किसान आंदोलन: सड़क पर कीलों से लेकर थ्री लेयर बैरिकेडिंग तक..., दिल्ली कूच करने वाले किसानों को रोकने के लिए शंभू बॉर्डर पर हुई युद्ध स्तर की तैयारी
- आज दोबारा दिल्ली कूच करेंगे आंदोलनरत किसान
- रोकने के लिए शंभू बॉर्डर पर बढ़ी चौकसी
- दोपहर 12 बजे 100 किसानों का जत्था होगा रवाना
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। एमएसपी समेत अन्य मांगों को लेकर आंदोलनरत किसान आज दोपहर 12 बजे दिल्ली की ओर कूच करेंगे। किसान नेता सरवन सिंह पंढेर शनिवार की शाम मीडिया से चर्चा करते हुए कहा कि आज हमारे विरोध प्रदर्शन को 299 दिन पूरे हो गए हैं। रविवार को 300 दिन पूरे हो जाएंगे। आज हमने शुक्रवार पुलिस के साथ हुई झड़प में घायल हुए किसानों से मुलाकात की, जिनमें एक के सुनने की शक्ति चली गई है। उन्होंने बताया कि 16 किसान घायल हुए हैं और यदि मामूली रूप से घायल हुए किसानों को इसमें शामिल कर लें तो यह आंकड़ा 25 पर पहुंच जाएगा।
किसानों को रोकने के लिए युद्ध स्तर पर तैयारी
किसान नेता पंढेर के मुताबिक, 8 दिसंबर को दोपहर 12 बजे 101 किसानों का एक 'जत्था' दिल्ली की ओर कूच करेगा। उनके एक बार दिल्ली कूच करने के ऐलान के बाद अंबाला, हरियाणा और दिल्ली-हरियाणा के शंभु बॉर्डर पर चौकसी बढ़ाने के साथ उन्हें रोकने के लिए युद्ध स्तर पर तैयारी हो रही है।
न्यूज एजेंसी एएनआई ने एक्स पर एक वीडियो शेयर किया है। जिसमें नजर आ रहा है कि कुछ कारीगर वेल्डिंग कर रहे हैं। किसानों को रोकने के लिए कील के पैटर्न वाले बैरियर और ब्रेकर लगाए जा रहे हैं। बता दें कि इससे पहले जनवरी में भी किसानों ने दिल्ली कूच किया था, तब भी बॉर्डर पर इसी तरह की तैयारियां की गई थीं।
शनिवार शाम को प्रेस कॉन्फ्रेंस में किसान नेता पंढेर ने सरकार पर बातचीत को लेकर झूठ बोलने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि सरकार ने किसानों की मांगों पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। उन्होंने आगे कहा कि 101 किसानों का जत्था कल दोपहर 12 बजे दिल्ली की ओर आगे बढ़ेगा। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार की ओर से अब तक बातचीत का कोई प्रस्ताव नहीं आया है। उन्होंने कहा, "सरकार यह दिखाने की कोशिश कर रही है कि देश विकास कर रहा है, लेकिन विकास का मापदंड किसानों की दुर्दशा को नज़रअंदाज़ करता है।" उनका यह भी कहना है कि सरकार ने बीते दिन जो कदम उठाए, उसको लेकर कई जगहों से प्रतिक्रिया आ रही है।
सरकार की नीतियां किसानों के खिलाफ
आंदोलनकारी किसानों ने सरकार पर आरोप लगाया कि सरकार की नीतियां उनके हितों के खिलाफ हैं। वह उद्योगपतियों के पक्ष में झुकी हुई हैं। किसानों का कहना है कि एमएसपी को कानून का दर्जा दिया जाए ताकि उनकी फसल के मूल्य का उचित निर्धारण हो सके। किसानों का कहना है कि उन्हें बढ़ते कर्ज और बिजली दरों की वजह से गंभीर वित्तीय संकट का सामना करना पड़ रहा है।
Created On :   8 Dec 2024 12:30 AM IST