दिल्ली हाईकोर्ट ने सरकार से इंटरसेक्स शिशुओं की सेक्स-सेलेक्टिव सर्जरी पर प्रतिबंध लगाने पर फैसला करने को कहा

Delhi High Court asks government to decide on banning sex-selective surgery for intersex babies
दिल्ली हाईकोर्ट ने सरकार से इंटरसेक्स शिशुओं की सेक्स-सेलेक्टिव सर्जरी पर प्रतिबंध लगाने पर फैसला करने को कहा
नई दिल्ली दिल्ली हाईकोर्ट ने सरकार से इंटरसेक्स शिशुओं की सेक्स-सेलेक्टिव सर्जरी पर प्रतिबंध लगाने पर फैसला करने को कहा

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने इंटरसेक्स पर चिकित्सकीय रूप से अनावश्यक, लिंग-चयनात्मक सर्जरी पर प्रतिबंध लगाने की मांग वाली याचिका पर दिल्ली सरकार को बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सिफारिशों पर फैसला करने का निर्देश दिया है।

उच्च न्यायालय ने जीवन के लिए खतरनाक स्थितियों को छोड़कर इंटरसेक्स शिशुओं की चिकित्सीय रूप से अनावश्यक लिंग आधारित चयनात्मक (सेक्स-सलेक्टिव) सर्जरी करने पर पाबंदी लगाने की दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग (डीसीपीसीआर) की सिफारिश पर उचित फैसला करने के लिए निर्देश जारी किए हैं।

एनजीओ सृष्टि मदुरै एजुकेशनल रिसर्च फाउंडेशन द्वारा जनहित याचिका दायर की गई है, जिसमें एक विस्तृत नीति या दिशानिर्देश तैयार करने के निर्देश देने की मांग की गई है। याचिका में गुजारिश की गई है कि एक विस्तृत नीति या ऐसे दिशानिर्देश तैयार करने की जरूरत है, जिसमें यह बताया गया हो कि इंटरसेक्स शिशुओं और बच्चों पर मेडिकल सर्जरी कब की जा सकती है। याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिवक्ता रॉबिन राजू ने प्रस्तुत किया कि डीसीपीसीआर ने इस मुद्दे पर दिल्ली सरकार को एक विस्तृत रिपोर्ट दी है।

अपनी सिफारिशों के अनुसार, आयोग ने संबंधित विभागों को सलाह दी कि वे ऐसे लोगों को शामिल करें जो इंटरसेक्स हैं, या समान हाशिए की पृष्ठभूमि से हैं, जो समिति के औपचारिक सदस्य हैं। यह कदम यह सुनिश्चित करेगा कि समुदाय का पर्याप्त प्रतिनिधित्व हो और निर्णय लेने की प्रक्रिया में उनकी आवाज सुनी जाए।

बता दें कि इंटरसेक्स शिशु ऐसी शारीरिक संरचना के साथ जन्म लेते हैं, जो साधारण पुरुष या महिला की विशिष्ट परिभाषाओं में फिट नहीं होते हैं। जैसे ही दिल्ली सरकार के वकील ने डीसीपीसीआर द्वारा की गई सिफारिशों पर उचित निर्णय लेने के लिए आठ सप्ताह का समय मांगा, अदालत ने याचिका का निपटारा करते हुए कहा, उपरोक्त के आलोक में, तत्काल याचिका में आगे कोई आदेश पारित करने की आवश्यकता नहीं है।

 

 (आईएएनएस)

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Created On :   30 July 2022 10:00 PM IST

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