अयोध्या मामला: आज से मुस्लिम पक्ष की दलीलें सुन रहा है सुप्रीम कोर्ट
- अयोध्या राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद मामला
- सुप्रीम कोर्ट में हिंदू पक्ष की दलीलें पूरी होने के बाद मुस्लिम पक्ष की सुनवाई
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अयोध्या राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आज से मुस्लिम पक्षकारों की दलीलों पर सुनवाई शुरू कर दी है। मामले में हिंदू पक्ष की दलीलें पर सुनवाई पूरी हो चुकी है। कोर्ट ने सभी हिन्दू पक्षों की बहस की सुनवाई 16 दिनों में पूरी कर ली है। जिसमें निर्मोही अखाड़ा और राम लला विराजमान शामिल हैं। सुन्नी वक्फ बोर्ड के वरिष्ठ वकील राजीव धवन निर्मोही अखाड़ा और राम लला विराजमान के वकीलों की तरफ से पेश की गई बहसों का जवाब अदालत के समक्ष पेश करेंगे।
Supreme Court"s five-judge Constitution bench, headed by Chief Justice of India (CJI) Ranjan Gogoi, continue hearing the Ayodhya land dispute case. Today is the 17th day of hearing in the case. pic.twitter.com/m8XFSuGqOP
— ANI (@ANI) September 2, 2019
मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट से सप्ताह के बीच में बुधवार को खुद के लिए ब्रेक की मांग की। धवन ने कहा, उनके लिए लगातार दलीलें देना मुश्किल होगा। इस पर CJI रंजन गोगोई ने कहा- इससे कोर्ट को परेशानी होगी। आप चाहें तो शुक्रवार को ब्रेक ले सकते हैं।
राजीव धवन ने पहले ही सुप्रीम कोर्ट को बताया था, वह अपनी बहस 20 दिनों में पूरी करेंगे इसलिए माना जा रहा है, मामले की सुनवाई सितंबर के अंत तक पूरी की जा सकती है। ऐसे में इस मुद्दे पर निर्णय देने के लिए सुप्रीम कोर्ट को एक महीने से अधिक का समय मिल जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट में 16 दिन की सुनवाई में हिंदू पक्ष के वकीलों ने अपनी बात को प्रमाणिकता के साथ रखने की कोशिश की। सुनवाई के दौरान रामलला को कभी नाबालिग बताया गया तो कभी मालिकाना हक के दस्तावेजी सबूत डकैती में लुटने की बात कही गई। सुप्रीम कोर्ट ने भी राम के वंशजों के बारे में सवाल किए। निर्मोही अखाड़े के वकील सुशील जैन ने कहा था, विवादित भूमि पर 1949 के बाद से नमाज नहीं हुई इसलिए मुस्लिम पक्ष का वहां दावा ही नहीं बनता है, क्योंकि जहां नमाज नहीं अदा की जाती है, वह स्थान मस्जिद नहीं मानी जा सकती।
गौरतलब है कि, सुप्रीम कोर्ट ने पहले अयोध्या विवाद मामले को मध्यस्थता से हल करने की कोशिश की थी। 8 मार्च को पूर्व जज जस्टिस एफएम कलीफुल्ला की अध्यक्षता में 3 सदस्यों की एक समिति भी गठित की गई थी। सुप्रीम कोर्ट चाहता था, समिति आपसी समझौते से सर्वमान्य हल निकाले। इस समिति में आध्यात्मिक गुरु श्रीश्री रविशंकर और वरिष्ठ वकील श्रीराम पांचू शामिल थे। समिति ने बंद कमरे में संबंधित पक्षों से बात की लेकिन हिंदू पक्षकार गोपाल सिंह विशारद ने सुप्रीम कोर्ट के सामने निराशा व्यक्त करते हुए लगातार सुनवाई की गुहार लगाई। 155 दिन के विचार-विमर्श के बाद मध्यस्थता समिति ने रिपोर्ट पेश की और कहा, वह सहमति बनाने में सफल नहीं हुए हैं। जिसके बाद कोर्ट ने रोजाना सुनवाई शुरू की।
Created On :   2 Sept 2019 10:37 AM IST