- जम्मू-कश्मीर सरकार ने फारूक अब्दुल्ला के नजरबंदी आदेश को रद्द कर दिया
- उमर अब्दुल्ला
- पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती अभी भी हिरासत में है
डिजिटल डेस्क, श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर सरकार ने शुक्रवार को पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कांफ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला के नजरबंदी आदेश को रद्द कर दिया। अब्दुल्ला को जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 के प्रावधानों को सस्पेंड किए जाने के बाद हिरासत में लिया गया था। माना जा रहा है कि सरकार फारुक अब्दुल्ला की रिहाई से घाटी पर पड़ने वाले असर को देखना चाहती है। इसके बाद ही वह बाकी दो बड़े नेताओं की रिहाई पर कोई फैसला लेगी।
भारत सरकार ने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देना वाले इस आर्टिकल को 5 अगस्त 2019 को निरस्त किया था। आर्टिकल को निरस्त करने के बाद, फारूक के अलावा उनके बेटे उमर अब्दुल्ला, पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती और राज्य के अन्य राजनीतिक नेताओं को नजरबंद किया गया था।
फारूक पर लगाया गया था PSA
16 सितंबर, 2019 को फारूक पब्लिक सेफ्टी एक्ट के तहत हिरासत में लिए जाने वाले पहले मुख्यधारा के पॉलिटिशियन बने। अधिनियम में दो साल तक की सुनवाई के बिना नजरबंदी के प्रावधान हैं। 1990 के दशक की शुरुआत में जब राज्य में उग्रवाद भड़का तो पब्लिक सेफ्टी एक्ट (PSA) लाया गया था।
PSA के तहत हिरासत की एक आधिकारिक समिति समय समय पर समीक्षा करती है और इसे उच्च न्यायालय में चुनौती दी जा सकती है। PSA सरकार को 18 साल से ऊपर के किसी भी व्यक्ति को तीन महीने तक बिना मुकदमा चलाए रखने की अनुमति देता है। 2011 से पहले 16 साल से ऊपर के किसी भी व्यक्ति पर PSA लगाया जा सकता था।
इन लोगों पर भी लगाया गया है PSA
कुछ दिन पहले जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला के खिलाफ भी पब्लिक सेफ्टी एक्ट (पीएसए) को लागू किया था। दोनों की हिरासत बढ़ाए जाने के लिए ये एक्ट लागू किया गया था। इसके अलावा प्रशासन ने पूर्व आईएएस अधिकारी और जम्मू-कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट (JKPM) के प्रमुख शाह फैसल, नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) के महासचिव अली मोहम्मद सागर और PDP नेता सरताज मदनी के खिलाफ भी PSA लगाया था।
Created On :   13 March 2020 10:10 AM GMT