Maha Kumbh 2025: महाकुंभ का पहला अमृत स्नान, 3.50 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालुओं ने लगाई डुबकी, बना वर्ल्ड रिकॉर्ड

महाकुंभ का पहला अमृत स्नान, 3.50 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालुओं ने लगाई डुबकी, बना वर्ल्ड रिकॉर्ड

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। महाकुंभ के दूसरे दिन अमृत स्नान के मौके पर काफी बड़ी संख्या में भीड़ देखने को मिली। एक आंकड़े के मुताबिक, मंगलवार को 3.50 करोड़ से ज्यादा संतों और श्रद्धालुओं ने संगम में आस्था की डुबकी लगाई है। इस बात की जानकारी खुद उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने दी है। महाकुंभ के पहले दिन 1.50 करोड़ लोगों ने स्नान किया था। वहीं, आज 3.50 करोड़ से ज्यादा संतों और श्रद्धालुओं ने संगम में डुबकी लगाई है, जो कि एक वर्ल्ड रिकॉर्ड है।

    सीएम योगी ने श्रद्धालुओं का किया अभिनंदन

    सीएम ने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा- आस्था, समता और एकता के महासमागम 'महाकुंभ-2025, प्रयागराज' में पावन 'मकर संक्रांति' के शुभ अवसर पर पवित्र संगम में आस्था की पवित्र डुबकी लगाने वाले सभी पूज्य संतगणों, कल्पवासियों व श्रद्धालुओं का हार्दिक अभिनंदन!

    सीएम योगी ने आगे लिखा है कि प्रथम अमृत स्नान पर्व पर आज 3.50 करोड़ से अधिक पूज्य संतों/श्रद्धालुओं ने अविरल-निर्मल त्रिवेणी में स्नान का पुण्य लाभ अर्जित किया। प्रथम अमृत स्नान पर्व के सकुशल संपन्न होने पर सनातन धर्म के आधार सभी पूज्य अखाड़ों, महाकुम्भ मेला प्रशासन, स्थानीय प्रशासन, पुलिस प्रशासन, स्वच्छता कर्मियों, स्वयंसेवी संगठनों एवं धार्मिक संस्थाओं, नाविकों तथा महाकुम्भ से जुड़े केंद्र व प्रदेश सरकार के सभी विभागों को हृदय से साधुवाद तथा प्रदेश वासियों को बधाई! पुण्य फलें, महाकुम्भ चलें।

    अमृत स्नान का महत्व

    बता दें कि, इस बार के महाकुंभ में तीन बार अमृत स्नान होने वाला है। जिसमें पहला अमृत स्नान आज यानी 14 जनवरी है। वहीं, दूसरा अमृत स्नान 29 जनवरी (मौनी अमावस्या) और तीसरा अमृत स्नान (3 फरवरी को होने वाला है। इसे शाही स्नान के तौर भी जाना जाता है।

    अमृत, राजसी या शाही स्नान का विशेष महत्व और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि के तौर पर भी काफी महत्व होता है। यह स्नान सबसे पहले नागा साधु करते है। वे हाथी, घोड़े और रथ पर सवार होकर ठाट-बाट के साथ स्नान करने आते हैं। वहीं, एक अन्य मान्यता के मुताबिक, मध्यकाल में राजा-महाराजा, साधु-संतों के साथ भव्य जुलूस लेकर स्नान करने आते थे। इसी परंपरा ने अमृत स्नान (अमृत स्नान) की शुरुआत की।

    मान्यता यह भी है कि महाकुंभ का आयोजन सूर्य और गुरु जैसे ग्रहों की विशिष्ट स्थिति को ध्यान में रखकर किया जाता है। ग्रहों की चाल के आधार पर कुछ विशेष तिथियां पड़ती हैं। इन विशेष तिथियों पर पवित्र स्नान करने से आध्यात्मिक शुद्धि, पापों का प्रायश्चित, पुण्य और मोक्ष्य प्राप्ति होती है। इसलिए भी इन तिथियों पर होने वाले स्नान को अमृत स्नान कहा जाता है।

    तैयारियां भी खास

    कुंभ मेला सनातन धर्म का सबसे बड़ा और सबसे पवित्र धार्मिक आयोजन है। यह हर 12 साल एक बार होता है। प्रयागराज में 13 जनवरी से जारी महाकुंभ 144 वर्ष बाद आया है, जो कि 26 फरवरी तक चलेगा। महाकुंभ मेले को लेकर 13000 से अधिक स्पेशल ट्रेन जलाई जा रही है। ऐसे करने से देश हर कोने से प्रयागराज तक की कनेक्टिविटी बढ़ेगी। साथ ही, सुरक्षा व्यवस्था भी महाकुंभ मेले को लेकर कड़ी नजर आ रही है।

    Created On :   14 Jan 2025 7:12 PM IST

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