मार्च के महीने में ही निकले कूलर और ए.सी, दिल्ली सहित उत्तर भारत में तापमान ने तोड़ा रिकॉर्ड 

Coolers and ACs came out in the month of March, temperature broke records in North India including Delhi
मार्च के महीने में ही निकले कूलर और ए.सी, दिल्ली सहित उत्तर भारत में तापमान ने तोड़ा रिकॉर्ड 
हाय गर्मी! मार्च के महीने में ही निकले कूलर और ए.सी, दिल्ली सहित उत्तर भारत में तापमान ने तोड़ा रिकॉर्ड 
हाईलाइट
  • अगले छह दिनों में दिल्ली-एनसीआर में बारिश होने की संभावना भी नहीं है

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मार्च का महीना अभी ठीक से बीता भी नहीं है और उत्तर भारत के राज्यों में आसमान से आग बरसना शुरू हो चुकी है। कूलर और ए.सी की दुकानों पर भीड़ बढ़ने लगी है और लोग इनकी सर्विसिंग भी करा रहे हैं। 

दिल्ली, राजस्थान, मध्य प्रदेश समेत देश के कई राज्यों में गर्म हवाओं यानी लू का असर भी दिखाई देने लगा है। मौसम विशेषज्ञों के अनुसार, इस साल उत्तर भारत में गर्मी का भयंकर प्रकोप रहेगा। 

मौसम विभाग के अनुसार, उत्तर भारत में मार्च महीने के बाकी दिनों में भी मौसम शुष्क रहेगा। अगले छह दिनों में दिल्ली-एनसीआर में बारिश होने की संभावना भी नहीं है।

अभी से तापमान 40 के पार 

राजस्थान के कई जिलों में पारा 40 डिग्री सेल्सियस के पार पहुंच गया है। राज्य के बांसवाड़ा (42.4 डिग्री), फलोदी (42.2 डिग्री), डूंगरपुर (41.7 डिग्री) और  चुरू (40.6 डिग्री) में तापमान 40 डिग्री से अधिक दर्ज किया गया।  

IMD के वैज्ञानिक आर के जेनामणि ने कहा, "तीन दिनों तक दिल्ली-एनसीआर में पूरब से हवाएं चलीं। रविवार को पश्चिम से आ रहीं हवाएं अपने साथ राजस्थान से गर्मी लेकर आईं और अधिकतम तापमान दो डिग्री बढ़ गया।"

दिल्ली में टूट सकता है 30 साल का रिकॉर्ड 

देश की राजधानी दिल्ली में आज (21 मार्च) को अधिकतम तापमान 37 डिग्री सेल्सियस रहने का अनुमान है, जो सामान्य से करीब 7 डिग्री अधिक है। भारत मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार, आज शहर का न्यूनतम तापमान सामान्य से पांच डिग्री अधिक 21 डिग्री सेल्सियस है। 

इससे पहले रविवार को दिल्ली  के सफदरजंग स्टेशन पर मौसम का सबसे अधिकतम तापमान 38.3 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। यह सामान्य से आठ डिग्री अधिक था। पूर्वी दिल्ली के स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स में 39.9 डिग्री दर्ज किया गया। 

आपको बता दें पिछले 30 वर्षों में केवल एक बार मार्च के महीने में सफदरजंग में पारा 40 डिग्री पहुंचा है। पिछले साल 30 मार्च को 40.1 डिग्री सेल्सियस तापमान दर्ज किया गया था। वह दिन 1945 के बाद राजधानी में सबसे गर्म मार्च डे के तौर पर रिकॉर्ड किया गया।

दिल्ली की हवा की गुणवत्ता यानी एयर क्वालिटी (AQI) खराब श्रेणी में है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के आंकड़ों के मुताबिक, दिल्ली का औसतन AQI 250 के करीब दर्ज किया गया है।  

आपको बता दें कि 0-50 के बीच एक्यूआई अच्छा (Good), 51-100 के मध्य (Moderate), 101-150 के बीच मध्यम (Unhealthy for Sensitive Groups), 151-200 के बीच खराब (Unhealthy), 201-300 के बीच (very unhealthy) 301 से ऊपर वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर (Hazardous) मानी जाती है। 

इसके अलावा मौसम विभाग के अनुसार इस महीने के अंत तक लू चलने की भी संभावना है। दिल्ली में शनिवार तक के आंकड़ों के अनुसार प्रदूषण के स्तर की बात करें तो PM 2.5 का स्तर 102 है वहीं PM 10 का स्तर 181 है। 

क्या होता है PM 2.5 और PM 10 

PM का मतलब है पार्टिकुलेट मैटर (particulate matter), जिसे कण प्रदूषण (Particle Pollution) भी कहा जाता है। यह हवा में पाए जाने वाले ठोस कणों (Solid Particles) और तरल बूंदों (Liquid Droplets) का मिश्रण होता है। कुछ कण, जैसे धूल, गंदगी, कालिख या धुंआ, इतना बड़ा या गहरा होता है कि  आंखों (Naked Eye) से देखा जा सकता है वहीं अन्य इतने छोटे होते हैं कि केवल एक इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप (electron microscope) का उपयोग करके उनका पता लगाया जा सकता है।

इसे दो श्रेणियों में रखा गया है - 

PM 10 - इन कणों का व्यास (diameter) लगभग 10 micrometers या उससे कम रहता है। ये सांस के साथ फेफड़ों तक पहुंच जाते है। 

PM 2.5 - इन कणों का व्यास (diameter) लगभग 2.5 micrometers या उससे कम रहता है। ये भी सांस के साथ फेफड़ों तक पहुंच जाते है।

क्यों है ये खतरनाक -

पार्टिकुलेट मैटर (particulate matter) में सूक्ष्म (micro) ठोस या तरल बूंदें होती हैं जो इतनी छोटी होती हैं कि वे अंदर जा सकती हैं और गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर सकती हैं। 10 माइक्रोमीटर से कम व्यास (diameter) के कुछ कण आपके फेफड़ों में गहराई तक जा सकते हैं और कुछ आपके रक्तप्रवाह (bloodstream) में भी मिल सकते हैं। इनमें से 2.5 माइक्रोमीटर से कम व्यास (diameter) के कण, जिन्हें महीन (micro) कण या PM2.5 के रूप में भी जाना जाता है, स्वास्थ्य के लिए सबसे बड़ा खतरा हैं।

कम दृश्यता (visibility) (धुंध) का मुख्य कारण महीन (micro) कण भी हैं। 
 

Created On :   21 March 2022 12:52 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story