BHU: छात्र प्रोफेसर फिरोज खान के खिलाफ प्रदर्शन खत्म करने को सहमत

Bhu muslim sanskrit professor firoz khan students agree to end the protest
BHU: छात्र प्रोफेसर फिरोज खान के खिलाफ प्रदर्शन खत्म करने को सहमत
BHU: छात्र प्रोफेसर फिरोज खान के खिलाफ प्रदर्शन खत्म करने को सहमत

डिजिटल डेस्क, वाराणसी। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान (एसवीडीवी) विभाग के छात्रों ने विभाग में सहायक प्रोफेसर के रूप में मुस्लिम प्रोफेसर फिरोज खान की नियुक्ति के खिलाफ से चल रहे अपने प्रदर्शन को समाप्त करने का फैसला किया है। बीएचयू के प्रवक्ता राजेश सिंह द्वारा गुरुवार देर शाम जारी एक प्रेस व्यक्तव्य के अनुसार, विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा आंदोलनकारी छात्रों के साथ कई दौर की बातचीत के बाद शुक्रवार को कक्षाएं फिर से शुरू होने की उम्मीद है।

उन्होंने कहा, सेमेस्टर परीक्षाएं शुरू होने वाली हैं और छात्रों को कक्षाओं के सुचारु संचालन को सुनिश्चित करने में सहयोग करना चाहिए। संस्कृत विभाग के ताले गुरुवार शाम को खोले गए। छात्रों ने सात नवंबर को अपना विरोध प्रदर्शन शुरू करने पर विभाग को बंद कर दिया था। कुलपति प्रोफेसर राकेश भटनागर, डीन प्रोफेसर विंध्येश्वरी प्रसाद मिश्रा, विभागाध्यक्ष, वरिष्ठ शिक्षक और विश्वविद्यालय के अधिकारी आंदोलनकारी छात्रों के साथ बैठक के दौरान उपस्थित थे।

हालांकि, यह अभी भी स्पष्ट नहीं हुआ है कि फिरोज खान शुक्रवार से कक्षाएं लेना शुरू करेंगे या नहीं। सूत्रों ने कहा कि खान संस्कृत साहित्य पढ़ाएंगे, लेकिन कर्म कांड (पारंपरिक अनुष्ठान) पाठ्यक्रम की कक्षा नहीं लेंगे। विश्वविद्यालय के एक अधिकारी ने बताया कि प्रदर्शनकारी छात्रों ने एक ज्ञापन विश्वविद्यालय प्रशासन को मांगों की सूची के साथ सौंपा।

मुख्य प्रॉक्टर ओ. पी. राय और विभाग के प्रमुख ने छात्रों को आश्वासन दिया कि उनके प्रश्नों का जवाब 10 दिनों के भीतर दिया जाएगा, जिसके बाद छात्रों ने धरना प्रदर्शन बंद करने का फैसला किया। अपने ज्ञापन में छात्रों ने उम्मीदवारों की शॉर्ट लिस्टिंग की प्रक्रिया और क्या साहित्य विभाग में प्रक्रिया एसवीडीवी संकाय के अन्य विभागों के समान है या नहीं, इसकी जानकारी मांगी है। उन्होंने यह भी जानना चाहा है कि क्या शॉर्ट लिस्टिंग पारंपरिक (सनातन धर्म) नियमों के मद्देनजर की गई थी, यूजीसी के किस नियम को शॉर्ट लिस्टिंग प्रक्रिया में अपनाया गया था और नियुक्ति बीएचयू अधिनियम के अनुसार की गई थी या नहीं।

प्रोफेसर विंध्येश्वरी प्रसाद मिश्रा ने कहा, छात्रों का ज्ञापन मिल गया है और हम इसका जवाब देंगे। इस बीच, आंदोलनकारी छात्र दोपहर के आसपास अपनी बैठक करेंगे, जिसके बाद वे एक संवाददाता सम्मेलन करेंगे। बीएचयू के संस्थापक पंडित मदन मोहन मालवीय के पोते, न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) गिरिधर मालवीय ने कहा, अगर पंडित मदन मोहन मालवीय जीवित होते, तो वह डॉ. फिरोज खान की नियुक्ति को मंजूरी दे देते। छात्रों का रुख गलत है। उनके पास हिंदू धर्म की अवधारणा की कोई समझ नहीं है। बीएचयू जाति और पंथ के बीच कोई अंतर किए बिना सभी का स्वागत करता है।

Created On :   22 Nov 2019 12:35 PM IST

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