लालन शेख की मौत : पत्नी ने बाहरी प्रभाव में मामला दर्ज कराने के सीबीआई के दावे को नकारा

Lalan Sheikhs death: Wife refutes CBIs claim of registering case under outside influence
लालन शेख की मौत : पत्नी ने बाहरी प्रभाव में मामला दर्ज कराने के सीबीआई के दावे को नकारा
पश्चिम बंगाल लालन शेख की मौत : पत्नी ने बाहरी प्रभाव में मामला दर्ज कराने के सीबीआई के दावे को नकारा
हाईलाइट
  • पुलिस के समक्ष प्राथमिकी दर्ज कराई थी

डिजिटल डेस्क, कोलकाता। बोगतुई नरसंहार के मुख्य आरोपी लालन शेख की 12 दिसंबर को सीबीआई हिरासत में मौत हो गई थी। उसकी पत्नी ने गुरुवार को एजेंसी के उस दावे का खंडन किया कि उसने बाहरी लोगों के प्रभाव में आकर राज्य पुलिस के समक्ष प्राथमिकी दर्ज कराई थी, जिसमें सात सीबीआई अधिकारियों को नामजद किया गया था।

केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के वकील ने बुधवार को कलकत्ता हाईकोर्ट में दावा किया कि पूरी संभावना है कि शेख की पत्नी ने पश्चिम बंगाल सरकार के एक वर्ग से प्रभावित होकर प्राथमिकी दर्ज कराई है। वकील ने यह भी दावा किया कि बाहरी प्रभाव के बिना वह उन सीबीआई अधिकारियों के नाम नहीं जान पाती, जिनके नाम प्राथमिकी में दर्ज किए गए हैं। रेशमा बीबी ने मीडियाकर्मियों से बात करते हुए सीबीआई के वकील के दावे का खंडन किया।

उसने कहा, मैं बीमार थी। लेकिन मेरी मौजूदगी में और मेरे द्वारा दिए गए बयानों के अनुसार प्राथमिकी दर्ज की गई थी। मैं अपने मृत पति से लॉकअप में मिली थी। वह उस समय रो रहा था और शिकायत की थी कि सीबीआई के अधिकारी उसे प्रताड़ित कर रहे हैं। फिर उसने मुझे सीबीआई अधिकारियों के नाम बताए। मैं अदालत से न्याय चाहती हूं।

साथ ही, उसने कहा कि वह अपने पति के शव के दूसरे दौर के पोस्टमॉर्टम के लिए तैयार नहीं है, क्योंकि उसे दफनाया जा चुका है। बुधवार को जस्टिस जय सेनगुप्ता की पीठ ने कहा था कि लालन शेख के शव के दूसरे पोस्टमार्टम का फैसला मृतक की पत्नी से राय लेने के बाद ही लिया जा सकता है।

उसने कहा, मैं अपने पति के शव के दूसरे पोस्टमॉर्टम के लिए सहमति नहीं दूंगी। मैं चाहती हूं कि सीआईडी द्वारा जांच जारी रखी जाए। रहस्य को उजागर किया जाए। उसके बाद ही मैं उसके अनुसार निर्णय लूंगी। हालांकि, इस समय मैं अपने पति के शव को कब्र से बाहर नहीं आने दूंगी। हालांकि, कानूनी विशेषज्ञों ने कहा कि आखिर में दूसरे पोस्टमार्टम के लिए उसकी आपत्तियों को स्वीकार किया जाएगा या नहीं, यह पूरी तरह से संबंधित न्यायाधीश पर निर्भर करता है। वरिष्ठ वकील कौशिक गुप्ता ने कहा, अगर न्यायाधीश को लगता है कि निष्पक्ष जांच के लिए दूसरा पोस्टमार्टम जरूरी है तो वह इसका आदेश दे सकते हैं।

(आईएएनएस)

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Created On :   15 Dec 2022 9:30 PM IST

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