दिल्ली हाईकोर्ट ने जामिया हिंसा की जांच स्वतंत्र एजेंसी को सौंपने की मांग पर केंद्र से 1 हफ्ते में जवाब मांगा
- संसद तक शांतिपूर्ण मार्च निकालने के लिए छात्र जामिया के गेट पर इकट्ठा हुए
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को केंद्र से जामिया मिल्लिया हिंसा मामले की जांच दिल्ली पुलिस से लेकर एक स्वतंत्र एजेंसी को सौंपने की मांग पर एक हफ्ते के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा। अदालत छात्रों के खिलाफ जांच स्थानांतरित करने और पुलिस अधिकारियों के खिलाफ उनकी शिकायतों पर दाखिल एक संशोधन आवेदन पर सुनवाई कर रही थी। आवेदन में नबिला हसन नामक एक छात्रा द्वारा किया गया अनुरोध भी शामिल है, जिसमें विभूति नारायण राय, विक्रम चंद गोयल, आर.एम.एस. बराड़ और कमलेंद्र प्रसाद में से किसी के नेतृत्व में एसआईटी गठित करने की मांग की गई है।
जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और जस्टिस तलवंत सिंह की खंडपीठ अब 13 दिसंबर को इस मामले पर विचार करेगी। यह मामला 15 दिसंबर, 2019 को जामिया मिलिया इस्लामिया के परिसर में नागरिकता (संशोधन) अधिनियम के खिलाफ छात्रों के विरोध प्रदर्शन के दौरान भड़की हिंसा से संबंधित है। याचिकाकर्ताओं में से एक की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कॉलिन गोंसाल्विस ने कहा कि इस मामले को पहले एक अन्य पीठ द्वारा निपटाया जा रहा था। उन्होंने तर्क दिया कि इस मामले को 2.5-3 साल से नहीं उठाया गया है।
गोंजाल्विस के अनुसार, दिसंबर 2019 में सीएए और एनआरसी के विरोध में संसद तक शांतिपूर्ण मार्च निकालने के लिए छात्र जामिया के गेट पर इकट्ठा हुए थे। हालांकि, उन्हें बताया गया कि वे शांतिपूर्ण मार्च भी नहीं कर सकते और बाद में उन पर क्रूरता से हमला किया गया। उन्होंने कहा, निर्दयतापूर्वक पिटाई की गई। उन्होंने कई छात्रों की हड्डियां तोड़ दीं, एक को अंधा कर दिया और लड़कियों के छात्रावास में चले गए, जिन्हें बेरहमी से पीटा गया, अंत में वे पुस्तकालय में गए..।
पुलिस का प्रतिनिधित्व करते हुए अधिवक्ता रजत नायर ने कहा कि आवेदन को अभी तक अनुमति नहीं दी गई है, जिस पर अदालत ने कहा कि उसे पहले कार्यवाही का दायरा निर्धारित करना होगा। केंद्र ने कोर्ट को बताया कि नोटिस जारी होने के बाद भी अर्जी पर कोई जवाब दाखिल नहीं किया गया है। पीठ ने कहा, इसलिए हम आपको इस अर्जी पर जवाब दाखिल करने के लिए अगले सप्ताह तक का समय देंगे।
(आईएएनएस)
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Created On :   29 Nov 2022 5:30 PM GMT