जहांगीरपुरी में विध्वंस अभियान के खिलाफ याचिका पर सुनवाई से दिल्ली हाईकोर्ट का इनकार

Delhi High Court refuses to hear petition against demolition drive in Jahangirpuri
जहांगीरपुरी में विध्वंस अभियान के खिलाफ याचिका पर सुनवाई से दिल्ली हाईकोर्ट का इनकार
नई दिल्ली जहांगीरपुरी में विध्वंस अभियान के खिलाफ याचिका पर सुनवाई से दिल्ली हाईकोर्ट का इनकार
हाईलाइट
  • शोभा यात्रा जुलूस पर दो समूहों के बीच हुई हिंसा

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को राष्ट्रीय राजधानी के जहांगीरपुरी में चल रहे विध्वंस अभियान के खिलाफ याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया।

हाईकोर्ट ने नोट किया कि चूंकि मामले में सुप्रीम कोर्ट पहले से ही सुनवाई कर रहा है और उसने इस संबंध में यथास्थिति का आदेश भी दिया है, इसलिए उसने याचिका पर सुनवाई नहीं करने का फैसला किया। बुधवार की सुबह, वकील शाहरुख आलम और अजीत पुजारी ने मामले की तत्काल सूची के लिए न्यायमूर्ति नवीन चावला के साथ ही कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी की अध्यक्षता वाली खंडपीठ का दरवाजा खटखटाया था।

उत्तर पश्चिमी दिल्ली के जहांगीरपुरी इलाके में 16 अप्रैल को हनुमान जयंती के अवसर पर शोभा यात्रा जुलूस के दौरान विभिन्न समुदायों के लोगों के दो समूहों के बीच हिंसक सांप्रदायिक झड़पें हुईं थीं। सुनवाई के दौरान अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा ने सुनवाई का विरोध करते हुए कहा कि यह पहले से ही सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष है।

विशेष रूप से, शीर्ष अदालत ने बुधवार को शहर में कथित अतिक्रमणकारियों के खिलाफ नगर निगम द्वारा किए जा रहे विध्वंस अभियान पर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया और मामले को एक उपयुक्त पीठ के समक्ष गुरुवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने पर सहमति व्यक्त की। इसके बाद वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे की ओर से जहांगीरपुरी विध्वंस मामले पर प्रधान न्यायाधीश एन. वी. रमना की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष उल्लेख किए जाने पर और शीर्ष अदालत के आदेश के बावजूद, कहा कि नगर निगम ने विध्वंस अभियान को नहीं रोका है।

दवे ने कहा कि सुबह शीर्ष अदालत के आदेश ने विध्वंस पर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया, फिर भी नगर निगम ने जहांगीरपुरी में विध्वंस अभियान को नहीं रोका। उन्होंने शीर्ष अदालत से आग्रह किया कि वह महासचिव से उत्तरी दिल्ली नगर निगम (एनडीएमसी), एनडीएमसी मेयर और दिल्ली पुलिस आयुक्त को अदालत के आदेश के बारे में बताने के लिए कहें। दवे ने कहा, एक बार जब यह मीडिया में व्यापक रूप से रिपोर्ट किया जाता है, तो यह उचित नहीं है। वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने जमीयत उलमा-ए-हिंद द्वारा दायर एक याचिका का भी उल्लेख किया, जिसमें मध्य प्रदेश के खरगोन सहित कई भाजपा शासित राज्यों में दंगों के बाद शुरू किए गए विध्वंस की वैधता पर सवाल उठाया गया है। पीठ गुरुवार को इसे जहांगीरपुरी मामले के साथ सूचीबद्ध करने पर सहमत हुई।

 

 (आईएएनएस)

Created On :   20 April 2022 6:01 PM IST

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