Election 2019: इन राज्यों की 20 सीटों पर नजर, साल 2014 में भाजपा ने 11, कांग्रेस ने 7 जीती

Election 2019: 20 Lok Sabha seats of 10 states is very important, Amethi, Raebareli, Varanasi
Election 2019: इन राज्यों की 20 सीटों पर नजर, साल 2014 में भाजपा ने 11, कांग्रेस ने 7 जीती
Election 2019: इन राज्यों की 20 सीटों पर नजर, साल 2014 में भाजपा ने 11, कांग्रेस ने 7 जीती

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव में देश के 10 राज्य अहम भूमिका निभाएंगे। सत्ता के सिंहासन तक पहुंचने के लिए इन सीटों पर सबकी नजर रहेगी। देश की बड़ी पार्टियों इन सीटों पर अपना पूरा जोर लगाएंगी। साल 2014 के लोकसभा चुनाव में इन 10 राज्यों की 20 सीटों पर भाजपा ने 11 और कांग्रेस ने 7 सीटों पर जीत हासिल की थी। 2 सीटें अन्य दलों के खाते में गई थीं।      

 

01.वाराणसी (उत्तर प्रदेश)
इस बार भी इस सीट से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी उम्मीदवार है। साल 2014 लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के प्रमुख अरविंद केजरीवाल को चुनाव हराया था। साल 1991 से इस सीट पर भाजपा का कब्जा अब तक बरकरार है। सिर्फ एक बार साल 2004 में कांग्रेस के राजेश कुमार मिश्रा यहां से चुनाव जीत थे। 

02.अमेठी (उत्तर प्रदेश)
इस बार भी कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी इस सीट से चुनाव लड़ेंगे। अमेठी को राहुल का गढ़ माना जाता है। साल 2004 से अब तक राहुल गांधी इस सीट पर चुनाव जीतते आ रहे है। गांधी परिवार की परंपरागत मानी जाने वाली इस सीट से एक बार फिर राहुल और स्मृति आमने-सामने हो सकते हैं। राहुल से पहले उनकी मां सोनिया, पिता राजीव और चाचा संजय यहां से सांसद रह चुके हैं। 1967 में अमेठी लोकसभा सीट अस्तित्व में आई। तब से आज तक कांग्रेस यहां से सिर्फ दो बार 1977 और 1998 में हारी। 

03.रायबरेली (उत्तर प्रदेश)
यूपीए की चेयरपर्सन सोनिया गांधी इस सीट से चुनाव लड़ेगी। साल 2004 से वे लगातार इस सीट से चुनाव जीतती आ रही हैं। सोनिया से पहले इंदिरा गांधी भी रायबरेली से तीन बार सांसद रहीं। अमेठी की तरह रायबरेली भी कांग्रेस का गढ़ है। 1952 से 2014 तक हुए 16 चुनावों में कांग्रेस यहां सिर्फ तीन बार हारी। पहली बार 1977 में यहां से तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को लोकदल के राज नारायण ने हराया था। 

04.लखनऊ (उत्तर प्रदेश)
लखनऊ बीजेपी की परंपरागत सीट मानी जाती है। इस सीट केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह इस बार भी चुनाव लड़ेंगे। 1991 से बीजेपी ने इस सीट पर अपना कब्जा जमा रखा है। इस सीट से पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी 5 बार सांसद रहे। 

05.गोरखपुर (उत्तर प्रदेश)
गोरखपुर सीट पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का प्रभाव बना रहता है। सीएम बनने से पहले योगी यहां से 6 बार जीते थे। इस सीट पर गोरखनाथ मठ का उम्मीदवार कभी नहीं हारा। योगी से पहले उनके गुरु महंत अवैध नाथ 1989 और 1991 में यहां से सांसद रहे। 1996 से लगातार ये सीट योगी ने जीती। 

06.छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश) 
मध्य प्रदेश की छिंदवाड़ा सीट पर वर्तमान मुख्यमंत्री कमलनाथ का कब्जा रहा है। कमलनाथ के गृह क्षेत्र की ये सीट बेहद अहम मानी जाती है। इस सीट पर बीजेपी के सुंदरलाल पटवा ने एक बार 1997 में कमलनाथ उप-चुनाव हराया था। कमलनाथ यहां से 10 बार सांसद चुने गए। 1996 में उनकी पत्नी अलका नाथ यहां से सांसद बनी। अब परिवार से तीसरा सदस्य यहां से चुनाव लड़ सकता है।

