कोर्ट ऑफ इंक्वायरी के लिए अन्य बलों के डॉक्टर को शामिल करें
- मृत्यु के मामले में अनुग्रह मुआवजा देने का निर्णय लेते समय सीओआई के लिए यह अनिवार्य होगा
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अर्धसैनिक बल के एक जवान की मौत, चोट या अपंगता के बाद होने वाली कोर्ट ऑफ इंक्वायरी की कार्यवाही में अधिक पारदर्शिता और निष्पक्षता लाने के उद्देश्य से गृह मंत्रालय ने सभी केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों और राइफल्स को अदालत में अन्य बलों के एक और डॉक्टर को शामिल करने का निर्देश दिया है।
एमएचए के पुलिस डिवीजन द्वारा सभी अर्धसैन्य बलों को भेजे गए एक हालिया आदेश में कहा गया है कि असाधारण/विकलांगता पेंशन की स्वीकार्यता और मृत्यु के मामले में अनुग्रह मुआवजा देने का निर्णय लेते समय सीओआई के लिए यह अनिवार्य होगा।
आदेश में कहा गया है कि बाहर से एक चिकित्सा अधिकारी (किसी अन्य सीएपीएफ से) को बल द्वारा नामित किया जाना चाहिए, कर्नल का गठन करते समय, एडीजी (चिकित्सा) संबंधित बल से अनुरोध प्राप्त होने पर किसी अन्य सीएपीएफ से एक चिकित्सा अधिकारी को नामित कर सकता है।
यह भी कहा कि नामित चिकित्सा अधिकारी की चिकित्सा राय को सीओआई बोर्ड की सिफारिशों के साथ-साथ सक्षम प्राधिकारी द्वारा पारित अंतिम आदेश में शामिल किया जाना चाहिए।
मंत्रालय ने यह भी कहा कि ये निर्देश अधिसूचित अधिनियम या बलों के नियमों के प्रावधानों के अधीन लागू होंगे। जहां कहीं भी ये निर्देश संबंधित बल के संबंधित अधिनियम/नियमों के मौजूदा प्रावधानों के प्रतिकूल हैं, बाद वाले लागू होंगे।
सीएपीएफ के सूत्रों ने फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि अन्य बलों से एक अतिरिक्त चिकित्सा अधिकारी को शामिल करने से असाधारण या विकलांगता पेंशन का फैसला करते समय पक्षपात को रोका जा सकेगा।
अधिकारियों ने कहा कि कुछ मामलों में ड्यूटी के दौरान गंभीर रूप से घायल हुए सीएपीएफ कर्मियों ने मुआवजे या विकलांगता पेंशन के बारे में नाराजगी व्यक्त की थी। इससे विकलांगता पेंशन की स्वीकार्यता और मृत्यु के मामले में अनुग्रह मुआवजा तय करने में पारदर्शिता आएगी।
(आईएएनएस)
Created On :   12 April 2022 10:00 PM IST