Rahul Gandhi Birthday: रिश्तों को देते हैं बहुत अहमियत, लोग प्यार से कहते हैं आरजी
- किताबें पढ़ने और अच्छा खाना खाने के शौकीन हैं राहुल
- गांधी-नेहरु परिवार से ताल्लुक रखते हैं राहुल
- यूथ आइकन के नाम से फेमस है राहुल
- राहुल गांधी का 49 वां जन्मदिन आज
- राहुल गांधी को लोग प्यार कहते हैं आरजी
- साल 2004 में रखा था राजनीति में कदम
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। राजनीतिक परिवार से ताल्लुक रखने वाले कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी आज अपना 49 वां जन्मदिन मना रहे हैं। उनका जन्म 19 जून 1970 में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी और पूर्व काँग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के यहां नई दिल्ली में हुआ था। उनकी दादी इंदिरा गांधी भी पूर्व प्रधानमंत्री रह चुकी हैं। उत्तर प्रदेश के अमेठी का प्रतिनिधित्व करने वाले राहुल गांधी, इस बार वायनाड लोकसभा चुनाव से जीतकर सांसद पहुंचे हैं। उन्होंने साल 2004 में राहुल ने राजनीति में कदम रखा था। उन्हें दिल्ली की सड़कों पर घूमना और किताबे पढ़ना बहुत पसंद है। उनके जन्मदिन पर जानें उनके बारे में खास बातें।
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की छवि एक यूथ आइकन के तौर पर बनीं हुई है। वे देश के युवा नेताओं में शुमार हैं। उन्हें भी अपनी इस छवि से बहुत प्यार है। राहुल को अक्सर यूथ के बीच मस्ती करते हुए देखा जा सकता है। लोकसभा चुनाव के दौरान भी उन्होंने यूथ के बीच भी प्रचार-प्रसार किया था। यहां तक कि वे अपने आप को सर नहीं बल्कि् राहुल कहलवाना ही पसंद करते हैं। वे नहीं चाहते कि लोग उन्हें एक नेता के तौर पर देखें। वे चाहते हैं कि लोग उन्हें अपना दोस्त समझें। राहुल भी जब किसी इवेंट में जाते हैं तो वे कुर्ता-पजामे में नहीं बल्कि जींस टी-शर्ट में कूल डूड की तरह ही जाना ज्यादा पसंद करते हैं। उन्हें अक्सर बच्चों के साथ व जानवरों के साथ मस्ती करते हुए भी देखा जा सकता है। राहुल यूथ के साथ कई एक्टिविटी और म्यूजिक इवेंट में भी पार्ट लेते हैं।
भले ही विपक्षी दल राहुल के धर्म को लेकर सवाल उठाते हैं, लेकिन वे सभी धर्मों को मानने वाले व्यक्ति हैं। हालही के चुनाव में उन्हें मंदिरों में पूजा करने के साथ साथ कई धर्म और तबकों के लोगों के साथ मिलते हुए देखा गया था। वे हमेशा सभी धर्मों और तबकों के लोगों के हित की बात करते हैं।
राजीनिक परिवार से होने के कारण और देश की 121 करोड़ आबादी का प्रतिनिधित्व करने वाले राहुल को खामोश शामें बहुत लुभाती हैं। इन्हीं खामोश शामों को ढूढ़ने वे मानसरोवर की यात्रा पर भी गए थे। वहीं उन्हें जितनी उन्हें खामोशी पसंद है, उतनी ही दुनिया की चकाचौंध भी उन्हें लुभाती है। उन्हें किताबों को पढ़कर भी बहुत सुकून मिलता है। वे अक्सर नई नई किताबें ढूढ़ते हैं। राहुल गांधी बहुत इमोशनल हैं, वे हर रिश्ते को बहुत दिल से लुभाते हैं। वे किसी अन्य चीज से ज्यादा रिश्तों को अहमियत देते हैं। राहुल गांधी को प्यार से लोग आरजी कहते हैं।
राहुल गांधी की पर्सनल लाइफ के बारे में बात की जाए तो उन्हें दिल्ली की सड़कों पर घूमना बहुत पसंद है। दुनिया की सबसे महंगी खुदरा हाई स्ट्रीट में शुमार दिल्ली की खान मार्केट, राहुल का भी सबसे प्रिय हैंगआउट है। उन्हें कई बार बरिस्ता में कॉफी पीते हुए देखा गया है। कई बुक शॉप्स में उन्हें पन्ने पलटते हुए भी देखा गया है। हमेशा फिट दिखाई देने वाले राहुल गांधी को खाने पीने का बहुत शौक है। यहां के खाने का स्वाद राहुल गांधी को दिल्ली खींच लाता है।