07.गुना (मध्य प्रदेश)
मध्य प्रदेश के संसदीय क्षेत्र गुना में सिंधिया परिवार का कब्जा रहा है। ये सीट सिंधिया परिवार की परंपरागत सीट है। इस सीट पर जब भी सिंधिया परिवार का कोई सदस्य चुनाव में खड़ा हुआ, उसे जीत ही मिली। भले पार्टी कोई भी रही हो। अब तक के 16 लोकसभा चुनावों में सिर्फ तीन बार 1952, 1962 और 1984 में इस परिवार का कोई सदस्य चुनाव नहीं लड़ा था। राजमाता यशोधरा राजे सिंधिया यहां से 6 बार, माधवराव सिंधिया 4 बार जीते। साल 2004 से ज्योतिरादित्य सिंधिया यहां से कांग्रेस सांसद हैं। 

08.इंदौर (मध्य प्रदेश)
इंदौर संसदीय क्षेत्र से 1989 से सुमित्रा महाजन यहां से विजयी होती आ रही हैं। एक बार फिर वे यहां टिकट की दावेदार हैं। 2018 में राज्य में हुए विधासनभा चुनाव में कांग्रेस इस सीट में आने वाली 8 में से तीन सीटों पर जीती थी। सुमित्रा महाजन वर्तमान में लोकसभा स्पीकर हैं। 

09.जयपुर ग्रामीण (राजस्थान)
राजस्थान की राजधानी जयपुर की इस सीट पर मोदी कैबिनेट के मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौर का कब्जा है। 2008 के परिसीमन में जयपुर और अलवर जिले के कुछ हिस्सों को मिलाकर जयपुर ग्रामीण लोकसभा सीट का गठन हुआ। परिसीमन के बाद यहां हुए लोकसभा के दो चुनावों में एक बार कांग्रेस और एक बार भाजपा का कब्जा रहा। 2014 में भाजपा ने यहां कर्नल राज्यवर्धन राठौड़ ने चुनाव जीता था।

10.जोधपुर (राजस्थान)
राजस्थान के जोधपुर संसदीय क्षेत्र में अशोक गहलोत का दबदबा बना हुआ है। इस सीट पर वे अकेले सांसद रहे हैं जो लगातार तीन बार जीत दर्ज हासिल कर पाएं है। गहलोत ने 1991, 1996 और 1998 में यहां से चुनाव जीते हैं। 2018 में राज्य में हुए विधासनभा चुनाव में जोधपुर लोकसभा सीट में आने वाली 8 में से 6 सीटें कांग्रेस ने जीतीं।

11.सवाई-माधोपुर (राजस्थान)
राजस्थान राज्य के इस सीट पर वर्तमान उप-मुख्यमंत्री सचिन पायलट दबदबा है। जयपुर राजघराने की दिया कुमारी भी यहां काफी सक्रिय हैं। ये सीट अन्य सीटों की तुलना में थोड़ी अलग है। यहां कोई भी दल लगातार तीन बार जीत दर्ज नहीं कर पाया है। पिछली लोकसभा में भाजपा ने इस सीट पर अपना कब्जा जमाया था। इससे पहले 2004 और 2009 में यहां से कांग्रेस जीती। 

12.पटना साहिब (बिहार)
बिहार की पटना साहिब सीट से बीजेपी के शत्रुघ्न सिन्हा सांसद हैं। भाजपा से टिकट नहीं मिलने पर भी चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुके हैं।  2008 में परिसीमन के बाद से यहां दो बार लोकसभा चुनाव हुए और दोनों ही बार शत्रुघ्न सिन्हा ने जीत दर्ज की। 

13.दरभंगा (बिहार)
बिहार दरभंगा सीट पर मो.अली अशरफ फातमी का दबदबा रहा है। वे इस सीट से चार बार जीत चुके हैं। भाजपा छोड़ कांग्रेस में आए कीर्ति आजाद भी तीन बार यहां से जीत चुके। इस बार भी कीर्ति आजाद ही इस सीट पर अपना परचम लहरा सकते हैं। 

