभ से आती है ठंड हवाएं
उत्तर भारत में भीषण सर्द पड़ने की एक बड़ी वजह पश्चिमी विक्षोम से चलने वाली ठंडी हवाएं मानी जाती हैं। जिसे लोग शीतलहर के नाम से जानते हैं। पश्चिमी विक्षोभ में नमी की वजह से कई बार उत्तर भारत के इलाकों में सर्दियों के मौसम में बारिश और ओले गिरने की घटनाएं होती हैं। साथ ही पश्चिमी विक्षोभ की वजह से पहाड़ी इलाकों में बर्फबारी होती है।
जानें कब पड़ती है सबसे ज्यादा ठंड?
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, मौसम विज्ञानी सर्दियों के मौसम में सामान्य से कम तापमान पर नजर बनाए हुए हैं। ऐसे में यदि तापमान सामान्य से 4 से 5 डिग्री कम रिकॉर्ड किया जाता है, तो इसे ठंड का मौसम माना जाता है और यदि वहीं तापमान में 6 से 7 डिग्री सेल्सियस की गिरावट दर्ज की जाती है, तब इसे कड़ाके की ठंड कहा जाता है।
Created On :   6 Jan 2023 3:14 PM IST