सीजेआई से कर्नाटक लिंगायत मठ यौन उत्पीड़न मामले की निगरानी करने की मांग
- नाबालिग लड़कियों को न्याय मिलने की संभावना बहुत कम है
डिजिटल डेस्क, बेंगलुरु। सामाजिक कार्यकर्ताओं के एक समूह ने गुरुवार को मांग की कि लिंगायत संत डॉ. शिवमूर्ति मुरुघा शरणारू द्वारा कथित यौन उत्पीड़न मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो को सौंपी जाए और भारत के प्रधान न्यायाधीश इसकी निगरानी करें। सामाजिक कार्यकर्ता एच.एम. वेंकटेश ने कहा कि उन्होंने इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को एक पत्र भेजा है।
उन्होंने कहा, आम जनता और मीडिया के संज्ञान में आया है कि पीड़ित नाबालिग लड़कियों को सरकार से न्याय नहीं मिलेगा। मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई, पूर्व सीएम बीएस येदियुरप्पा को चित्रदुर्ग मुरुघ मठ से पुरस्कार प्राप्त हुए हैं। कोई भी उनसे आरोपी संत के खिलाफ जाने की उम्मीद कैसे कर सकता है?
इस मामले में प्रधान न्यायाधीश के हस्तक्षेप की मांग को लेकर कर्नाटक हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को भी पत्र व ई-मेल भेजा गया था। वेंकटेश ने कहा कि पत्र की प्रति महाधिवक्ता और लोकायुक्त को भी भेजी गई है। वेंकटेश ने कहा कि पुलिस ने आरोपी संत को गिरफ्तार नहीं किया है और उन्हें दूसरे राज्यों में भागने की कोशिश की है। उन्होंने दावा किया कि कई राजनेताओं, विशेष रूप से राज्य के गृहमंत्री ने आरोपियों के पक्ष में बयान जारी किए हैं। ऐसे में नाबालिग लड़कियों को न्याय मिलने की संभावना बहुत कम है।
एक अन्य घटनाक्रम में, मठ के सूत्रों ने पुष्टि की कि आरोपी संत ने एस.के. बसवराजन को चित्रदुर्ग मठ के प्रशासक के पद से हटाकर उनके स्थान पर सेवानिवृत्त न्यायाधीश वस्त्राड मथ को लाने का फैसला लिया है। आरोपी संत को अंदेशा है कि बसवराजन ने उनके खिलाफ साजिश रची और नाबालिग लड़कियों को उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने के लिए उकसाया।
(आईएएनएस)
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Created On :   1 Sept 2022 7:30 PM IST