ज्ञानवापी मामला: ज्ञानवापी पर कोर्ट के फैसले को लेकर बोला मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, अदालत में मुस्लिम पक्ष को दलीलें रखने का नहीं मिला मौका

ज्ञानवापी पर कोर्ट के फैसले को लेकर बोला मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, अदालत में मुस्लिम पक्ष को दलीलें रखने का नहीं मिला मौका
  • ज्ञानवापी मामले पर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का बड़ा बयान
  • मुस्लिम पक्ष को दलीलें न रखने देने की कही बात
  • पूजा स्थल अधिनियम 1991 का किया समर्थन

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। ऑल इंडिया मुस्लिम लॉ बोर्ड ने दावा किया कि वाराणसी जिला कोर्ट ने ज्ञानवापी मामले में मुस्लिम पक्ष को अपनी दलीलें रखने का मौका नहीं दिया। बोर्ड ने कहा कि कोर्ट ने परिसर में पूजा करने का फैसला जल्दबाजी में सुनाया। इसके साथ ही बोर्ड ने मामले को सुप्रीम कोर्ट तक ले जाने और 1991 के पूजा स्थल अधिनियम को लागू रखने की बात भी कही। बता दें कि इलाहाबाद हाई कोर्ट ने ज्ञानवापी परिसर में स्थित व्यास तहखाने में पूजा की अनुमति देने वाले वाराणसी जिला कोर्ट के खिलाफ दायार याचिका पर मस्जिद कमेटी को तुरंत राहत देने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने मामले पर अगले सुनवाई के लिए 6 फरवरी की तारीख दी है।

इस्लाम मस्जिद बनाने के लिए जमीन छीनने की इजाजत नहीं देता

ऑल इंडिया मुस्लिम लॉ बोर्ड के अध्यक्ष सैफुल्लाह रहमानी ने कहा कि मस्जिद परिसर में कोर्ट द्वारा पूजा करने की अनुमति देने से न केवल मुसलमानों बल्कि धर्मनिरपेक्षता में विश्वास रखने वाले अन्य धर्म के लोगों की भावनाएं भी आहत हुई हैं। उन्होंने कहा, ''यह धारणा गलत है कि मस्जिद बनाने के लिए मंदिर को तोड़ा गया था। इस्लाम मस्जिद बनाने के लिए किसी की जमीन छीनने की इजाजत नहीं देता है।''

एक संवाददाता सम्मेलन में सैफुल्लाह रहमानी ने कहा, ''अदालत ने इस पर जल्दबाजी में फैसला सुनाया और दूसरे (मुस्लिम) पक्ष को विस्तार से अपनी दलीलें रखने का मौका भी नहीं दिया गया। इससे न्यायपालिका में अल्पसंख्यकों के विश्वास को ठेस पहुंची है।'' उन्होंने कहा, ''बाबरी मस्जिद के फैसले में, यह स्वीकार किया गया था कि मस्जिद बनाने के लिए मंदिर को नहीं गिराया गया था, बल्कि आस्था के आधार पर दूसरे पक्ष के पक्ष में फैसला किया गया था। अदालतों को तथ्यों के आधार पर फैसला देना चाहिए न कि आस्था के आधार पर।''

पूजा स्थल अधिनियम महत्वपूर्ण कानून

रहमानी ने कहा कि पूजा स्थल अधिनियम एक बहुत ही अहम कानून है क्योंकि इसके जरिए हम विवादों को रोक सकते हैं। बता दें कि वाराणसी कोर्ट ने अपने आदेश में हिंदू श्रद्धालुओं को ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के व्यास जी तहखाना में पूजा अर्चना करने की अनुमति दी थी। अदालत ने जिला प्रशासन को सात दिन में परिसर तहखाने को खोलकर उसमें पूजा शुरू कराने का आदेश दिया था। इस संवाददाता सम्मेलन में जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी, जमीयत प्रमुख मौलाना महमूद मदनी और मुस्लिम पर्सनल एआईएमपीएलबी के प्रवक्ता एस क्यू आर इलियास समेत अन्य मौजूद थे।

Created On :   3 Feb 2024 12:23 AM IST

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