14.मधेपुरा (बिहार)
बिहार की मधेपुरा सीट पर बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव और शरद यादव, पप्पू यादव जैसे नेता इस सीट से सांसद रहे चुके हैं।वर्तमान में आरजेडी से राजेश रंजन (पप्पू यादव) इस सीट से सांसद हैं। मधेपुरा शरद यादव का गढ़ माना जाता है। वे यहां से चार बार 1991, 1996, 1999 और 2009 सासंद रहे। लेकिन 2014 में उन्हें पप्पू यादव ने मात दी।

15.अमृतसर (पंजाब)
पंजाब की अमृतसर सीट पर पिछले लोकसभा चुनाव में कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अरुण जेटली को हराया। इस बार चर्चा है कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को कांग्रेस इस सीट से टिकट दे सकती है। भाजपा ने 2014 में लोकसभा चुनाव में नवजोत सिंह सिद्धू का टिकट काटकर अरुण जेटली को प्रत्याशी बनाया था। अमरिंदर ने 2017 विधानसभा चुनाव के बाद यह सीट छोड़ दी, वे पंजाब के मुख्यमंत्री हैं। उपचुनाव में भी कांग्रेस के गुरजीत सिंह औजला ने जीत दर्ज की। 

16. गांधीनगर (गुजरात)
गुजरात राज्य में प्रधानमंत्री मोदी का ही दबदबा माना जाता है। मोदी के गढ़ में इस बार भी भाजपा के 6 बास से संसद लालकृष्ण आडवाणी चुनाव लड़ सकते हैं। आडवाणी ने 1991, 1998, 1999, 2004, 2009 और 2014 से सांसद रहे हैं। इस बार भी उन्हें टिकट मिल सकता है। 

17.नागपुर (महाराष्ट्र)
नागपुर सीट पर संघ का असर देखने को मिलता है। ये केंद्रीय मंत्री और पूर्व भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी का निर्वाचन क्षेत्र है। 2014 से पहले यह कांग्रेस का गढ़ रहा है। सिर्फ दो बार यहां भाजपा जीत सकी है। नागपुर ऐसी लोकसभा सीट है, जो कांग्रेस ने 1977 में इंदिरा विरोधी लहर में भी नहीं गंवाई। 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने नितिन गडकरी को टिकट दिया और पार्टी को कांग्रेस के गढ़ में जीत मिली। इस बार उन्हें ही टिकट दिया जाएगा।

18.रोहतक (हरियाणा)
हरियाणा राज्य की रोहतक सीट पर हुड्डा परिवार का दबदबा बना रहा है। हुड्डा परिवार के सदस्य इस सीट पर 9 बार जीत दर्ज कर चुके हैं।आजादी के बाद रणवीर सिंह हुड्डा यहां से लगातार दो बार सांसद रहे। इसके बाद उनके बेटे भूपेंद्र सिंह 1991, 1996, 1999 और 2004 चार बार सासंद रहे हैं। इनके बाद रणवीर के पोते और भूपेंद्र के बेटे दीपेंद्र सिंह ने सीट पर कब्जा जमा लिया। 

19.पुरी (ओडिशा)
ये सीट से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के चुनाव लड़ने की चर्चा है। पुरी सीट पर 1998 के बाद से बीजद का कब्जा रहा है। इस सीट पर भाजपा कभी जीत हासिल नहीं कर पाई, लेकिन इस बार पुरी से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस सीट से चुनाव लड़ने की चर्चा है। माना जा रहा है कि मोदी अगर यहां से चुनाव लड़ते हैं तो इसका असर राज्य की अन्य सीटों पर भी पड़ा था। मौजूदा सांसद पिनाकी मिश्र 1996 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीतकर संसद पहुंचे। मिश्र 2009 और 2014 में बीजद से चुनाव जीते।
 

20.पत्तनमतिट्टा - सबरीमाला (केरल)
इस बार ये सीट बहुत अहम मानी जा रही है। सबरीमाला पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद पूरे राज्य में विरोध हुए, भाजपा उन्हीं का फायदा उठाने के प्रयास में। केरल का पत्तनमतिट्टा संसदीय क्षेत्र सबरीमाला मंदिर के लिए मशहूर है। सुप्रीम कोर्ट ने 28 सितंबर को मंदिर में हर उम्र की महिला को प्रवेश की अनुमति दी। इसके बाद से ही राज्यभर में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। 

 

 

 

Created On :   11 March 2019 12:07 PM IST

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