SC का बड़ा फैसला, अब चीफ जस्टिस का ऑफिस भी होगा RTI के दायरे में
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मुख्य न्यायाधीश (CJI) और सूचना का अधिकार अधिनियम (RTI) को लेकर सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों वाली संविधान पीठ ने आज (बुधवार) बड़ा फैसला सुनाया है। अब मुख्य न्यायाधीश (CJI) का ऑफिस भी सूचना का अधिकार (RTI) अधिनियम के दायरे में होगा। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि CJI का ऑफिस भी एक पब्लिक अथॉरिटी है, जिसके तहत यह भी RTI के दायरे में आएगा। साथ ही कोर्ट ने कहा कि "पारदर्शिता, न्यायिक स्वतंत्रता को कम नहीं करती है।" CJI रंजन गोगोई के नेतृत्व वाली इस पीठ में जस्टिस एन वी रमण, जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस दीपक गुप्ता और जस्टिस संजीव खन्ना शामिल रहे।
"Transparency doesn’t undermine judicial independency", Supreme Court says while upholding the Delhi High Court judgement which ruled that office of Chief Justice comes under the purview of Right to Information Act (RTI). https://t.co/axAjUFzDRr
— ANI (@ANI) November 13, 2019
साल 2009 में दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि जिस तरह से RTI अधिनियम के अंतर्गत अन्य पब्लिक अथॉरिटी द्वारा आवेदकों को सूचनाएं दी जाती हैं, उसी तरह सुप्रीम कोर्ट और CJI कार्यालय को भी अपनी सूचना आवेदकों को प्रदान की जानी चाहिए। साल 2007 में RTI एक्टिविस्ट सुभाष चंद्र अग्रवाल द्वारा जजों की संपत्ति जानने के लिए एक RTI आवेदन दाखिल किया गया था। इसके बाद आवेदन में मांगी गई जानकारी देने से इनकार कर दिया गया तो यह मामला केंद्रीय सूचना आयुक्त (CIC) तक जा पहुंचा। हांलाकि CIC ने भी आवेदक की अपील के दौरान जानकारी देने के आदेश दिए थे लेकिन तब भी कोई जानकारी नहीं दी गई।
जब मामला दिल्ली हाईकोर्ट पहुंचा तो कोर्ट ने जानकारी देने के आदेश दिए। साथ ही कोर्ट ने कहा था कि न्यायिक स्वतंत्रता न्यायाधीश का न सिर्फ विशेषाधिकार है, बल्कि एक जिम्मेदारी भी है। इसके बाद साल 2010 में सुप्रीम कोर्ट के जनरल सेक्रेटरी और केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी, दिल्ली हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जा पहुंचे। बता दें कि इस मामले पर पीठ ने 4 अप्रैल को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। 9 साल बाद आज इस मामले पर पूर्ण विराम लगा है। बता दें कि मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने अपने रिटायरमेंट से पहले इस मामले में फैसला सुनाया है। इससे पहले भी वह 9 नवंबर (शनिवार) को अयोध्या राम मंदिर विवाद पर फैसला दे चुके हैं। वह 17 नवंबर को रिटायर हो रहे हैं।
Created On :   13 Nov 2019 8:23 AM IST