गंगा ने बदला रुख, कटाव की वजह से प्रयागराज में माघ मेले के लिए कम पड़ी जमीन

Ganga changed attitude, due to erosion, less land left for Magh Mela in Prayagraj
गंगा ने बदला रुख, कटाव की वजह से प्रयागराज में माघ मेले के लिए कम पड़ी जमीन
जमीन की कमी गंगा ने बदला रुख, कटाव की वजह से प्रयागराज में माघ मेले के लिए कम पड़ी जमीन
हाईलाइट
  • नदी 2004 में पूर्व की ओर स्थानांतरित हो गई थी

डिजिटल डेस्क, प्रयागराज। गंगा के पश्चिम की ओर बढ़ने के कारण अब प्रयागराज में आगामी माघ मेले के लिए जमीन कम रह गई है। महीने भर चलने वाले मेले के लिए साधु-संतों और अन्य धार्मिक संगठनों को जो जमीन आवंटित करनी पड़ती है, उसमें आई कमी ने मेला अधिकारियों को परेशानी में डाल दिया है। नदी 2004 में पूर्व की ओर स्थानांतरित हो गई थी और तीर्थयात्री को संगम-गंगा, यमुना और पौराणिक सरस्वती के संगम बिंदु तक पहुंचने के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ी थी।

मेला अधिकारी शेष मणि पांडे ने कहा, नदी की धारा काफी मजबूत है और हमारे विशेषज्ञ कटाव को कम करने के लिए अथक प्रयास कर रहे हैं। हम धाराओं पर कड़ी निगरानी रख रहे हैं। बिंद-मल्लाह को बांस से टोकरा बनाने और नदी के कटाव के कारण किनारे पर ध्यान देने को कहा गया है। कटाव स्थल पर काम कर रहे बाढ़ नियंत्रण विभाग के एक अधिकारी ने कहा, हम दो टोकरे एक के पीछे एक रख रहे हैं और दोनों को मजबूत रस्सियों से बांध दिया गया है। ये रेत के बोरों से भरे हुए हैं। यह एक हद तक कटाव को रोकता है। जेसीबी को सेवा में लगाया जाएगा जो कटाव की जांच कर रही है।

बीते सालों की तुलना में इस साल नदी में जलस्तर में वृद्धि एक बड़ी समस्या है जो कटाव को एक बड़ी समस्या बना रही है। महंत हरि चैतन्य भ्रामचारी ने कहा, मेला अधिकारियों के लिए नदी की धाराओं को नियंत्रित करना चुनौतीपूर्ण हो गया है और गंगा को अपनी धारा की मजबूत और अप्रत्याशित दिशा के लिए जाना जाता है, इसलिए स्वच्छ गंगा के लिए चुनौती का सामना करने के लिए निरंतर प्रयास करने की जरूरत है। माघ मेला, हिंदू मंदिरों के पास नदी के किनारे और पवित्र तालाबों के पास माघ (जनवरी/फरवरी) के महीने में आयोजित एक वार्षिक धार्मिक उत्सव है।

हर 12 साल में माघ मेला कुंभ मेले में बदल जाता है। लाखों भक्त नदियों के किनारे शिविर लगाते हैं और रोजाना पवित्र स्नान करते हैं, जबकि धार्मिक संगठनों और संप्रदायों ने इस अवधि के दौरान नदी के किनारे अपने शिविर स्थापित किए हैं। यह मेला 2022 में 14 जनवरी से शुरू होगा और 1 मार्च को समाप्त होगा।

(आईएएनएस)

Created On :   24 Dec 2021 12:30 PM IST

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