साल 2006 में राहुल गांधी को हैदराबाद में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एक सम्मेलन में, उनसे पार्टी में एक और महत्वपूर्ण नेतृत्व की भूमिका के लिए प्रोत्साहित किया और प्रतिनिधियों के संबोधन की मांग की। इस दौरान राहुल ने कहा था कि मैं इसकी सराहना करता हूं और मैं आपकी भावनाओं और समर्थन के लिए आभारी हूं, मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि मैं आपको निराश नहीं करूंगा। उन्होंने उस समय पार्टी का नेतृत्व करने से मना कर दिया। साथ ही कहा कि भविष्य में वे इस उच्च पद को जरुर अपनाएंगे। उन्होंने सभी लोगों को धैर्य रखने को कहा। साल 2007 में उन्हें पार्टी का महासचिव नियुक्त किया गया और साल 2017 में उन्हें पार्टी अध्यक्ष बनाया गया।
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने साल 2004 में राजनीति में आने की घोषणा की थी। वे अपने पिता के ही निर्वाचन क्षेत्र अमेठी से चुनाव में खड़े हुए। यह क्षेत्र भारत की संसद का निचला सदन है। इससे पहले, उनके चाचा संजय गांधी ने (जो एक विमान दुर्घटना के शिकार हुए थे) जो संसद में इसी क्षेत्र का नेतृत्व किया था। तब इस लोकसभा सीट पर उनकी मां थी। ये अटकलें लगाई गयीं कि भारत के सबसे मशहूर राजनीतिक परिवारों में से एक देश की युवा आबादी के बीच इस युवा सदस्य की उपस्थिति से कांग्रेस पार्टी के राजनीतिक भाग्य को नया जीवन मिलेगा। राहुल गांधी का अमेठी के स्थानीय लोगों ने दिल से स्वागत किया। वैसे भी इस क्षेत्र के लोगों का गांधी-परिवार से एक लंबा संबंध था। राहुल गांधी के स्वागत के साथ लोगों ने इस संबंध को आगे बढ़ाया।
राहुल गांधी ने अपना राजनीतिक कॅरियर साल 2003 में शुरु किया था। इस दौरान वह सार्वजनिक समारोहों और कांग्रेस की बैठकों में बस अपनी मां के साथ दिखाई दिए। एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट श्रृंखला देखने के लिए सद्भावना यात्रा पर अपनी बहन प्रियंका गांधी के साथ भी गए। राहुल गांधी के राजनीति में आने की अटकलें उस दौरान और बढ़ने लगी, जब उन्होंने अपने पिता के पूर्व निर्वाचन क्षेत्र अमेठी का दौरा किया। उस समय उनकी मां वहां से सांसद थी। जब राहुल से इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा था कि "मैं राजनीति के विरुद्ध नहीं हूं। मैंने यह तय नहीं किया है कि मैं राजनीति में कब प्रवेश करूंंगा और करूंगा भी या नहीं।"
राहुल गांधी की स्कूली शिक्षा की बात की जाए तो उनकी शुरुआती पढ़ाई दिल्ली के सेंट कोलंबस स्कूल में हुई है। इसके बाद वो प्रसिद्ध दून विद्यालय में पढ़ने चले गये। इस स्कूल में राजीव गांधी ने भी पढ़ाई की थी। 1981-83 तक सुरक्षा कारणों के कारण राहुल गांधी को अपनी पढ़ाई घर से ही करनी पड़ी। इसके बाद वे आगे की पढ़ाई के लिए विदेश गए। वहां उन्होंने हार्वर्ड विश्वविद्यालय के रोलिंस कॉलेज फ्लोरिडा से सन 1994 में कला स्नातक की उपाधि प्राप्त की। इसके बाद सन 1995 में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के ट्रिनिटी कॉलेज से एम.फिल. की उपाधि प्राप्त की।
राहुल गांधी राजनीति से जुड़े प्रसिद्ध गांधी-नेहरू परिवार से हैं। साल 2009 में कांग्रेस को मिली जीत का श्रेय भी राहुल गांधी को जाता है। उनकी रणनीति की वजह से ही साल 2009 के चुनाव में कांग्रेस को विजय प्राप्त हुई थी और वे सत्ता में बनी रही थी। राहुल की रणनीतियों में जमीनी स्तर की सक्रियता पर बल देना, ग्रामीण जनता के साथ गहरे संबंध स्थापित करना और कांग्रेस पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र को मजबूत करने की कोशिश करना प्रमुख हैं। हमेशा वे इसी रणनीति पर काम करते हैं और जरुरत के अनुसार उसे बदलते रहते हैं।
Created On :   19 Jun 2019 9:20 AM IST