1993 सीरियल ब्लास्ट केस: TADA कोर्ट से बरी होने के बाद फिर अब्दुल करीम टुंडा की मुश्किलें बढ़ी, जल्द याचिका दाखिल करेगी CBI

TADA कोर्ट से बरी होने के बाद फिर अब्दुल करीम टुंडा की मुश्किलें बढ़ी, जल्द याचिका दाखिल करेगी CBI
  • गुरुवार कोर्ट से बरी हुआ है अब्दुल करीम टुंडा
  • कोर्ट ने अब्दुल करीम टुंडा को छोड़कर दो अन्य आरोपियों को सुनाई है सजा
  • CBI दाखिल करेगी टुंडा के खिलाफ याचिका

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। राजस्थान की एक अदालत ने गुरुवार को 1993 के बम धमाकों के मुख्य आरोपी अब्दुल करीम टुंडा को बरी कर दिया था। TADA (Terrorist & Anti-disruptive Activites Act) की अदालत ने अब्दुल करीम टुंडा को किसी भी मामले में दोषी नहीं पाया है। जिसके चलते धमाके के 31 साल बाद राजस्थान में अजमेर की टाडा कोर्ट ने अब्दुल करीम टुंडा को अदालत से बरी कर दिया। लेकिन, टुंडा की मुश्किलें एक बार फिर बढ़ने वाली है। क्योंकि, केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) 1993 सिलसिलेवार बम विस्फोट मामले के मुख्य आरोपी अब्दुल करीम टुंडा को बरी किए जाने के खिलाफ याचिका दाखिल करेगी। सीबीआई इस मामले पर कोर्ट में फिर से टुंडा के खिलाफ याचिका दायर करेगी।

बता दें कि, इसी मामले में गुरुवार को टाडा कोर्ट ने इरफान और हमीदुद्दीन को दोषी करार देते हुए उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। गुरुवार को वकील ने कहा था, "कोर्ट ने सभी धाराओं से बरी करने का फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा था कि सीबीआई अब्दुल करीम टुंडा के खिलाफ टाडा एक्ट, आईपीसी, रेलवे एक्ट, आर्म्स एक्ट, विस्फोटक अधिनियम मामले में कोई सबूत पेश नहीं कर सकी।''

जानें पूरा मामला

गौरतलब है कि साल 1993 में मुंबई, कानपुर, हैदराबाद, सूरनत और लखनऊ की कुछ ट्रेनों में एक के बाद एक धमाके हुए थे। जिसके बाद इस मामले में मुख्य आरोपी के तौर पर अब्दुल करीम टुंडा, इरफान और हमीदुद्दीन पर आरोप लगे थे। अब्दुल करीम टुंडा को साल 2013 में नेपाल बॉर्डर से पकड़ लिया गया था। इन सभी आरोपी के खिलाफ टाडा एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज हुआ था। मामले में अब तक 150 से ज्यादा लोगों से गवाही हुई है।

कौन है अब्दुल करीम टुंडा?

अब्दुल करीम टुंडा उत्तर प्रदेश के आपुड़ जिले का रहने वाला है। पिलखुवा में वह बढ़ई का काम करता है। माना जाता है कि अब्दुल करीम टुंडा के तार आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैय्यबा से जुड़े हुए हैं। दावा यह भी किया जाता है कि टुंडा पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI से ट्रेनिंग ली है। बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद भारत में कई आतंकी संगठन एक्टिंव हो गए थे। विध्वंस की पहली बरसी 6 दिसंबर, 1993 को आतंकियों ने ट्रेन में सीरियल ब्लास्ट किए थे। इसके बाद इस मामले में कुल 17 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था। इस घटना से पीड़ित पारिवारों को अभी भी न्याय का इंतजार था। हालांकि, गुरुवार को कोर्ट ने इस मामले को लेकर अपना अंतिम फैसला सुनाया और टुंडा को बरी कर दिया।

23 फरवरी को कोर्ट ने इस मामले में अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था। कहा जाता है कि बम बनाते समय अब्दुल करीम का एक हाथ उड़ गया था। तब से ही उसका नाम टुंडा पड़ा था।

Created On :   1 March 2024 9:25 PM IST

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