बिना कंप्यूटर या इंटरनेट के 80 साल के कलाकार ने 17 साल की लड़की से कैसे किया डिजिटल रेप? जानिए डिजिटल रेप है क्या और क्या होगी सजा?
- आर्टिस्ट को पॉक्सो एक्ट के तहत गिरफ्तार किया गया
डिजिटल डेस्क, लखनऊ। नोएडा पुलिस ने रविवार को एक 80 वर्षीय स्केच आर्टिस्ट को गिरफ्तार किया है। आर्टिस्ट पर 17 साल की लड़की के साथ सात साल तक डिजिटल रेप करने का आरोप लगा है। पुलिस के अनुसार, मूलरुप से प्रयागराज के रहने वाले स्केच आर्टिस्ट मौरिस राइडर जो कि अपनी महिला दोस्त और 17 वर्षीय घरेलू सहायिका के साथ सेक्टर-46 में रहते हैं।
उनकी सहायिका ने मौरिस पर यौन शोषण का गंभीर आरोप लगाया है। पीड़िता के अनुसार आरोपी उसका 10 वर्ष की उम्र से शोषण कर रहा है। पीड़िता ने आरोपी की वीडियो और ऑडियो रिकॉर्डिंग भी पुलिस को दिये हैं। मेडिकल जांच के बाद पुलिस ने आरोपी आर्टिस्ट को पॉक्सो एक्ट के तहत गिरफ्तार किया है।
जानिए डिजिटल रेप के बारे में
जानकारों के अनुसार, डिजिटल रेप या दुष्कर्म की घटनाओं में महिला के प्राइवेट पार्ट में फिंगर्स का इस्तेमाल किया जाता है, मतलब ऐसा यौन उत्पीड़न जो डिजिट से किया गया हो, उसे डिजिटल रेप कहा जाता है। सरल शब्दों में कहें तो यौन उत्पीड़न के लिए हाथ या पैर की उंगलियों का यूज करने की शारीरिक क्रिया है।
डिजिटल रेप लेकर लोगों की धारणा
अमूमन लोग डिजिटल रेप को गलत एक्सप्लेन करते हैं। वो सोचते हैं कि सोशल मीडिया प्लेटफार्मस् पर नेकेड फोटोज या वीडियो के जरिए ही ऐसा होता है, जबकि यह सही नही है। दरअसल, अंग्रेजी में डिजिट का अर्थ अंक होता है। इसके साथ उंगली, अंगूठा और पैर की उंगलियों जैसे बॉडी पार्ट्स को भी डिजिट कहा जाता है। मतलब जो यौन उत्पीड़न डिजिट यानी हाथ व पैर उंगलियों जैसे शारीरिक अंगों से किया गया हो, उसे डिजिटल रेप कहा जाएगा।
निर्भया केस के बाद मिली कानूनी मान्यता
दिल्ली में 2012 में हुए निर्भया कांड के बाद यौन हिंसा से जुड़े कानूनों की समीक्षा की गई। समीक्षा के लिए भारत के पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक समिति का गठन हुआ। समिति ने यौन हिंसा जुड़े पुराने कानून में कुछ जरुरी बदलाव का सुझाव दिया। समिति के सुझाव को मानते हुए दशकों पुराने कानून में से कई को अपनाकर दशकों पुराने कानून को बदल दिया गया। 2013 में, बलात्कार की परिभाषा में विस्तार किया गया।
नई परिभाषा के अनुसार महिला की इजाजत या सहमति के बगैर उसके शरीर में अपने शरीर का कोई भी अंग डालना बलात्कार है। साथ ही महिला के निजी अंगों को पेनेट्रेशन के मकसद से नुकसान पहुंचाना और ओरल सेक्स भी बलात्कार की श्रेणी में आता है। गौरतलब है कि डिजिटल रेप का दोषी पाए जाने वाले व्यक्ति को आईपीसी की धारा 376 के अनुसार, 5 साल की सजा हो सकती है। कुछ केसों में सजा 10 साल या आजीवन कारावास तक की भी हो सकती है।
Created On :   17 May 2022 4:29 PM IST